गीता हमें स्वाभाविक जीवन जीना सिखाती है: ज्ञानानन्द

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अवधनामा संवाददाता

सहारनपुर। वृन्दावन धाम से पधारे गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता हमेें स्वाभाविक जीवन जीने के साथ-साथ कर्म योग सिखाती है। मनुष्य जीवन परमात्मा का उपहार है, परमात्मा की कृपा का चमत्कार है।
स्वामी ज्ञानानन्द महाराज उत्सव पैलेस में श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति एवं जीओ गीता परिवार के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय गीता ज्ञान महोत्सव में श्रद्धालुओं पर अमृत वर्षा कर रहे थे। गीता मनीषी ने कहा कि जीवन में स्वाभाविक शान्ति होनी चाहिए, वो जीवन में नजर नहीं आती। मनुष्य अपने तक ही सिकुड़ता सा जा रहा है। सूर्य के प्रकाश में कितना खुलापन होता है, हवा सबके लिए एक जैसी है। उन्होंने कहा कि खुले रहो, खिले रहो और अन्दर से खाली रहो। समय अपनी रफ्तार से चल रहा है, जबसे सृष्टि बनी है तब से समय निरन्तर चल रहा है। श्री महाराज ने कहा कि सृष्टि के प्रारंभ को देखें सूर्य सबसे पहला कर्मयोगी है। सूर्य को ईश्वर ने कर्मयोग की प्रेरणा के साथ अवतरित किया। निष्काम कर्म करते रहो। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ प्रमुख समाजसेवी संजय कर्णवाल, व्यापार मण्डल के महानगर अध्यक्ष विवेक मनोचा, अतुल जोशी महाराज, राम सहाय खुराना द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया गया। गीता पूजन राजेन्द्र गुप्ता, दर्शन लाल टक्कर, कोमल धवन द्वारा किया गया। सत्संग कार्यक्रम में पार्षद विजय कालडा, किशोर शर्मा, अनुज कुमार, कश्मीरी लाल हुडिया, मुरली खन्ना, विनय दहूजा, केवल किशोर टक्कर, राम आनन्द, राजेश गांधी, पवन आनन्द, सुमित मलिक, अध्यक्ष पवन कुमार, महामंत्री राजकुमार विज, कोषाध्यक्ष अजय मलिक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश रवि, अशोक पपनेजा, राम आनन्द, बाल मुकुन्द छाबडा, अशोक बजाज, संजय रवि, अनुज कुमार, पारस बत्रा, अशोक आहूजा, राजेश रवि, मयंक जोशी, सचिन छाबड़ा मौजूद रहे।
इसके अलावा जिला कारागार में बंदियों का मार्गदर्शन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि जीवन में अच्छाई ही सम्मान पाती है, बुराई नहीं। बुराई क्रोध, गुस्सा सभी मुसीबतोें व परेशानियों की जड़ है। कैदियों द्वारा जेल गीत आओ गीता अपनाएं, खुद जगे औरो को जगाएं, ये जेल नहीं घर अपना, तू इसमें रहकर सुधार कर अपना। पूज्य श्री ने कहा कि सभी निश्चय पक्का कर ले तो जो हुआ सो हुआ आगे जीवन में कोई गलत काम नहीं करेंगे। जेल में रहकर भी हम सुधर सकते हैं। जेल में रहकर गीता अध्ययन करें, कविता पढ़े, पाठ करें, मंत्र जाप करें आदि कार्यों से जीवन में चमत्कारिक सुधार आ सकता है। इस अवसर पर जेलर राजेन्द्र प्रताप चौधरी, डिप्टी जेलर, अभय शुक्ला, दीपक सिंह को पटका व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अतुल जोशी महाराज, प्रधान पवन कुमार, महासचिव राजकुमार विज, कोषाध्यक्ष अजय मलिक, सुदर्शन-शाकुम्भरी देवी से, मुकेश रवि, प्रवीण अरोडा, सुदेर्शन अरोडा, रवि, हिमांशु नारंगे, मयंक जोशी, अश्वनी गोयल, केशव, अजय गर्ग आदि मौजूद रहे।

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