इस्लाम के भारतीयकरण की तारीफ

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

 

चौकिये मत यह मेरा अपना विचार नहीं है। यह मुस्लिम देशों द्वारा दिये गये और लिखे गये विचार है। जो लोग यह कह देते है भारत में इस्लाम खतरे में है उन्हें ज़रूरइस लेख को पढ़ना चाहिये। महज़बी तूफानों के बीच यह सुखद हवा का झोका है।
संयुक्त अरब अमीरात में एक किताब प्रकाशित हुई है। नाम है धर्मशास्त्र, न्यायशास्त्र और समकालीन परम्परा इस्लाम का भारतीयकरण किताब का प्रकाशन यूएई के उभरते बहुसांस्कृतिक सोच को भी रेखांकित करता है। विश्व मुस्लिम समुदाय परिषद के तहत प्रकाशित किताब में इस्लाम के किसी एक रूप को न मानते हुये उसके क्षेत्रीय रूपों को भी अहमियत देने की बात कही गई है।
यूएई के इस मुस्लिम परिषद के विद्वान शोधकर्ता डाक्टर अब्बास पनक्कल ने कहा है कि मात्र अरब संस्कृति को इस्लाम के रूप में बढ़ावा देने में इस्लाम के सिर्फ एक स्वरूप को मानने में तरह तरह की समस्यायें है। यह बहुत ही व्यवहारिक और उपयोगी नजरियां है। जो इस्लाम को लेकर फैली गलतफहमिंयो पर लगाम लगायेगी उनके भ्रान्तियों को दूर कर सकेगी।
यह किताब किसी एक व्यक्ति द्वारा नही लिखी गयी है। इसे अलग अलग देशों और क्षेत्रों के सक्रिया मुस्लिम विद्धानों ने बड़ी मेहनत और इमानदारी से लिखी है। इसमें विचारों को थोपने की कोशिश नहीं की गई है न तो फरमान जारी किया गया है। वर्तमान मजहबी उथलपुथल के माहौल में जिस मेहनत और निष्पक्षता के साथ यह किताब लिखी गयी है और जिस भौलिकता के साथ लिखी गयी उसकी जितनी तारीफ की जाय कम है। इस समय इस किताब की उपयोगिता बहुत काम की है।
किताब में विद्वानो ने लिखा है इस्लाम हिन्दुस्तानी जमीन पर कैसे पहंुचा। यह भी बताया है हिन्दुस्तानी जमीन पर कैसे पहंुचा। यह भी बताया है हिन्दुस्तानी संस्कृति और कला में कैसे घुल मिल गया। उनके मुताबिक मस्जिदों के वास्तुकला में भी हिन्दुस्तान का छाप है। अभी तक यह मान्यता बनाई जाती रही है कि यवन हमलावर इस्लाम अपने साथ भारत में ले आये। पर पुस्तक के विद्वानों को मत है कि भारत में इस्लाम उन व्यापारियों के साथ आया जो न तो धर्म के अधिकारिक प्रतिनिधि थे और न सरकारी ओहदेदार थे।
इस सहजता के साथ हिन्दुस्तान में खासकर इसके केरल प्रदेश में इस्लाम आया। सदियों से हम केरल में इस्लाम का अलग रूप पाते है। पर इस समय वहां भी मजहब के अरबीकरण की कोशिशे हो रही है। ऐसे में यह किताब सही रास्ता दिखने में सक्षम है। ऐसे माहौल के लिये यह किताब बहुत उपयोगी है। पुस्तक से सन्देश निकलता है अरब का इस्लाम अपनी जगह है केरल का इस्लाम अपनी जगह है।
दुनियां में इस्लाम केे कई रूप है। एक खलीफा वाला कट्टर इस्लाम, एक अतातुर्कवाला आधुनिक इस्लाम एक भारतीय इस्लाम भी है जिसकी चर्चा इस किताब में है। किताब बहुत ही उदार रवैया रखती है। लिखती है ऐसे मुस्लिम शासक भी हुये है जिन्होंने मन्दिरों को अनुदान दिये है, गोहत्या बन्द करवाया है, हिन्दुओं को अहम कुर्सियां दी है। यह सांस्कृति मेलजोल बढ़ाने का कारगर तरीका था। इसाईयों और यहूदियों की तरफ मुसलमानों ने भी हिन्दुओं को अपनापन दिया है। कुछ मुस्लिम शासकों ने मुद्राओं पर हिन्दू देवी देवताओं की आकृतियों को मंजूर किया है।
आबूधाबी के स्थित मुस्लिम परिषद का मत है कि भारतीय इस्लाम माडल दुनियां भर के मुस्लिम समुदायों के लिये एक बेहतरीन मिसाल कारगर हो सकता है। यह किताब माडल के रूप में पूरी दुनियां के लिये उपयोगी है। किताब के लेखक और प्रकाशक प्रशंसा और बधाई के पात्र है।
जिक्र किये गये किताब को जरूर पढ़ना चाहिये और लोगो को बताना चाहिये।

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