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दिल्ली। बीते 8 साल से कांग्रेस के वॉर रूम में रहने वाले और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दफ्तर के रणनीतिकार रहे आशीष कुलकर्णी ने इस्तीफा दे दिया। आशीष ने कांग्रेस पर परिवारवाद और सामंतवाद का आरोप लगाया है। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि आशीष शुरू से ही ऐसे ही पार्टी और लोगों के साथ काम करते रहे हैं जो परिवारवादी हैं। राहुल गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में कुलकर्णी ने कहा है कि पार्टी साल 2014 के बाद अपनी हार का स्पष्ट कारण नहीं समझ पाई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ही राहुल की नेतृत्व क्षमता पर भरोना ना करने की धारणा बनाने में लगे हुए हैं।
आशीष ने आरोप लगाय है कि पार्टी पूरी तरह से जमीनी हकीकत से दूर है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा के कार्यकारी अध्यक्ष बनने की अफवाह, पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं ने फैलाई थी।
बता दें कि जिस तरह से आज चुनावी रणनीतिकारण के लिए प्रशांत किशोर का जिक्र होता है, कुछ ऐसा ही एक समय में कुलकर्णी भी कांग्रेस के लिए थे। कुलकर्णी कई सालों तक शिवसेना चीफ रहे बाल ठाकरे के करीबी थे। साल 2003 में जब पार्टी की बागडोर उद्धव ठाकरे के हाथ में आई तो नारायण राणे का करीबी होने के कारण कुलकर्णी को किनारे लगा दिया गया। इसके बाद राणे कांग्रेस में शामिल हो गए। और फिर कुलकर्णी भी यहीं आ गए। हालांकि अब एक बार फिर यह संभावना जताई जा रही है कि राणे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं ऐसे में कुलकर्णी के बारे में भी यही कहा जा रहा है लेकिन उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि उनके इस्तीफे को राणे से ना जोड़ा जाए।
कुलकर्णी ने राहुल को भेजे इस्तीफे में राज्यों में हो रही हार की वजह अनिर्णय और कुप्रबंधन बताया इसके साथ ही कहा है कि पार्टी अब लेफ्ट विचारधारा की होती जा रही है। जो अर्से से जेएनयू और कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थन में आ रही है। आशीष ने यह आशंका तक व्यक्त कर दी है कि इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी यही होगा। हालांकि कांग्रेस ने आशीष की ओर से लगाए गए आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया।
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