सुनील कुमार यादव, (किडीहरापुर बलिया)
इसराइल- हमास के एक सप्ताह के संघर्ष विराम को आगे बढ़ाने पर बातचीत विफल हो गई है।प्रत्येक पक्षसंघर्षविरामविफलता के लिएएक दूसरे पर आरोप लगायाहै।हमास के साथ संघर्ष विराम समाप्त होने के बाद इजरायल ने फिर से गाजा पट्टी पर हमले तेज कर दिए हैं।अब इजराइल का मकसद है कि वह गाजा पर हमले को अंतिम चरण तकपहुचायेगेइसराइल के राजनीति नेतृत्व को इससे पहले रूस- यूक्रेन युद्ध,अमेरिका द्वारा इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के विरुद्ध युद्ध,9/11 के हमले आदि पूर्व घटनाओं पर चिंतन करके कुछ सबक लेने की जरूरत है। ऐसे कथन के पीछे हमास के प्रति मेरी कोई सहानुभूति नहीं है।लेकिन इसराइल,हमास को पृथ्वी से मिटाने के अपने लक्ष्य मेंगाजा में फंस सकता है।
प्राचीन दार्शनिक कन्फ्यूशियस ने कहा था-“बदला लेने की यात्रा शुरू करने से पहले दो कब्र खोदो, एक अपने दुश्मन के लिए और एक अपने लिए।” इसराइल को कन्फ्यूशियस की इस कहावत पर विचार करना चाहिए।इसराइल के एक मंत्री का कथन रहा है-“ हमास को पृथ्वी के चेहरे से मिटा देना है”अंध क्रोधी इजराइल का यह लक्ष्य एक अप्राप्त लक्ष्य प्रतीत होता है।इसराइल एवं हमास दोनों को सोचना चाहिए कि कैसे अमेरिका ने यूक्रेन को चने के झाड़ पर चढ़ायाऔर शक्तिशाली रूस का भी यूक्रेन जैसे छोटे देश केसाथ कैसे इतना लंबा और अनिर्णायक युद्ध चला।अमेरिका,अफगानिस्तान और इराक में बदला लेने और राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए दो-दो युद्ध लड़ा।यदि इन युद्धों को शुरू करने से पहले अमेरिका आत्म मंथन किया होता तो वह अफगानिस्तानतथा इराक में फंसा हुआ महसूस नहीं किया होता ।अमेरिका को 9/11 के हमले का सामना करना पड़ा।इसराइल को यह भीसोचना चाहिए कि इतिहास स्वयं को दोहराता है।स्वयं अनुभव करके सीखने की बजाय ऐतिहासिक घटनाओं से अनुभव लेते हुए इसराइल को गाजा पट्टी में कोई भी कदम उठाने से पहले गहन विचार करना चाहिए।क्या इसराइल हमास को पूरीसमाप्त कर सकता है?संभवत नहीं ।क्योंकि हमास एक व्यक्ति नहीं बल्कि आंदोलन है।
इसराइल ने 10 लाख से अधिकगाजा नागरिकों को लड़ाई से दूर करने के लिए उतरीगाजासे दक्षिणी गाजाकी तरफ धकेल दिया है ताकि वह कम से कम नागरिकों को हताहत करते हुए हमास के विरुद्ध अभियान चला सके। लेकिन उसे हमास के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने के लिए दक्षिणीगाजा मैं विस्थापित लोगों के समूह से होकर उन्हें हताहत करते हुए खान यूनिस की सुरंग तक पहुंचना होगाजहां हमास नेतृत्व के छिपे होने की संभावनाहै लेकिन बिडेन प्रशासन का इसराइल पर दबाव है कि कम से कम जान माल का नुकसान हो।इस तरह इजराइल अब खुद को कठिन परिस्थिति में डाललिया है।
इसराइल हमास संघर्ष का भविष्य-7 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ इसराइल- हमास संघर्ष का अंतिम परिणाम क्याहोगा? क्या इसराइल इस युद्ध को अधिक समय तक जारी रख पाएगा? यदि इसराइल हमास को समाप्त भी कर देता है तो उसके बाद गाजा पट्टी में कैसे राजनीतिक हालात होंगे?
ईरान भी इसराइल पर दबाव बनाए हुए हैं।ईरान समर्थित हिजबुल्ला के लड़ाके लगातार लेबनान की सीमा से इसराइल पर हमले कर रहे हैं ।अमेरिका ब्रिटेन सहित पश्चिम के देश हिज्बुल्लाहको आतंकी संगठन मानते हैंजबकि हिज्बुल्लाह ईरान द्वारा प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से समर्पित मान्यता प्राप्त संगठन है।इजराइल के अभी भी लगभग 130 नागरिक हमास के पास बंदी हैं।इन बंधकों के सगे संबंधी उनकी रिहाई के लिए इजरायली पीएम बेंजामिननेतन्याहू पर दबाव डाल रहे हैं।इसके अतिरिक्त हमास ने अमेरिका,ब्रिटेन तथा फ्रांस के भी कुछ लोगों को बंदी बना रखा है ।ये देश भी अपने नागरिकों की सुरक्षित रिहाई के लिए इसराइल पर युद्ध विराम के लिए दबाव बनना प्रारंभ कर देंगे।गाजा की कुल आबादी 20 लाख है।इसराइल पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से दबावपड़सकता है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हमास चरमपंथियों को मार गिराने के लिए इजरायल गाजा पट्टी के सभी लोगों की जान माल को खतरे में नहीं डाल सकता।क्या अमेरिका सहित उसके पश्चिमी सहयोगी देश ऐसी स्थिति में भी इजराइल का समर्थन करते रहेंगे?
इसराइल हमला और तेज करने की तैयारी में है।वह गाजा पट्टी के लोगों कोइलाका छोड़कर जाने के लिए विमान से पर्ची पर संदेश गिरा रहा है।ताकि हमास के विरुद्ध कार्रवाई में कम से कम नुकसान हो ।ऐसे में मिश्रऔर जॉर्डन आदि देशगाजा से आने वाले शरणार्थियों को लेकर इसराइल को चेतावनी दे रहे हैं इस परिस्थिति में वही हो सकता है जो 1971 ई केबांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय हुआ था।शरणार्थी समस्या से परेशान होकर भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर आक्रमण कर दिया था।उसी प्रकार इजरायल के मिश्र जॉर्डन आदि पड़ोसी देश शरणार्थी समस्या के बहाने इजरायल के विरुद्ध संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से कूद पड़ेंगे।भारत में यदि कोई चरमपंथी हमला होता है तो भारत गुस्से में बदला लेने के लिए पूरी कश्मीर घाटी यापाकिस्तान पर हमले नहीं करता।बल्कि केवल चरमपंथियों को ही निशाना बनाने की कोशिश करता है।चरमपंथी हमले के बदले भारत द्वारा पाकिस्तान परयदि हमला हो भी तो उस हमले को अमेरिका समर्थन कभी नहीं देगा।लेकिन हमास हमले के बदले में इजरायल द्वारा पूरीगाजापट्टी पर हमले का अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कररहाहै ।लोगों को अमेरिका के इस दोहरे चरित्र को समझना चाहिए। लेकिन यदि इसराइल हमास को पूरी तरह समाप्त कर भी देता है तो उसके बादगाजा पट्टी पर किसका शासन चलेगा? कई जानकार मानते हैं कि जिस प्रकार इराक से सद्दाम को हटाना अमेरिका द्वारा एक बड़ी गलती थी क्योंकि उसके बाद तो इराक में और अधिकअराजकता फैल गई और अमेरिका स्वयं को इराक में फंसा हुआ महसूस करने लगा, वैसे ही क्या हमास को गाजासे हटाकरइजरायल गाजा में स्वयं को फंसा हुआ महसूस नहीं करेगा।इसराइल हमास के प्रमुख नेताओं को तो मार सकता है,लेकिन क्या हमास आंदोलन को हमेशा के लिए कुचल सकता है?
गाजाकीउलझन-इसराइल-हमास संघर्ष में यदि हमाससमाप्त होजाता है तो इसराइली सैनिकजब गाजा पट्टी छोड़ेगे तो इजरायल गाजा का शासन किसको सौंपेगा? इजरायल के लिए गाजाका एक ऐसा शासक ढूंढना कठिन होगा जिसे मिश्र सऊदी अरब और अमेरिका सहित सभी का समर्थन प्राप्त हो।हो सकता है हमास के विरोधी पक्ष फतह के किसी नेता को गाजा पट्टी में इराक की तरह बंदूक तले मतदान कराकर सत्ता सौंपदीजाए ।इस समय राजनीतिक गुट फतह का ही फ़लीस्तीनी प्राधिकरण पर शासन है ।किंतु फिलिस्तीन प्राधिकरण के नेता महमूद अब्बास अब वृद्ध हो चुके हैं।महमूद अब्बास अब अपना जनमत भी फलस्तील क्षेत्र में खो चुके हैं ।फतह के अन्य नेता यह नहीं चाहते कि गाजा के लोग उन्हें इजरायल के एजेंट के रूप में देखें ।फिर कौन शासक होगा जिसे गाजाके लोग पसंद करें।यह तो निश्चित है किफतह की सरकारगाजापट्टी में सफल नहीं होगी, क्योंकि गाजा के लोगफिलिस्तीन तथासंपूर्ण विश्व जानता है किफतहइजरायल के हाथों की कठपुतली है।ऐसा भी हो सकता है कि इसराइल स्वयं वहां रहकर सरकार चलाएं, लेकिन ऐसा भी संभव नहीं है क्योंकि 2005-06 में इसराइल ऐसा करके देख चुका है।इजराइल को 2005-6 में गाजा से वापस लौटना पड़ा था ।इसलिए इसराइल को यह कहने से पहले कि हमास को पृथ्वी के चेहरे से मिटा देना है, इस पहलू के पक्ष और विपक्ष दोनों पर गहराई से आत्म चिंतन करनालेना चाहिए।