मंत्रिपरिषद द्वारा आज मेसर्स सैमसंग डिस्प्ले नोएडा प्राइवेट लिमिटेड को नोएडा में मोबाइल और आई0टी0 डिस्प्ले उत्पादों की विनिर्माण इकाई की स्थापना हेतु विशेष प्रोत्साहन दिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मेसर्स सैमसंग डिस्प्ले नोएडा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा फेज-2 नोएडा में 4,825 करोड़ रुपए के निवेश से मोबाइल एवं आई0टी0 डिस्प्ले उत्पादों के विनिर्माण हेतु इकाई की स्थापना की जा रही है।
विश्व में टी0वी0, मोबाइल फोन, टैबलेट, घड़ियों आदि में उपयोग होने वाले कुल डिस्प्ले उत्पाद का 70 प्रतिशत से अधिक सैमसंग द्वारा दक्षिण कोरिया, वियतनाम तथा चीन में निर्मित होता है। दक्षिण कोरिया की प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कम्पनी सैमसंग की परियोजना देश में मोबाइल एवं आई0टी0 डिस्प्ले उत्पादों के निर्माण हेतु प्रथम इकाई है जो कि चीन से विस्थापित होकर उत्तर प्रदेश में स्थापित की जा रही है। भारत इससे व्स्म्क् तकनीक से निर्मित मोबाइल डिस्प्ले विनिर्माण वाला तीसरा देश बन जाएगा। डिस्प्ले इकाइयों का प्रस्तावित निवेश मूल उत्पाद का एक ज्यादा लागत वाला हाई टेक्नोलाॅजी कम्पोनेण्ट है, जो बीच की सप्लाई चेन की कड़ी को पूर्ण करने के लिये तथा भविष्य में प्रदेश में डिस्प्ले से सम्बन्धित फैब इकाई की स्थापना हेतु यह इकाई एक मील का पत्थर साबित होगी।
विगत वित्तीय वर्ष 2.7 बिलियन डाॅलर के निर्यात के द्वारा मेसर्स सैमसंग उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा निर्यातक है। सैमसंग ग्रुप ने अगले पांच वर्षों में कुल 50 बिलियन डाॅलर का निर्यात लक्ष्य रखा है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किये गये प्रयासों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक ईको-सिस्टम विकसित हो गया है तथा देश/विदेश में मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्राॅनिक्स उपकरणों की बढ़ती हुई मांग के दृष्टिगत भारत सरकार भी निर्यात हब बनाने हेतु निरन्तर प्रयासरत है।
मेसर्स सैमसंग डिस्प्ले नोएडा प्राइवेट लिमिटेड को केस-टू-केस आधारित विशेष प्रोत्साहन दिए जाने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में गठित सशक्त समिति की अनुशंसा तथा सुझावों पर विचार-विमर्श कर मंत्रिपरिषद के विचारण हेतु अभिमत/संस्तुतियां दिए जाने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी द्वारा तीन वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति गठित की गई थी, जिसकी अनुंशसा के पश्चात मंत्रिपरिषद द्वारा इस इकाई को विशेष प्रोत्साहन अनुमन्य किए गए हैं।
निवेशक को ‘उ0प्र0 इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण नीति-2017’ के अन्तर्गत पंूजी उपादान, भूमि हस्तान्तरण पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट की अनुमन्यता होगी। चीन से विस्थापित होकर उत्तर प्रदेश आ रही इस परियोजना को पूंजी उपादान के लिए भारत सरकार द्वारा निर्गत ‘स्कीम फाॅर प्रमोशन आॅफ मैन्युफैक्चरिंग आॅफ इलेक्ट्राॅनिक कम्पोनेन्ट्स एण्ड सेमीकण्डक्टर्स (ैच्म्ब्ै) योजना के अन्तर्गत निर्धारित मानकों के अनुसार स्थिर पूंजी निवेश में पुरानी मशीनों की लागत को भी अनुमन्य किया जायेगा। इस परियोजना के लिए प्रदेश सरकार पर 5 वर्षों की अवधि में 250 करोड़ रुपए का वित्तीय उपाशय अनुमानित है। प्रस्तावित परियोजना से 1,510 व्यक्तियों हेतु प्रत्यक्ष तथा बड़ी संख्या में अन्य व्यक्तियों हेतु अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। प्रस्तावित निवेश से प्रदेश के इस क्षेत्र को विश्व पटल पर एक निर्यात हब की पहचान प्राप्त होगी जो प्रदेश में अधिक एफ0डी0आई0 लाने में सहायक होगा।
भारत सरकार की योजना ‘स्कीम फाॅर प्रमोशन आॅफ मैन्युफैक्चरिंग आॅफ इलेक्ट्राॅनिक कम्पोनेन्ट्स एण्ड सेमीकण्डक्टर्स ;ैच्म्ब्ैद्ध के अन्तर्गत भी लगभग 460 करोड़ रुपए वित्तीय प्रोत्साहन निवेशक को प्राप्त होगा।
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नियमावली के इन नियमों में संशोधन के पश्चात् खसरे को कम्प्यूटरीकृत करने से सरकार की योजनाओं, दैवीय आपदा राहत कार्य हेतु डाटा शीघ्र उपलब्ध हो सकेगा, विभिन्न न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों को आसानी से दर्ज किया जा सकेगा और सह-खातेदारों के अंश भी वरासत/नामान्तरण के साथ ही दर्ज हो जायेंगे। ग्राम सभा भूमि की विनिमय प्रक्रिया सरल हो सकेगी। खतौनी के कम्प्यूटराइजेशन, वरासत दर्ज करने की ऑनलाइन प्रक्रिया सह-खातेदारों के अंश निर्धारण आदि से जन सामान्य को सीधा लाभ प्राप्त हो सकेगा। इस संशोधन के पश्चात् वरासत दर्ज करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं शुचिता आयेगी तथा पूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन होने के कारण राजस्व निरीक्षक/लेखपाल द्वारा प्रकरण को नियत अवधि के पश्चात अपने स्तर पर लम्बित नहीं रखा जा सकेगा। भूमि प्रबंधक समिति के स्थान पर उपजिलाधिकारी द्वारा भी ग्राम सभा की भूमियों का विनिमय प्रस्तावित किया जा सकेगा। भू-राजस्व से सम्बन्धित प्रकरण डिजिटलाइज्ड होंगे।
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ज्ञातव्य है कि चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में वर्तमान में चिकित्सकों के कुल 19,011 पद सृजित हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के 8,431 पद और एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों के 10,580 पद सृजित हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के वर्तमान में स्वीकृत 8,431 पदों के सापेक्ष केवल 2,922 पद भरे हुए हैं और 65 प्रतिशत पद (5,509 पद) रिक्त हैं।
प्रदेश व अन्य राज्यों में प्रति वर्ष काफी संख्या में विशेषज्ञ योग्यता (स्नातकोत्तर उपाधि) उत्तीर्ण करने के बावजूद, प्रदेश में लक्ष्यानुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि वर्तमान में उ0प्र0 चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा नियमावाली में केवल एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों की ही सीधी भर्ती का प्राविधान है जबकि विशेषज्ञ चिकित्सकों के सृजित 8,431 स्वीकृत पदों के बावजूद उनकी भर्ती के संबंध में कोई विशिष्ट व्यवस्था नहीं है।
नयी नियमावली में संवर्ग में कुल पदों की संख्या यानि 19,011 पद (10,580-एम0बी0बी0एस0 पद एवं 8,431-विशेषज्ञ पद) को यथावत् बनाये रखा गया है। चिकित्सा अधिकारी, ग्रेड दो (स्तर-2) के विशेषज्ञतावार सीधी भर्ती हेतु उपलब्ध पद अथवा संवर्ग में उपलब्ध विशेषज्ञ पदों की कुल संख्या का विशेषज्ञतावार विभाजन (स्तर-2 से स्तर-7 तक) किया गया है। इससे उ0प्र0 लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धतता सुनिश्चित होगी। उत्तर प्रदेश की जन-स्वास्थ्य प्रणाली में वर्तमान में विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता के सापेक्ष उपलब्धता में कमी से जनसामान्य को उपलब्ध करायी जाने वाली चिकित्सीय सेवाओं एवं सुविधाओं को प्रदेश व समाज के अन्तिम छोर तक पहुंचाना शासन की प्राथमिकता है।
जन-स्वास्थ्य प्रणाली में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा अन्तरिम रूप से कई विकल्पों जैसे-वॉक-इन-मॉडल, बिडिंग मॉडल, विशेषज्ञ चिकित्सकों का सूचीबद्धीकरण (म्उचंदमसउमदज), एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों का एल0एस0ए0एस0/ई0एम0ओ0सी0 में प्रशिक्षण एवं स्नातकोत्तर योग्यता को वरीयता, ‘वीडियो-परामर्श’ एवं ‘टेली-परामर्श’ जैसे तकनीकी विकल्पों तथा मोबाइल मेडिकल यूनिट/एम्बुलेंसों आदि के माध्यम से प्रयास किए गये हैं। इन अन्तरिम व्यवस्था से चिकित्सा सेवाओं में आंशिक सुधार परिलक्षित हुए हैं, परन्तु दूरगामी परिणामों हेतु व्यवस्थागत सुधारों की आवश्यकता पायी गयी।
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अयोध्या विकास क्षेत्र के सीमा विस्तार से इन क्षेत्रों का निरन्तरता की दृष्टि से सुनियोजित विकास सम्भव होगा। इन क्षेत्रों के अयोध्या विकास क्षेत्र में सम्मिलित होने से विश्व की धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी अयोध्या के प्राचीन पुरातात्विक महत्व के क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होने के साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी अभीष्ट पहचान संभव होगी।
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मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री जी की घोषणा से आच्छादित जनपद मुजफ्फरनगर, मेरठ एवं गाजियाबाद में चैधरी चरण सिंह कावड मार्ग (गंग नहर की दांयी पटरी) के नव निर्माण का कार्य की व्यय-वित्त समिति द्वारा आकलित लागत 62,874.26 लाख रुपए के व्यय के प्रस्ताव स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री जी द्वारा हरिद्वार से लेकर गाजियाबाद तक गंग नहर के दोनों किनारों पर सड़क का निर्माण कराये जाने की घोषणा की गयी थी। वर्तमान में गंग नहर के बांयी ओर दो लेन मार्ग निर्माण का कार्य दिनांक
31 दिसम्बर, 2018 को पूर्ण हो चुका है। प्रश्नगत कार्य की प्रस्तावित लागत
65130.46 लाख रुपए के सापेक्ष प्रायोजना रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग द्वारा लागत 62874.26 लाख रुपए आकलित करते हुये व्यय वित्त समिति की बैठक में अनुमोदन प्रदान किया गया है।
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प्रदेश में युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने हेतु उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किए जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत वर्तमान में युवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु लखनऊ व वाराणसी में सीपेट के वोकेशनल ट्रेनिंग सेण्टर स्थापित हैं। वोकेशनल ट्रेनिंग सेण्टर की भांति जनपद अयोध्या में भी एक ट्रेनिंग सेण्टर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
सीपेट के वोकेशनल ट्रेनिंग सेण्टर की स्थापना के लिए भारत सरकार के प्रस्ताव के क्रम में माध्यमिक शिक्षा विभाग की चयनित भूमि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तान्तरित की जानी हैं। यह भूमि ट्रेनिंग सेण्टर की स्थापना हेतु सीपेट को उपलब्ध करायी जाएगी। ट्रेनिंग सेण्टर में युवाओं को स्वरोजगार हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
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