वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में फायरिंग, 3 की मौत; संदिग्ध की तलाश जारी

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वर्जीनिया। वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में रविवार को गोलीबारी हुई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई, वहीं 2 जख्मी हैं। स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एक छात्र पर पुलिस ने संदेह जाहिर किया है। पुलिस ने एक छात्र पर हमले का संदिग्ध बताया है। साथ ही उसकी पहचान भी सार्वजनिक कर दी गई है। बड़े पैमाने पर संदिग्ध छात्र की तलाश जारी है। बता दें कि शूटिंग की यह घटना रविवार देर शाम को हुई। इस बाबत जानकारी यूनिवर्सिटी पुलिस ने ट्वीट के जरिए दी। साथ ही पुलिस ने संदिग्ध को खतरनाक बताया है। पुलिस ने कहा कि पूरी सक्रियता के साथ संदिग्ध हमलावर की तलाश जारी है। बता दें कि यूनिवर्सिटी पुलिस ने एक छात्र क्रिस्टोफर डारनेल जोन्स को संदिग्ध करार दिया है।

जबरन धर्मांतरण देश की सुरक्षा के लिए खतरा:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह एक गंभीर मसला, केंद्र सरकार 22 नवंबर तक जवाब दे
नई दिल्ली। दबाव, धोखे या लालच से धर्म परिवर्तन को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मामला बताया है। सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून की मांग पर केंद्र सरकार से 22 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
धर्मांतरण को बहुत गंभीर मुद्दा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से इस मामले में दखल देने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि इस चलन को रोकने के लिए ईमानदारी से कोशिश करें। कोर्ट ने इस बात की चेतावनी भी दी कि अगर जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो बहुत मुश्किल परिस्थितियां खड़ी हो जाएंगी।
याचिकाकर्ता की मांग- धर्म परिवर्तन रोकने के लिए अलग से बने कानून
जस्टिस एमआर शाह और हिमा कोहली की बेंच पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने केंद्र और राज्य से कहा है कि डरा-धमकाकर या लालच देकर जबरदस्ती कराए गए धर्म परिवर्तन के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए।
इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून बनाया जाना चाहिए या फिर इस अपराध को भारतीय दंड संहिता में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
सॉलिसिटर जनरल बोले- आदिवासी इलाकों में ज्यादा होते हैं ऐसे मामले
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को आश्वासन दिया कि 1950 में संविधान सभा में इस बारे में चर्चा की गई थी और सरकार भी इस मसले से वाकिफ है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही इस बारे में अपना जवाब दाखिल करेगी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि धर्म परिवर्तन के ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में ज्यादा देखे जाते हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि अगर ऐसा है तो सरकार क्या कर रही है।
इसके बाद कोर्ट ने केंद्र से कहा कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाने हैं, उन्हें एकदम साफ करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, लेकिन जबरन धर्मांतरण कानूनी नहीं है। कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में जवाब देने या कोई एफिडेविट दाखिल करने के लिए 22 नवंबर तक की तारीख दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

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