एस. एन. वर्मा
जम्मूू-कश्मीर में आतिकियों ने सेना के वाहन पर हमला किया है पांच जवान शहीद भी हुये है। यह घटना पुंछ इलाके में हुई है। जी-20 की बैठक कश्मीर में होने वाली है। पाकिस्तान कश्मीर में बैठक किये जाने का विरोध किया है कि वह कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानता है। पर 4-5 मई को गोवा में होने वाली एससीओ विदेश मंत्री परिषद की बैठक में भाग लेेने के लिये बिलावल भुट्टोे अपना प्रतिनिधिमन्डल लेकर भारत आ रहे है। बिलावल पाकिस्तान के विदेश मंत्री है। कश्मीर में 370 हटने के बाद और भारत द्वारा 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद जिसमें भारत ने पाकिस्तान के बालकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी कैम्पों को माटियामेट कर दिया था तब से पाक और भारत को सम्बन्ध बहुत तल्ख चल रहे है। इन दोनो घटनाओं के बाद पाकिस्तान के किसी बड़े नेता का पहला दौरा है।
इससे पहले पाकिस्तानी बड़े नेताओं के दौरे भारत में इस प्रकार हुये। हिना रब्बानी खार जो पाकिस्तान की विदेश मंत्री थी 2011 में भारत आयी थी। 2014 में जब पाक में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे तो प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण में आये थे। भारत के बड़े नेता का पकिस्तान का दौरा इस प्रकार रहा। 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थी। 2015 में प्रधानमंत्री विेदेशी दौरे से लौटते हुये कुछ देर पाकिस्तान में रूके थे। इसके बाद में दोनो के सम्बन्धों में बर्फ जमी हुई है। लोग कयास लगाने में लगे हुये कि भारत में आने पर पाकिस्तान के विदेशमंत्री और भारत के विदेश मंत्री में बात चीत होगी। विदेश मंत्रालय अभी खामोश है। जानकारों का कहना है कि इस बारे में अभी उम्मीद करना की दोनो देशों की आपसी तल्खी कम होगी जल्दबाजी होगी। हालाकि पाकिस्तान इस दौरे को लेकर अपनी ओर से बहुत उत्साह दिखा रहा है। पर जानकार यह भी जानते है कि पाक में विदेश और महत्वपूर्ण मसलों पर सेना की राय सवार रहती है। जो सेना के निर्देशो की अवहेलना करता है वह प्रधानमंत्री है तो गद्दी से मंत्री है तो कुर्सी से नौकरशाह तो नौकरी से हाथ धोता है। इसलिये किसी बड़े या छोटे बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है। भारत तो कब से चाह रहा है कुछ सकारात्मक सम्बन्ध बने, कुछ सकारात्मक कदम उठे।
पाकिस्तान में इस समय राजनैतिक उथल पुथल चल रहा है। गरीबी और भुखमरी अपने इन्तहा पर है। पुलिस के सुरक्षा में रखे अनाज भूखी जनता द्वारा लूट लिया जा रहा है। महंगाई आसमान छू रही है। इमरान खां अलग अलख जगाये हुये है, उनकी तथा उनके पार्टी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। वह उनके प्रदर्शनो और मिटिगों में जुटी भीड़ से पता चलता है। इमरान जल्दी आम चुनाव चाहते है। पर सरकार इतना अलोकप्रिय हो गई है कि चुनाव का खतरा नहीं लेना चाहती है। पंजाब में चुनाव होने वाला है जहां इमरान की पार्टी है।
पाकिस्तान विदेशो से कर्ज लेने में हाथ फैलाये हुये है। आईएफएम कड़ी शर्तो पर कर्ज देने को तैयार है। सरकार कह रही है मजबूरी है शर्ते माननी पड़ेगी। चीन अपने फायदे के लिये अपना प्रभाव बढ़ाने के लिये उसे उल्टे सीधे शर्तो में लपेटते हुये थोड़ा थोड़ा कर्ज दे रहा है। पाके के लिये वह डूबते को तिनका सहारा है।
पाकिस्तान आन्तरिक हालत से परेशान भारत से सम्बन्ध सुधारना चाहता है पर अभी उसकी ओर से कोई संकेत नही आया है। भारत चाहता है पाक आतंकी ठिकानो को कम करें, मुम्बई आतंकी घोषित को सजा दे, अन्तरराष्ट्रीय बैठको में कश्मीर मुद्दा उठाना बन्द करें। बिलावल भुट्टो प्रधानमंत्री पर विवादित बयान दे चुके है।
पिछले कुछ दिनों पाक ने भारत से सम्बन्ध सुधारने के पक्ष में कई बयान दिये है। सेना प्रमुख बजवा ने 2021 में कहा था दोनो देशो के बीच शान्ति का हाथ बढ़ाने का समय आ गया है। दोनो देशो के मिलिट्री आपरेशन के डीजी ने युद्ध विराम के मानको का पालन करने की सहमति जता चुके है। सुप्रीम कोर्ट के सामने इमरान की पेशी होने वाली है। कोर्ट इमरान का हमदर्द है। कोर्ट मंत्रिमन्डल के प्रस्ताव पर जजों के रोक लगाने के प्रस्ताव को नाममंजूर कर दिया है। इन सब विरोधाभासो के बीच पाकिस्तान भारत से सम्बन्ध बनाना चाहता है। इमरान कई बार भारत की तारीफ कर चुके है। एक सर्वे के मुताबिक पाक के नौजवान देश को छोड़ना चाहते है। हालाकि वहां की सेना हलात में हस्तक्षेप करने से इनकार कर रही है। पर यहां किसी का कुछ भरोसा नही है कब कौन बदल जाय। विगत में ऐसा कई बार हुआ है बयान देकर बदल जाना। फिर सबके ऊपर सेना, कोर्ट मुल्लाओं का गठबन्धन। ऐसे में कोई चमत्कार या पाक की मजबूरी भारत से सम्बन्ध बनाने को तैयार हो और दोस्ती के साथ सकारात्मक कोशिश मिलजुुल कर प्रारम्भ कर दे। भारत तो पाक की मदद के लिये हमेशा तैयार रहता है क्योंकि खून तो अपना है। सम्बन्ध सुधरने पर पाक को ही सबसे बड़ा फायदा मिलेगा। पर अभी से कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।