अंतरिक्ष प्रक्षेपण खंड वर्ष 2025 तक साल दर साल 13 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ेगी जिसमें निजी भागीदारी, नवीनतम प्रौद्योगिकी और किफायती प्रक्षेपण सेवाओं की अहम भूमिका होगी
नयी दिल्ली। भारत में अंतरिक्ष एवं उपग्रह कंपनियों के शीर्ष उद्योग संघ- इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा) ने अपने प्रथम स्थापना दिवस पर ष्इंडियन स्पेस कॉनक्लेवष् में ईवाई के साथ श्भारत में विकासशील अंतरिक्ष पारितंत्रः समावेशी वृद्धि केंद्रितश् शीर्षक से एक रिपोर्ट आज पेश की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष इस्पा को लांच किया था। यह रिपोर्ट भारत में अंतरिक्ष पारितंत्र के विकासशील घटकों को सामने लाती है और इसमें भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के परिदृश्य एवं देश में इससे सामाजिक आर्थिक विकास में तेजी आने की संभावना को कवर किया गया है। इस आयोजन में पृथ्वी विज्ञान, अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, प्रधानमंत्री कार्यालय राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ और उद्योग जगत की हस्तियां शामिल हुईं।
नयी दिल्ली के मानेसशॉ सेंटर में आयोजित ष्इंडियन स्पेस कॉनक्लेवष् में उद्योग जगत से शामिल लोगों ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत, भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को हासिल करने के उपायों और आम आदमी के लिए अंतरिक्ष को सार्थक बनाने जैसे विषयों पर चर्चा की। इस कॉनक्लेव के उपरांत दो दिनों तक प्रदर्शनी चलेगी जिसमें अग्रणी स्पेस स्टार्टअप्स और अकादमिक संस्थानों की तरफ से 24 प्रदर्शकों द्वारा अपने उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे।
इस अवसर पर इस्पा के चेयरमैनजयंत डी पाटिल ने कहा, श्माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इस्पा को लांच किए जाने के एक वर्ष में इसने नीति संबंधी परामर्श, उद्योगपतियों के साथ बातचीत में उल्लेखनीय प्रगति की है। हम हमारी परिचर्चा में विभिन्न मंत्रालयों और संस्थानों की ओर से सहयोग और पूरे साल हमारे सदस्यों की भागीदारी की सराहना करते हैं और हमें यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता है कि इस्पा 50 सदस्यों वाला एक मजबूत संगठन है और महज एक वर्ष में यह संख्या सात से बढ़कर 50 पहुंची है। यह हमारे उन प्रयासों का प्रमाण है जिसे सही दिशा में श्रृंखलाबद्ध किया जा रहा है। अंतरिक्ष पारितंत्र के तेजी से बढ़ने के साथ भारत साल दर साल 6 प्रतिशत की वृद्धि दर से वर्ष 2025 तक 13 अरब डॉलर पर पहुंचने को तैयार है। हमारा मानना है कि चूंकि भारत में नयी अंतरिक्ष नीति आने की उम्मीद है, निजी क्षेत्र की भूमिका भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की मौजूदा मूल्य श्रृंखला में एक क्रांति लाने की होगी।श्
इस अवसर पर अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने कहा, श्मैं समझता हूं कि यह पूरी कवायद जिसे पिछले एक वर्ष में अंतरिक्ष के क्षेत्र में हासिल किया गया है, पिछले कुछ वर्षों का एक विस्तार है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने हमें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया क्योंकि अंतरिक्ष क्षेत्र सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए खुल गया और आज यह क्षेत्र बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स को आकर्षित कर रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत जियोस्पैटियल टेक्नोलॉजी में भी एक बहुत मजबूत देश बनकर उभरा है। मुझे यह जानकार खुशी है कि इस्पा ने उद्योग के विचारों और इसकी भागीदारी बढ़ाते हुए सुधारों को लागू करने में ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाई है।श्
इस अवसर पर अंतरिक्ष विभाग के सचिव एवं इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा, श्हमारा लक्ष्य अंतरिक्ष और भारत का कद परिचालन के मामले में बहुत बड़ा करने का है। भारत एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया है जहां हमें अंतरिक्ष क्षेत्र को अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है और यहां अंतरिक्ष को पूरी तरह से खोलने का विचार ज्ञान के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। डाउनस्ट्रीम एप्लीकेशंस कम जटिल है, लेकिन जब आप ऊपर जाते हैं तो यह बहुत जटिल और मुश्किल हो जाता है। यही वह क्षेत्र है जहां हमें एक दूसरे के सहयोग की जरूरत है और यहीं पूरे अंतरिक्ष की भूमिका आती है। अंतरिक्ष क्षेत्र ढेरांे समस्याएं और जलवायु, मैपिंग, इंटरनेट सेवाओं के महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझा सकता है। इन्हीं कुछ उभरते बाजारों को हम बढ़ता हुआ देखेंगे।श्
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