हाई कोर्ट ने अपने फैसले में व्याख्याता पद में पदोन्नति के लिए सरकार द्बारा बनाए गए नियम को असंवैधानिक बताया

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हाईकोर्ट ने व्याख्याता के पद में पदोन्नति के लिए राज्य सरकार द्बारा बनाए गए नियम को असंवैधानिक घोषित किया है। कोर्ट ने कहा शिक्षक के गुणवत्ता कम करना शिक्षा में गिरावट है। इसके साथ कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए बीएड डिग्री धारक शिक्षकों को व्याख्याता के पद में पदोन्नति प्राप्त करने के लिए पात्र घोषित किया है। शुक्रवार शाम दिए गए एक निर्णय में न्यायालय ने अन्य निम्नतर योग्यता वाले अभ्यथियों को पदोन्नति सूची से अलग करने कहा है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि शिक्षक की गुणवत्ता कम करना शिक्षा में गिरावट है। मामले की सुनवाईं चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डबल बेंच में में हुई।

याचिकाकर्ता श्रवण कुमार प्रधान, संजय कुमार समेत अन्य की नियुक्ति पंचायत में शिक्षाकर्मी के पद पर हुई थी।वर्ष 2018 में राज्य शासन ने 8 वर्ष की सेवा पूरा करने वालों का संविलियन कर शिक्षा विभाग में शिक्षक एलबी के पद पर पदस्थ किया। राज्य सरकार ने शिक्षक एलबी को व्याख्याता के पद पर पदोन्नति प्रदान करने नियम बनाया।इसमें कहा गया कि व्याख्याता के 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती एवं 50 प्रतिशत पद अनुभव के आधार पर पदोन्नति से भरा जाएगा। इसके खिलाफ याचिका लगाई गई थी।याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता बीएड डिग्रीधारक होने के साथ व्याख्याता के सभी योग्यता को पूरा करते हैं।

हाई कोर्ट ने सुनवाई उपरांत अपने आदेश में कहा कि शिक्षक के पद में भर्ती होने वाले की न्यूनतम योग्यता राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (बीएड) एनसीटीई द्बारा तय की गई है। राज्य सरकार उक्त आवश्यकता को कम नहीं कर सकती। लेक्चरर पद पर प्रमोशन के लिए बीएड की योग्यता. एनसीटीई के तहत बनाए गए 2014 के विनियमों के साथ असंगत है। हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए आवश्यक योग्यता बीएड शिक्षक और प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक डीएड, डीएलएड आवश्यक योग्यता है। व्याख्याता पद के लिए आवश्यक योग्यता बीएड है।प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षक का होना जरूरी है। उपरोक्त चर्चाओं के मद्देनजर, विवादित प्रावधान नियमों के तहत अधिनियमित अनुसूची के क्रमांक 14 के कॉलम 3 छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा के 14 एवं 15(शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 को असंवैधानिक और अधिकारेतर घोषित किया गया है।

इस प्रकार यह माना जाता है कि जिन उम्मीदवारों के पास बी.एड डिग्री है वे व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र हैं। शिक्षक/प्रधानाध्यापक का पद, प्राथमिक विद्यालय (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) एनसीटीई द्बारा बनाए गए विनियम 2014 के अनुसार जिनके पास बीएड डिग्री नहीं है वे व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र नहीं हैं। बी.एड डिग्री की योग्यता एक आवश्यक योग्यता है व्याख्याता का, जो मुख्य रूप से हाई स्कूलों और उच्चतर में शिक्षा प्रदान करता है। व्याख्याता की योग्यता को कम नहीं किया जा सकता। डीएड अथवा प्रशिक्षित का समावेश व्याख्याता पद के लिए शिक्षक की योग्यता कम करना उच्च स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट है।

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