जिम्मेदार भूले तो एनजीओ ने उठाया पौराणिक तमसा नदी बचाने का जिम्मा

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अवधनामा संवाददाता

अतिक्रमण हटाने के बाद तमसा नदी को उसी हालत में छोड़ गए जिम्मेदार

जगह जगह जलकुंभी से कराह रही पौराणिक तमसा नदी

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या के मवई ब्लाक अन्तर्गत बसौढी गांव से निकली पौराणिक तमसा नदी को जब जलकुंभी से पटा देखा,तो नई उड़ान सामाजिक उत्थान सेवा समिति से जुड़े समाजसेवियों की टोली निकल पड़ी।तमसा नदी बचाने के संकल्प के साथ ही सोमवार को बिना किसी झिझक के नदी में उतर गए। पहले नदी के किनारों को साफ किया। इसके बाद जलकुंभी को हटाया।उनके इन प्रयासों की हर किसी ने प्रशंसा की।
आपको बता दें अयोध्या जिले के मवई ब्लाक अन्तर्गत बसौढी गांव के एक सरोवर से निकली पौराणिक तमसा नदी का जिक्र राम चरित मानस में भी है जहाँ तुलसीदास जी ने वनवास जाते समय भगवान श्रीराम माता सीता व लक्ष्मण ने प्रथम विश्राम इसी नदी के तट किया था।पौराणिक तमसा नदी के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा था।विगत वर्ष जनपद के डीएम रहे डॉ अनिल पाठक के प्रयासों से नदी अतिक्रमण मुक्त हुई लेकिन उसके बाद इस ओर किसी ने ध्यान नही दिया।जलस्तर नाममात्र का होने के साथ ही नदी के काफी हिस्से में जलकुंभी उत्पन्न हो गई है। इससे पानी का बहाव नही है।यही नहीं,जलकुंभी की वजह से नदी के अस्तित्व को खतरा बढ़ रहा था।जिसे देखकर नई उड़ान सामाजिक उत्थान सेवा समिति की अध्यक्ष सबीना ख़ातून की ओर से तमसा नदी बचाओ आंदोलन की शुरुआत की गई।सोमवार से शुरू हुआ यह अभियान एक सप्ताह तक चलेगा जिसमे क्षेत्र के सैकड़ो प्रकृतिप्रेमी जुड़ रहे है।इसमें सबीना खातून,तारीक खान,तौहीद अहमद, सईद अहमद,मंशाराम मौर्य,अखिलेश रावत,राकेश गौतम, राजू धीमान,मंसूर अहमद, तमसीर हैदर,अरुण कुमार,आसिफ ठाकुर,आनन्द मौर्य,राहुल कुमार, सोनू,सानू,शफीक खां, राजा बीलाल,आशुतोष मिश्रा, सुरेंद्र गौतम, राकेश यादव,संदीप यादव, पप्पू यादव, अरुण गौतम मोहम्मद खान, दिवाकर, अमर नाथ यादव,अनुज कनौजिया,राहुल कसौधन सहित सैकड़ों लोगों ने नदी की सफाई किया। इसके बाद नदी के अंदर से जलकुंभी को बाहर निकाला। गर्मी की तपिश में जहां लोग घरों में दुबके रहे, वहीं इन प्रकृतिप्रेमियों ने उत्साह के साथ अभियान की शुरुआत किया।आसपास के करीब तीन सौ मीटर का हिस्सा पूरी तरह जलकुंभी से मुक्त कर दिया।नई उड़ान एनजीओ की अध्यक्ष सबीना ख़ातून ने कहा कि संगठन का उद्देश्य ही ऐसे कार्य करना है, जिससे जनहित जुड़ा हो।तमसा नदी का बहुत बुरा हाल है।जीर्णोद्धार के बाद जिम्मेदार तमसा माता की सुधि लेना ही भूल गए है ऐसे में इसका उद्देश्य जिम्मेदार लोगों को याद दिलाना है।संस्था का यह अभियान शुरुआत में अभी तीन दिनों तक चलाया जाएगा।आवश्यकता पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है।

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