अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। कड़कनाथ मुर्गी जिसे कालामासी भी कहा जाता है, कम कोलेस्ट्रॉल और अधिक विटामिन्स व मिनरल्स से भरपूर मुर्गी की एक प्रजाति है। इस नस्ल का मूल स्थान मध्य प्रदेश का धार और झाबुआ जिला है ढ्ढ मांस की अच्छी गुणवत्ता होने के कारण ग्रामीण किसानो/ महिलाओं को इससे अधिक आय प्राप्त होती है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बांदा कृषि एवं बांदा के माध्यम से कृषि विज्ञान केंद्र ललितपुर द्वारा जिलेके दावनी, बरखेरा और खाईखड़ा गांवो के अनुसूचित जाति के 40 किसानों/ग्रामीण महिलाओं को कड़कनाथ नस्ल के 25-25 चूजों का वितरण किया गया था। यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के एस.सी., एस. पी. परियोजना के तहत जिले में चलाया जा रहा है। इसकी जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डा.मारूफ अहमद ने दी। कड़कनाथ मुर्गी को सबसे अच्छी मांस वाली मुर्गी के नाम से जाना जाता है। इसके मांस में 25 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत कम 60 मिली. ग्राम./100 ग्राम और वसा की मात्रा 0 .73-1 .05 प्रतिशत होती है। वहीं ब्रायलर मांस में प्रोटीन 18 -20 प्रतिशत, वसा की मात्रा 13 -25 प्रतिशत और कोलेस्ट्रॉल 218 मिली. ग्राम./100 ग्राम. पाया जाता है ढ्ढ यही कारण है की इसके मांस का औषधीय मूल्य अधिक होने से मंहगा बिकता है ढ्ढ यह मुर्गी विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी और अधिक तापमान को भी सहन करने की क्षमता रखती हैं ढ्ढ ये मुर्गियां 6 माह की उम्र में अंडा देना प्रारम्भ करती हैं और वर्ष में 90 -100 अंडे देती हैं। बाजार में इनके मांस की कीमत 500-600 रुपये प्रति किलो. ग्राम. होती है। इन्हीं बातों और ललितपुर की जलवायु को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना जिले के अनुसूची जाति के किसानो हेतु चलायी जा रही है ताकि ग्रामीणों को मुर्गी पालन से अधिक आमदनी मिल सके। यह परियोजना बाँदा कृषि एवं बांदा के निदेशक प्रसार डा.एन.के. बाजपेयी, सह-निदेशक डा.आनंद सिंह और केंद्र के पशु पालन विशेषज्ञ डा.मारूफ अहमद की देखरेख में चल रही है।