अवधनामा संवाददाता
कामयाबी चाहिए तो ज़ेहनी इताअत नहीं, अल्लाह के हुक्म के मुताबिक इताअत करो
जैसे वजू के बग़ैर नमाज़ नहीं वैसे अली के बग़ैर दीन नहीं
बाराबंकी । हम्द अल्लाह की मारेफ़त का रास्ता है ।दीन के बाहर किया गया नेक अमल भी परवरदिगार कुबूल नहीं करता । आइम्मा दरवाज़ा है नबूअत तक पहुंचने का ।कामयाबी चाहिए तो ज़ेहनी इताअत नहीं, अल्लाह के हुक्म के मुताबिक इताअत करो । यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल में जनाब अहमद रज़ा द्वारा आयोजित अशरा ए मजालिस की सातवीं मजलिस को संबोधित करते हुए आली जनाब मौलाना अक़ील मारूफ़ी साहब क़िबला ने कही । मौलाना ने यह भी कहा कि मिम्बर हकीक़त बयान करने का ज़रीया है ।अल्लाह के मुख़लिस बन्दों को शैतान नहीं बहका सकता।जानते हुए भी जो हक़ को छुपा ले उसे काफ़िर कहते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि अहलेबैत की इताअत नबूअत की इताअत है ,नबूअत की इताअत ख़ुदा की इताअत है ,ख़ुदा की इताअत इबादत है।जैसे वजू के बग़ैर नमाज़ नहीं वैसे अली के बग़ैर दीन नहीं ।अबू तालिब के बेटे अली की मुहब्बत गुनाह को ऐसे खा जाती है जैसे आग सूखी लकड़ी को खास जाती है ।आखिर में करबला वालों के दर्दनाक मसायब पेश किए जिसे सुनकर मोमनीन रो पड़े। मजलिस से पहले डाक्टर रज़ा मौरानवी , अजमल किन्तूरी , डाक्टर मुहिब रिजवी व महदी नक़वी ने नजरानए अक़ीदत पेश किए। मजलिस का आग़ाज तिलावत ए कलाम ए पाक से मोहम्मद रज़ा ने किया ।अन्जुमन गुन्चए अब्बासिया ने नौहाखानी व सीनाज़नी की।बानिये मज़लिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।
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