अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। सीएमओ सभागार में सांस कार्यक्रम के अंतर्गत निमोनिया संक्रमण की रोकथाम का प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया। इस अवसर पर सीएमओ डा.जे.एस.बक्शी ने बताया कि निमोनिया का संक्रमण होने पर तुरंत बच्चे का उपचार कराना चाहिए। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही बच्चे की जान को खतरे में डाल सकती है। पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की सर्वाधिक मृत्यु निमोनिया से होती है। देश में प्रतिवर्ष निमोनिया से लगभग 1.27 लाख बच्चों की मृत्यु होती है। इसका प्रमुख कारण कुपोषण और गरीबी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 1000 जन्में बच्चों पर पांच साल तक के 47 बच्चों की मृत्यु का कारण निमोनिया है, जिसे 3 से कम पर करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह ट्रेनिंग कराई जा रही है। नोडल अधिकारी डा.डी.सी.दोहरे ने बताया कि स्वास्थ्य के अच्छे एवं सुरक्षित व्यवहार (आदतों) को अपनाकर बच्चों को निमोनिया से सुरक्षित रखा जा सकता है। बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान एवं इसके पश्चात स्तनपान के साथ संपूरक आहार देने से निमोनिया होने एवं निमोनिया हो जाने पर उसकी गंभीरता में कमी आती है।
कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डा.सौरभ सक्सेना ने बताया कि निमोनिया किसी एक या दो फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। यह वैक्टीरियल वायरल और फंगल संक्रमण हो सकता है। इस स्थिति में फेफड़ों के वायु मार्ग में कफ या बलगम इक_ा हो जाता है। इस पर ध्यान नहीं देने से यह खतरनाक रूप ले लेता है। विटामिन ए की खुराक से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। बच्चों में निमोनिया की रोकथाम के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस दौरान खसरे, एम.एम.आर., पेंटाबेंलेंट न्यूमोकोकल के टीके लगवाने से बीमारी एवं मृत्यु का कारण बनने वाले संक्रमण को बहुत कम किया जा सकता है। हाथ धोने एवं स्वच्छता को बढ़ावा देने एवं वायु प्रदूषण कम होने से निमोनिया होने की दर में कमी की जा सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ डा.डीबी सिंह ने बताया कि निमोनिया ग्रस्त बच्चों को उचित उपचार देना जरूरी है। निमोनिया प्रबंधन हेतु गुलाबी, पीले एवं हरे रंगों का उपयोग किया जाता है। गुलाबी रंग में दर्शायी गई स्थिति गंभीर बीमारी का संकेत हैं। गंभीर बीमारी वाले बच्चों को अनिवार्य रूप से अस्पताल या चिकित्सक के पास भेजना चाहिए। पीले रंग में दर्शायी गई स्थिति में बीमारी का उपचार माँ को सलाह देकर एवं घर पर ही दवा देकर किया जा सकता है। हरे रंग में दर्शायी गई स्थिति में बिना दवाओं के उपयोग किए घरेलू देखभाल कर किया जा सकता है। निमोनिया संक्रमण की रोकथाम परइसप्रशिक्षण में आक्सीजन कंसंट्रेटर, पल्स ऑक्सीमीटर, इनहेलर आदि का उपयोग डेमोन्स्ट्रेशन के माध्यम से समझाया गया तथा निमोनिया की पहचान कैसे कि जाये यह विडियो के माध्यम से बताया गया। अंत में सीएमओ ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। इस मौके पर डीपीएम रजिया फिरोज, मड़ावरा ब्लाक की एएनएम, बीपीएम, बीसीपीएम मौजूद रहे।
बीस तक चलेगा प्रशिक्षण
विकासखंड तालबेहट का 15 को, जखौरा का 16 को, बिरधा का 19 को, महरौनी का 20 दिसंबर को प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।