बेटी हो के बेटों का फर्ज निभाई हैं …. कचहरी प्रांगण में कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

0
28

वीर शिखा आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस पर कचहरी प्रांगण में जिला प्रोबेशन अधिकारी नंदलाल की अध्यक्षता में कौमी एकता की प्रतीक साहित्यिक संस्था हिंदी उर्दू अदबी संगम के बैनर तले कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका सफल संचालन संस्था के अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. किशन द्वारा किया गया। उन्होंने अपने शेर में रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि बेटी हो के बेटों का फर्ज निभाई है, बेटियां अब तो पिता की चिता को भी जलती है बेटियां, कभी इंदिरा कभी रानी झांसी बन कर कर्ज वतन की मिटटी का चुकाती है बेटियां। कवित्रीय सुमनलता शर्मा ने कहा कि मेरे देश की हर बेटी लक्ष्मीबाई का अवतार साहस, शौर्य, वीरता जिसमें हो भरा अपार।

रामस्वरूप नामदेव अनुरागी ने रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि रूपों और बंदूकन से भी डरी नही रानी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी। युवा कवि प्रशांत श्रीवास्तव ने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा सबका मालिक एक है, बस इतनी सी बात समझना में कितने-कितने युग बीते हैं, मन को मन से मिलने में। अशोक क्रांतिकारी ने सुख-दुख एहसास करते हुए कहा कि सब के सुख दुख में शामिल हैं। कवि का एहसास सरकार से अच्छा चीर भी दें और लहु न टपके कलम घाव तलवार से अच्छा। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों शायरों में एम.आर.खान, हरगोविंद अहिरवार एड., समर सिंह एड., सरवर हिंदुस्तानी, अर्जुन सिंह एड., अर्चना गौतम, मनीष कुशवाहा, रोहित राजपूत, बलवीर सिंह, इंद्रपाल सिंह एड. आदि मौजूद रहे।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here