68 दिनो मे न कोरोना हारा न प्रवासी घर पहुॅचे बद से बदतर हो गई देशवासियो की आर्थिक स्थिति
लखनऊ। , कोविड 19 कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 25 मार्च से लगातार चरणबद्ध तरीके से लागू किए गए चार चरणो के लाक डाउन के दौरान देश की जनता का 68 दिन बाद घरवास का समय तो समाप्त हो गया लेकिन 68 दिनो के इस लाक डाउन मे न तो देशवासी सरकार के साथ मिल कर कोरोना वायरस को हरा पाए और न ही लाखो की संख्या मे प्रवासी मज़दूर ही अपने घरो को पहुॅच सके इन 68 दिनो मे कोरोड़ो देशवासियो की आर्थिक स्थित बद से भी ज़्यादा बदत्तर हो कर रह गई । लगातार 68 दिनो के इस लाक डाउन से किस को क्या लाभ मिला ये कतई नज़र नही आ रहा है जो नज़र आ रहा है वो है कोरोना वायरस के मरीज़ो की तेज़ी से बढ़ती संख्या जिसे देख कर देशवासी भले ही भयभीत हो रहे हो लेकिन अपनी जान को जोखिम मे डाल कर देशवासियो को शायद अब काफी लम्बे समय तक कोरोना वायरस के साथ ही बच बचा कर चलना पड़ेगा वरना कोरोना के चक्कर मे बची खुची घर और मन की शान्ती भी समाप्त हो जाएगी। 68 दिनो के लाक डाउन के बाद पूरे देश मे पिछले 24 घण्टो के दौरान कोरोना वायरस के मरीज़ो का अब तक का सबसे बड़ा आकड़ा सामने आया है 24 घण्टो के दौरान 8 हज़ार 380 नए मामले सामने आने के बाद देश मे कोरोना वायरस के मरीज़ो की संख्या बढ़ कर अब 1 लाख 82 हज़ार 143 हो गई है । कोरोना वायरस से देश भर मे मरने वालो की संखा 5 हज़ार के पार होते हुए 5164 लोगो की पूरे देश मे अब तक मौत हो चुकी है। पूरे देश मे कुल मरीज़ो मे से अब तक 86 हज़ार 984 मरीज़ ठीक हुए है फिलहाल पूरे देश मे कोरोना वायरस के सक्रिय मामलो की संख्या 95 हज़ार 159 है । कोरोना वायरस के मामले मे लगातार सातवें नम्बर पर चल रहे उत्तर प्रदेश मे कोरोना वायरस पिछले 24 घण्टो मे 161 नए मरीज़ सामने आए है तो पिछले 24 घण्टो के दौरान 166 मरीज़ ठीक हुए है यानि जितने मरीज़ संक्रमित हुए है उससे पाॅच ज़्यादा ठीक हुए है इन 161 मरीज़ो को मिला कर उत्तर प्रदेश मे कोरोना वायरस के मरीज़ो की संख्या बढ़ कर अब 7 हज़ार 445 हो गई है इन मरीज़ो मे सब 4 हज़ार 410 मरीज़ पूरी तरह से ठीक हुए है । उत्तर प्रदेश मे कोरोना वायरस के मौजूदा समय मे 3 हज़ार 35 सक्रीय मरीज़ है । कोरोना वायरस के मामलो मे उत्तर प्रदेश देश के दूसरे राज्य जहंा भारी सख्ंया मे कोरोना के मरीज़ मिल रहे है उनसे काफी बेहतर है यहां मरीज़ो के ठीक होने का प्रतिशत भी बहोत अच्छा है। भले ही कोरोना के मामलो मे उत्तर प्रदेश को दूसरे राज्यो के मुकाबले बेहतर कहा जाए लेकिन 68 दिनो के लाक डाउन के बावजूद जिस तरह से पूरे देश मे लगातार तेज़ी के साथ कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे है और लाक डाउन को समाप्त कर दिया गया है ऐसे हालात मे देश की जनता के सामने शायद कोरोना से बचने का एक ही विकल्प रह गया है कि देश की जनता अपने सामने आने वाले हर व्यक्ति को कोरोना का संदिग्ध मरीज़ समझ कर दो गज़ की दूरी बनाए। हालाकि हमारा देश विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसख्ंया वाला देश है यहां सख्त लाक डाउन को हटा कर अनलाक पीरियड मे देश के प्रत्येक व्यक्ति से ये उम्मीद करना की वो अपना काम भी करेगा और सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी करेगा ये शायद मुमकिन नही है क्ंयूकि सख्त लाक डाउन के दौरान देश के कई शहरो से लगातार ऐसी तस्वीरे देखने को मिलती रही है जब चारो तरफ पुलिस की मुस्तैदी रही है और इस बीच सोशल डिस्टेंिसग की भी खूब धज्जिया उड़ाई गई है । देश की जनता को अगर कोरोना वायरस से बच के रहना है तो अब उसे खुद ही पूरी तरह से सावधान रहना पड़ेगा क्ंयूकि दुकाने बाज़ार सब खुलेगा सड़को पर गाडिया भी पूरी तरह से दौड़ेगी पुलिस सब पर नज़र ज़रूर रखेगी लेकिन कोरोना वायरस ऐसा वायरस है जो न तो आम व्यक्ति को नज़र आता है न पुलिस को न ही किसी खुफिया एजेन्सी को नज़र आता है इस लिए इस अदृश्य दुशमन से हम देशवासियो को बिना पहचाने सरकार और डाक्टरो द्वारा बताए गए उपायो को अपना कर इससे बचते रहना है। ़
10 रविवार से सूना है नख्खास का ऐतिहासिक साप्ताहित बाज़ार
लखनऊ। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 25 मार्च से पूरे देश मे लाक डाउन लागू कर दिया गया था देश के प्रत्येक बाज़ार को बन्द कर दिया गया था । लाक डाउन के 40 दिन बीतने के बाद सरकार ने आहिस्ता आहिस्ता लोगों को रियायते दी और नियमो के तहत बाज़ार धीरे धीरे खुलना शुरू हो गए लेकिन पुराने लखनऊ मे सौ साल से ज़्यादा पुरानी ऐतिहासिक नख्खास की बाज़ार लगातार 10 रविवार बीतने के बाद भी नही लगी । लाक डाउन के 68वें दिन भी रविवार है और लाक डाउन की शुरूआत बुद्धवार से हुई थी इस तरह से अब तक 10 रविवार बीत चुके है लेकिन नख्खास की बाज़ार उसी तरह से सूनी है जैसे पहले 9 रविवर सूनी रही। नख्खास की इस ऐतिहासिक साप्ताहिक बाज़ार मे सिर्फ लखनऊ के ही नही बल्कि आसपास के कई ज़िलो के छोटे व्यापारी अपनी दुकाने लगाने के लिए आते थे लाक डाउन ने इन सैकड़ो छोटे व्यापारियो को भी अपने अपने ज़िलो अपने अपने घरो मे ही लाक करके रख दिया। नख्खास की इस ऐतिहासिक साप्ताहिक बाज़ार मे आम दिनो मे भी पैर रखने तक की जगह नही मिलती थी खास कर ये साप्ताहिक बाज़ार रमज़ान के महीने मे और ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती थी । नख्खास की इस ऐतिहासिक साप्ताहिक बाज़ार मे हर रविवार को कारेाड़ो रूपए का व्यापार होता था जो पिछले 10 रविवार से पूरी तरह से बन्द है। लोगो को उम्मीद थी की शायद लाक डाउन के आखिरी रविवार को नख्खास मे रविवार की साप्ताहिक बाज़ार लगे लेकिन प्रशासन ने फिलहाल बाज़ार लगने की अनुमति नही दी जिसकी वजह से 10वां रविवार भी पहले के 9 रविवारो की तरह से ही सूना रहा। हालाकि लाक डाउन के 68वें दिन नख्खास मार्केट की अधिक्तर दुकाने खुली रही लेकिन मार्केट के बाहर सड़क के फुटपाथ पर पुलिस ने न तो किसी पटरी दुकानदार को दुकान लगाने की इज़ाज़त दी और न ही किसी ठेले या खोमचे वाले को ही इजाज़त मिली इस लिए नख्खास का भीड़भाड़ वाला रविवार आज भी सूना ही नज़र नही आया।
मलिहाबाद मे कबूतर पकड़ने के विवाद मे चाकू बाज़ी न कोई गिरफ्तारी न मुकदमा
लखनऊ। मलिहाबाद थाना क्षेत्र के धना खेड़ा मे शनिवार को कबूतर पकड़ने के विवाद मे एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति की पीठ मे चाकू घोंप कर उसे लहुलुहान कर दिया गया । चाकू लगने से घायल हुए व्यक्ति को पहले सीएचसी फिर बलरामपुर अस्पताल मे भर्ती कराया गया लेकिन यहंा हैरत की बात ये रही कि चाकू बाज़ी की इस घटना मे न ही अभी तक कोई मुकदमा दर्ज हुआ है और न ही चाकू मारने वाले की गिरफ्तारी की गई है पुलिस का तर्क है कि घायल हुए व्यक्ति के परिजनो ने किसी के खिलाफ अभी तक कोई तहरीर नही दी है । ऐसे हालात मे जब चाकू बाज़ी की घटना को अन्जाम देने वाले के खिलाफ कार्यवाही नही हुई है तब क्या उसका मनोबल नही बढ़ेगा पुलिस भले ही तहरीर न आने की बात कह कर कार्यवाही से बचती रहे लेकिन चाकू बाज़ी की घटना को अन्जाम देने वाले का मनोबल तो बढ़ ही गया है।
जानकारी के अनुसार पेशे से मज़दूर खुदा बख्श अपनी पत्नी अंगूरी बेटे मुश्ताक, कल्लू और अज़ीज़ के साथ मलिहाबाद थाना क्षेत्र के धना खेड़ा मे रहते है। शनिवार को उनके घर के बाहर रख्खे पिंजरे मे बन्द कबूतर को उनके पुत्र अज़ीज़ ने यहीं के रहने वाले कलीम के पुत्र इकरार को पिंजरे से निकालते हुए देखा तो अज़ीज़ से इकरार की गाली गलौच हुई । अज़ीज़ से नाराज़ इकरार ने आवेश मे आकर कबूतर के पर हाथ से नोच डाले इस दौरान अज़ीज़ के दोनो भाई और मां भी मौजूद भी मौजूद थी। ज़बानी वाद विवाद के बाद इकरार वहा सें चला गया कुछ देर बाद इकरार वापस आया और इज़ीज़ की पीठ मे इकरार ने चाकू घोंप दिया। चाकू के हमले मे अज़ीज़ लहुलुहान होकर गिर गया सूचना पाकर मलिहाबाद पुलिस मौके पर पहुॅची और घायल को सीएचसी पहुॅचाया जहंा से उसे बलरामपुर अस्पात भेज दिया गया। इस सम्बन्ध में इन्स्पेक्टर मलिहाबाद सियाराम वर्मा ने बताया कि अज़ीज़ को घायल अवस्था मे बलरामपुर अस्पताल मे भर्ती कराया गया है है उन्होने बताया कि अज़ीज़ के परिजनो की तरफ से कोई तहरीर नही मिली है इस लिए न तो मुकदमा दर्ज है और न ही कोई गिरफ्तारी हुई है। । सीओ मलिहाबाद नईमुल हसन ने बताया कि अज़ीज़ और इकरार एक ही मोहल्ले के रहने वाले है और शायद आपस मे रिश्तेदार भी है उन्होने बताया कि पीड़ित की तरफ से कोई तहरीर न मिलने की वजह से मुकदमा दर्ज नही किया गया है उन्होने कहा कि पुलिस अपनी तरफ से आपसी विवाद मे मुकदमा नही दर्ज कर सकती है उनका कहना है कि लूट हत्या जैसी घटनाए जिसका वादी न हो उस घटना मे पुलिस अपनी तरफ से मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है। भले ही मलिहाबाद मे हुई चाकू बाज़ी की इस गम्भीर घटना को पुलिस आपसी विवाद बता कर तहरीर न आने का बहाना बता कर कार्यवाही से बचती रहे लेकिन ये भी सच है कि चाकू बाज़ी जैसी घटना को अन्जाम देने वाले इकरार पर कार्यवाही न होने से उसका मनोबल बढ़ेगा । बताया जा रहा है कि अज़ीज़ को मामूली से विवाद के बाद चाकू मार कर घायल करने वाला इकरार दबंग किस्म का है । अक्सर देखा गया है कि पुलिस ऐसे लोगो को धारा 151 के तहत गिरफ्तार करती है जिससे या तो शान्ती भंग की आशंका होती है या फिर शान्ती भग होती है इकरार ने तो शान्ती भंग करते हुए चाकू बाज़ी की घटना को अंजाम दे दिया फिर भी पुलिस ने उसके खिलाफ शान्ती भग की कार्यवाह करने तक की ज़हमत नही की।
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