गणतंत्र दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन व मुशायरा सम्पन्न

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ललितपुर। कौमी एकता की प्रतीक साहित्यिक संस्था हिंदी उर्दू अदवी के तत्वाधान में पं.रामप्रकाश शर्मा की निवास पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता कवि काका ललितपुरी ने की एवं विशिष्ट अतिथि डा.खेमचंद कबीर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने कहा हिंदू मुस्लिम सिख इसाई पूछ लो हर इंसान से देश फतवो से नही ये चलता है संविधान से। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुये कवित्री सुमनलता शर्मा चांदनी ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि नमन शहीदो को हम करें यादों के दीप जलाएं हुए देश के जो शहीद उनको शीश झुकाएं। क्रांतिकारी अशोक ताम्रकार ने गीत पढ़ते हुए कहा जिन्होंने देश के लिए जान दी वह शहीद हो गए, जिन्होंने देश के जान ली वह अमीर हो गए। राधेश्याम ताम्रकार ने गजल पेश करते हुए कहा मजहब जुदा जुदा सही बतन एक है, धूल के रंग रंग के चमन तो एक है। रामस्वरूप नामदेव अनुरागी ने गीत पढते हुये कहा जिसे खूब सराहा गया बली बेदी पर बीरो ने शीश चढाए है। मां के भक्तों ने कई कष्ट उठाए है। प्रशांत श्रीवास्तव ने शहीदों को श्रद्धांजलि करते हुए कहा जिनके सिंदूर सरहदों पे विश्व घर कर जाते हैं, बही सुबह की ललियों में उभर कर आते है। आज की इस ऐतिहासिक देश भक्ति के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा.खेमचंद कबीर ने वतन प्रस्तों को शहर पढ़ते हुए कहा यह कर जाए, तू जाए मैं कश्मीर न जाने देंगे, तेरी आज की खातिर मेरे वतन तेरी शान नहीं जाने देंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काका ललितपुरी ने संदेश देते हुए कहा संविधान के साथ ही लागू है एक रहो तो शेफ है ऐसा मंत्र।

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