गुलाबी एवं नीली गोली खिलाने के बताए गए तरीके

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अवधनामा संवाददाता

विफ्स कार्यक्रम के तहत शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को किया प्रशिक्षित

ललितपुर। साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड सपूरण (विफ्स) कार्यक्रम के तहत शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया। इसमें एनीमिया होने के कारण एवं इससे रोकथाम के उपाय बताते हुए गुलाबी एवंनीली गोली खिलाने का तरीका बताया गया। आरबीएसके डीईआईसी मैनेजर डॉ. सुखदेव ने बताया कि जनपद में एनीमिया की रोकथाम के लिए साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड सम्पूरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत 10-19 वर्ष के सभी किशोर-किशोरियों के लिए साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड सपूरण (विफ्स) कार्यक्रम तथा 5-10 वर्ष के सभी बच्चों के लिये विफ्स जूनियर कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस विभाग के परस्पर सहयोग से संचालित किया जा रहा है। जूनियर विफ्स कार्यक्रम में बच्चों को गुलाबी गोली एवंविफ्स कार्यक्रम में नीली गोली सप्ताह में एक बार खाना खाने के एक घंटे के बाद विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्रों में सभी बच्चों को दी जाती है। किशोरावस्था 10-19 वर्ष की आयु में किशोरों में शारीरिक एवं मानसिक विकास और परिवर्तन तेजी से होते है। इन परिवर्तनो से स्वास्थ्य एवं वृद्धि प्रभावित होती है। ऐसे में पोषण पर ध्यान देने की विशेष आवश्यकता है। वरना,एनीमिया की एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो जाती है जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक क्षमता को भी विपरीत रूप से प्रभावित करती है। एनीमिया से शरीर में थकान महसूस होने लगती है। इसके अलावा कमजोरी, स्फूर्ति कमी, आलस्य, मुँह में छालें, ओठ का फटना, सांस फूलना, सिर दर्द, खेल और पढ़ाई में मन न लगना,एकाग्रता में कमी, सीखने की क्षमता में कमी एवं संक्रमण का बार-बार होने जैसे दुष्प्रभाव नजर आने लगते हैं। साथिया केंद्र के काउंसलर राजेंद्र मिश्रा ने बताया कि भारत की आधी से अधिक जनसंख्या एनीमिया से पीड़ित है। रक्त में आवश्यक स्तर से कम हीमोग्लोबिन की मात्रा होने की स्थिति को एनीमिया कहते हैं। एनीमिया के कारण आयरन की कमी हो जाती है,साथ ही शरीर में लगातार खून का क्षय होने लगता है। इसके अलावा विटामिन बी12, फॉलिक एसिड, विटामिन सी की कमी हो जाती है। इस समस्या से बच्चों व किशोर किशोरियों को छुटकारा दिलाने के लिए विफ्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रशिक्षण में शिक्षक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
ललितपुर में बच्चों व किशोरियों के एनीमिया की स्थिति सुधरी
ललितपुर जिले में बच्चों व किशोरियों के एनीमिया की स्थिति में सुधार दिख रहा है। वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 4 के सर्वे के मुताबिक 6 से 59 माह के 75.8 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित थे । वही वर्ष 2019-21 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)5 के सर्वे के मुताबिक 56 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं। इसी तरह वर्ष 2015-16 में (एनएफएचएस) 4 के सर्वे के मुताबिक 15 से 19 वर्ष की 54.3 प्रतिशत किशोरी एनीमिया से ग्रसित थी। वही अब वर्ष 2019-21 में (एनएफएचएस) 5 के सर्वे के मुताबिक 42 प्रतिशत किशोरी एनीमिया से ग्रसित हैं ।

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