लखनऊ (Lucknow) कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था इतनी जल्दी हमारे सरपरस्त सभी फिरको के हरदिल अजीज गरीब परवर ,बन्दानवाज़ खुश एखलाक़ मरहूम वकार रिज़वी साहब हम सबको रोता हुआ छोड़ इस दुनीया ऐ फीनी को अलविदा कहकर मालिके हकीकी से जा मिलेगें जिसकी भरपाई मुमकिन नही है। हम अपने सरपरस्त वकार भाई को खिराजे अकीदत पेश करते हुऐ उनके ख्वाबों की ताबीर को पूरा करने का अहद करतें हैं, मरहूम वकार भाई हमेशा तालीम,मज़लूमो की मदद शिया-सुनी इत्तेहाद पर अपने वक्फ कर रखा था और हर शोबे में अपनी सलाहियत का सबूत पेश किया ऐसे इंसान को कौम के साथ हर फिरका आम व खास रहती दुनिया तक याद करता रहेगा। मरहूम वकार भाई का खलीपन कभी पूरा नही होगा। अल्लाह तबारक ताला से हम दुआ करतें कि मरहूम वाकार भाई को जन्नत मे आला मकाम अता फरमाऐ। और घर सभी फरद को इस मुश्किल वक्त मे सब्र ए जमील अता फरमाऐ। आमीन। (जमाल हामिद खां वारसी , नानपारा, बहराइच)
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