इंडियन आर्मी खरीदेगी 62,500 बुलेटप्रूफ जैकेट्स

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भारतीय सेना को मिलेंगी घातक स्टील कोर गोलियों से सुरक्षा करने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट, सेना ने निविदा की जारी

नई दिल्ली। भारत में आतंकवादियों द्वारा स्टील कोर गोलियों के इस्तेमाल के खतरे के बीच भारतीय सेना ने अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के लिए 62,500 बुलेटप्रूफ जैकेट प्राप्त करने के लिए निविदा जारी की है। ये जैकेट उन्हें स्टील कोर गोलियों से बचा सकेंगे। रक्षा मंत्रालय ने मेक इन इंडिया के तहत इन जैकेटों के लिए दो अलग-अलग निविदाएं जारी की हैं। जिनमें एक सामान्य मार्ग के तहत 47,627 जैकेटों के लिए और दूसरी आपातकालीन खरीद प्रक्रियाओं के तहत 15,000 जैकेटों के लिए है। जिसे अगले तीन से चार महीनों में अंतिम रूप दिया जाएगा।
जैकेटों की खरीद दो चरणों में की जाएगी
भारतीय सेना अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि 47,627 जैकेटों की दो खरीद चरणों में की जाएगी और इसके अगले 18-24 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। सेना द्वारा सूचीबद्ध विशिष्टताओं में कहा गया है कि बीपीजे एक सैनिक को 7.62 मिमी आर्मर-पियर्सिंग राइफल गोला-बारूद के साथ-साथ 10 मीटर की दूरी से दागी गई स्टील कोर गोलियों से बचाने में सक्षम होना चाहिए।
कश्मीर घाटी में कुछ घटनाओं में आतंकवादियों ने भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में अमेरिकी कवच-भेदी गोलियों का इस्तेमाल किया और सैनिकों की बुलेटप्रूफ जैकेट को तोडऩे में सफल रहे। इन दो निविदाओं के माध्यम से खरीदे जा रहे जैकेट स्तर 4 के होंगे जिन्हें स्टील कोर बुलेट के खिलाफ प्रभावी माना जाता है और सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी अभियानों में तैनात सैनिकों को प्रदान किया जाएगा।
सेना के सूत्रों ने पुष्टि की कि बल यह सुनिश्चित करेगा कि जैकेट भारत में बनाई गई हैं और सामग्री किसी भी विरोधी से नहीं ली गई है।
सेना ने एक लिस्ट बनाई है, जिसमें बताया गया है कि बुलेट प्रूफ जैकेट किन विशेषताओं से लैस होनी चाहिए। सेना के मुताबिक, यह जैकेट सैनिक को 7.62 मिमी आर्मर-पियर्सिंग (कवच को भेदने में सक्षम) राइफल बुलेट और 10 मीटर दूर से दागी गई स्टील कोर बुलेट से बचाने में सक्षम होनी चाहिए।
दरअसल पिछले कुछ समय से कश्मीर घाटी में आतंकवादी भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में अमेरिकी आर्मर पियर्सिंग बुलेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये बुलेट्स सैनिकों की बुलेटप्रूफ जैकेट को फाड़कर निकल गई थीं।
अफगानिस्तान से जाते हुए अमेरिकी सेना ने बड़ी संख्या में आर्मर पियर्सिंग बुलेट्स, एम-16 असॉल्ट राइफलें और एम-4 कार्बाइन वहीं छोड़ दिए। इन्हें तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया। बाद में यही बुलेट्स आतंकियों को सप्लाई कर दी गईं।
जैकेट में इस्तेमाल हर चीज भारत की बनी होगी
दो टेंडर के जरिए खरीदे जा रहे जैकेट लेवल- 4 के होंगे। इन्हें स्टील कोर बुलेट के खिलाफ असरदार माना जाता है। इन्हें सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ऑपरेशन्स में तैनात सैनिकों को दिया जाएगा। सेना के पास जो बुलेटप्रूफ जैकेट्स हैं, उनके मुकाबले लेवल-4 जैकेट एडवांस्ड होंगे। इन पर किसी भी बुलेट्स का असर नहीं होता है।
हालांकि सैनिकों को देने से पहले सेना यह सुनिश्चित करेगी कि सभी जैकेट भारत में बनाई गई हैं और इन्हें बनाने में इस्तेमाल किया गया सामान किसी विरोधी देश से नहीं लिया गया है।

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