6 वर्ष का बालक विक्रम स्कूल से घर पहुंचा। यहां मां के न मिलने पर वह बेचैन होकर स्टेशन पहुंच गया। पहले तो उसने स्टेशन पर मां को खोजा लेकिन मां उसे कहीं नजर आयी। वह प्लैटफॉर्म पर मां को हर जगह देख रहा था और यहां उसकी नजर लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर एक्सप्रेस को खड़ी ट्रेन पर पड़ी। वह इसमें सवार हो गया।
मुंबई से एक बच्चा अपनी मां को खोजता हुआ लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर एक्सप्रेस में सवार हो गया। ट्रेन में सवार होने के बाद वह इसके हर कोच में मां को खोजता रहा। रास्ते में टीटीई की नजर पड़ने के बाद उसे झांसी में उतारकर आरपीएफ को सुपुर्द कर दिया गया। जब बच्चा थाने पहुंचा तो यहां पुलिसकर्मियों को देखकर रोते हुये कहने लगा।
‘मां की याद आ रही है, मुझे घर जाना है’
ठाणे (महाराष्ट्र) निवासी 6 वर्ष का बालक विक्रम स्कूल से घर पहुंचा। यहां मां के न मिलने पर वह बेचैन होकर स्टेशन पहुंच गया। पहले तो उसने स्टेशन पर मां को खोजा, लेकिन मां उसे कहीं नजर आयी। वह प्लैटफॉर्म पर मां को हर जगह देख रहा था, और यहां उसकी नजर लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर एक्सप्रेस को खड़ी ट्रेन पर पड़ी। वह इसमें सवार हो गया। यहां वह मां को खोज रहा था कि ट्रेन चल पड़ी। इसके बाद वह उतर नहीं पाया।
रास्ते में ट्रेन के रुकने पर उसने उतरने का प्रयास भी किया, लेकिन डर के मारे नहीं उतरा। इसके बाद उसकी आंख लग गई। इस दौरान जब भी उसकी आंख खुलती, वह इस कोच से उस कोच में अपनी माँ को खोजता फिरा। यह सिलसिला इटारसी तक ऐसे ही चला और आश्चर्य कि इस दौरान किसी टीटीई ने उससे कोई पूछताछ नहीं की। इटारसी में टिकट चेक करने पहुंचे टीटीई मुकेश गौतम की नजर उस पड़ी तो उसके हावभाव देखकर उससे बात की। बच्चे की बात सुन वह हैरान रह गये।
टीटीई बच्चे को ए-1 कोच में ले आए
बच्चा गलत हाथों में न चला जाये, इसके लिये वह उसे अपने साथ ए-1 कोच में ले आये। यहां उन्होंने बच्चे को खाना खिलाकर सीट पर सुला दिया। ट्रेन के झांसी पहुंचने पर उन्होंने बच्चे को आरपीएफ के सुपुर्द कर दिया। यहां उसको खाना खिलाने और पूछताछ करने के बाद आरपीएफ ने उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया है। अब चाइल्ड लाइन परिजनों से सम्पर्क करने के प्रयास में जुट गये हैं।
बोला, मम्मी ने मोबाइल तोड़ा, नम्बर याद नहीं
6 वर्ष के विक्रम को यह याद है कि वह मुम्बई के ठाणे का रहने वाला है। उसने मां का सक्को और पिता का नाम रोहित बताया। घर में बड़ा भाई भी रहता है। 3 दिन पहले घर पर कोई नहीं था, तब वह माँ को खोजता हुआ स्टेशन आ गया था। वह परिवार के किसी भी सदस्य का मोबाइल नम्बर नहीं बता सका। उसने यह अवश्य बताया कि कुछ दिन पहले मम्मी ने गुस्से में मोबाइल फोन तोड़ दिया था। अब मम्मी के पास मोबाइल फोन भी नहीं है।
यात्रियों ने बर्थ साफ कराकर दिया खाना, टीटीई अंकल ने खूब रखा ख्याल
बच्चे ने बताया कि मुम्बई से ट्रेन चलने के बाद उसे भूख लगने लगी थी। उसने यात्रियों से खाना मांगा था। कुछ ने तो मना कर दिया था, लेकिन कुछ ने बर्थ आदि साफ करवाकर खाना दिया था। रास्ते में ट्रेन टीटीइ अंकल ने उसका खूब ख्याल रखा। बिस्किट, चाय से लेकर उसे खाना भी दिया।