लता सुर गाथा

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एस.एन.वर्मा
रजतपट की मशहूर गायिका पर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में उनके ऊपर लिखी किताब ष्तला सुरगाथाष् के विमोचन के अवसर पर उनके बारे में वृहद चर्चा हुई। लता की तारीफ कुछ शब्दों में समेटी नहीं जा सकती। उनके उन पर डोगरी कवित्री पद्ासचदेव ने भी एक किताब लिखी है जिसका नाम है। ऐसा कहां से लाऊ। वाकई उनके जोड़ का अभी तक कोई गायिका नहीं निकली है। संगीतकार ओ पी नैय्यर ने कहा था। लता जैसी गायिका 100 साल में पैदा हो पाती है। उनकी तारीफ तो सभी करते है। उन्होंने हर भाषाओं के गीत गाये है। हर अवसर के गीत गाये है। उनके कुल गीतों की संख्या लगभग 26,000 आती है। आश्चर्य होता है एक इन्सान की इतनी लम्बी फेहरिस्त पर।
जयपुर लिटरेयर फेस्टिवल में लता सुर गाथा के विमोचन पर मशहूर फिल्मी गीतकार गुलजार ने बहुत ही सटीक बात कही है। भारतीयों के जीवन का हिस्सा बन गई है लता की आवाज हर इन्सान के जीवन का हिस्सा बन गई है और यह बात लोगों को पता तक नहीं थी। सुबह पूजा हो, या शादी ब्याह होली, रक्षा बन्धन हो उनकी आवाज हर त्योहार का हिस्सा हो जाती है। उनके बाद ऐसा कोई भी नहीं कर पाया। इसी दौरान लता के साथ एक गाने को लेकर अपनी बात बतायी। उन्होंने एक गाना लिखा जिससे बोल थे ष्आपकी आंखो में कुछ महके हुये से राज है, आपकी बदमाशियों पे ये नया अन्दाज हैष् गाने की धुन पंचमदा बना रहे थे। बोले कि बदमाशियों शब्द दीदी को पसन्द नही आयेगा। लता के बारे में यह मशहूर था कि वे अश्लील शब्दों वाले गाने नहीं गाती है। शुरू के दिनांे में उन्हें एक गाना बहुत मशहूर शायर का लिखा गाना गाने को मिला गाने के बोल थे मेरे जोबना का देखा उभार पिया, लता ने इसे अश्लील बता गाने से मनाकर कर दिया था। पर बुहत मनाने के बात मान गयी गा दिया, पर यह वह चेतावनी भी दे दी अब इस तरह के गाने आयेगे तो मैं नही गाऊगीं। इसके बाद उनके द्वारा गाये जाने वाले गानो के बोल पर ध्यान दिया जाने लगा अश्लील लगने वाले शब्दो का इस्तेमाल नहीं किया जाने लगा।
सम्भवतः पंचम दा के दिमाग में इसी बात की गंूजं रही होगी उन्होंने गुलजार साहब से कहा दीदी को बदमाशियां शब्द पसन्द नहीं आयेगा। उन्हें डर था दीदी गाने से मना न कर देंगी। गुलजार साहब बताते है फिर उन्होंने पंचम दा को समझाया। यह वल्गर नहीं बोलचाल का शब्द है जब गाने की रिकार्डिग होने लगी तो लता जी ने कहा लाइनों में यही शब्द तो नया है। ऐसे नये शब्द मुझे गाने को नहीं मिलते है।
पिता उनके बहुत बडी नाटक कम्पनी चलाते थे। असमय में मृत्यु हो गयी तो उम्र में बहुत छोटी लता पर परिवार का भार आ गया। शुरू में कुछ फिल्मों में काम भी किया पर वह उन्हें रास नहीं आया छोड़ दिया। छोटी उम्र में उन्हें लेकर संगीतकार नाशाद नही संगीतकारो के पास दौड़ते रहे, पर सब उनकी आवाज को बचकानी कहकर रिजेक्ट कर देते थे। उन्हीं दिनों की बात संगीतकार नौशाद बताते है जब लता ने उनकी फिल्म में गाना गया तो मेहनताने के रूप में 61 रूपये 10 आना दिलवाया। इतने रूपये अपने हाथ में देखकर वह कापने लगी और रोन लगी। इतना पैसा एक साथ उन्होंने कमी देखा नहीं था। आज लता मिथक बन गई है। उनका संघर्ष रंग लाया। काफी उन्हें संघर्ष करना पड़ा शुरू में वह मशहूर गायिका नूरजहां की नकल करती थी क्योकि उन दिनों उन्हीं जमाना था। फिर महल फिल्म का गाना आयेगा आने वाले गाया जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। मशहूर शास्त्रीय गायक बड़े गुलाम अली ने कहा था जो असर हम तीन घन्टे गाने के बाद पैदा करते हैं लता तीन मिनट में वह असर पैदा कर देती है। आज वो हमारे बीच नहीं है पर उनकी याद में बहुत सी संस्थायें और स्मारक बन रहे है। उनके नाम पर कुछ अवार्ड भी स्थापित किये गये है। अभी तो यह शुरूआत।
लालजी को बचपन में बहुत बुरी तरह चेचक निकल आयी थी। बाल झड़ गये थे। उनकी मां जिन्हें सब माई कहते है और उनकी मौसी ने उनकी अथक सेवा की। उनके इतने लम्बे बाल हो गये कि बैठने पर जमीन छूने लगते थे। चेहरे पर चेचक को मोटे-मोटे दाग हो गये थे रंग भी दबकर काला हो गया था।
इन सब के बीच उनके गले की मिठास ने उनकी गायकी को उरोज पर पहुचा दिया था। स्वरलहरी अभी गूंजती रहती है। लगता है लता दीदी ऊपर से झांक रही है और गानो के सितारे लुटा रहीं है। दीदी तुम्हें और तुम्हारी प्रतिभा को कोटि-कोटि प्रमाण धरती पर जल्दी आईये दीदी इन्तजार सदीयों तक होती रहेगी जब तक आप नहीं आयेगी।

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