इन्दिरा गांधी का मानना था कि राजनीति को पृथ्वी के मानव जीवन की सेवा करनी चाहिए

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अवधनामा संवाददाता

आयरन लेडी इन्दिरा गांधी जयंती विशेष

ललितपुर। देश की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की जयंती पर आयोजित एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो.भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि इन्दिरा गांधी की मोहक मुस्कान कश्मीर की नरम धूप बिखेरती सी लगती थी। उनका मनोहर चेहरा मानो पूरब और पश्चिम की जनजातियों और लोगों के व्यापक स्थानांतरणों की अशांत लहरों का सा था। उनका गम्भीर रूप, उनकी आकर्षक दृष्टि और उनका सुसंस्कृत व्यवहार हमारे हृदयों को सहज ही जीत लेते थे। लेकिन सिर्फ उनके नारी सुलभ गुण उनकी छवि को अविस्मरणीय बनाते थे, ऐसी बात नहीं थी। पृथ्वी पर सुख -समृद्धि और राष्ट्रों के बीच अमन-चैन के लिए इन्दिरा गांधी के अमर प्रयत्न उनके व्यक्तित्व के मूल तत्व थे। इसी कारण दुनिया के लोगों के बीच अपने समय की प्रथम महिला के रूप में समादृत थीं और इसी कारण एक महान शक्ति का नेतृत्व करने में उन्होंने हिमालय की ऊंचाईयों का स्पर्श किया। जब इन्दिराजी लालबहादुर शास्त्री जी के मंत्री मण्डल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री थीं तब कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण के समय उनकी चुस्ती-फुर्ती की एक झलक तब के विदेशी समाचार पत्रों की देखिए बूढ़ी नारियों की मंत्री परिषद् में अकेली वही पुरुष हैं। इन्दिरा गांधी की कार्य -भूमि राष्ट्रीय और विश्व राजनीति थी। वह पक्के तौर पर यह मानकर चलती थीं कि राजनीति को पृथ्वी के मानव जीवन की सेवा करनी चाहिए।

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