एस.एन.वर्मा
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इस साल टी-20 का मैच शुरू हुआ तो भारत को चैम्पियन बनने का प्रबल दावेदार सभी क्रिकेट के दिग्गज बता रहे थे। किसी को आशा नही रही होगी की भारत सेमीफाइनल में इस तरह के निराशाजनक खेल का प्रदर्शन करेगा। भारत संघर्ष करके हारता तो भी कुछ सन्तोष होता कि हार जीत तो खेल का हिस्सा है। पर भारत ने जैसे अत्मसम्पर्ण कर दिया। लगता ही नही था कि यह भारत की टीम है।
मैच की तैयारी के लिये बीसीसीआई ने कैप्टन रोहित शर्मा और हेडकोच राहुल द्रविड को पूरी छूट दी थी कि अपने अनुसार टीम तैयार करें। राहुल दुविड़ ने मेन्टल कन्डीशनिंग कोच की मांग की वह भी दिला दिया गया। रोहित शर्मा कोहली की जगह नये कप्तान बनाये गये थे। मैच के पहले रोहित ने कहा अटैकिंग खेल खेलेगे पर डिफैन्सिव खेल ही देखने को मिला। रोहित ने शुरू से डिफेन्सिव खेलना शुरू किया जिसका असर पूरी टीम पर पड़ा रन बहुत धीमी रफ्तार से बन रहा था। टीम आस्टेªलिया पहले पहुुंची थी कि वहां के वातावरण से ऐडजस्ट हो सके। टीम इन्डिया की 10 विकेट की हार डाइजेस्ट नही पा रही है। इंग्लैन्ड की सलामी जोड़ी ने 24 गेद शेष रहते ही लक्ष हासिल कर लिया। सवाल उठ रहा है चहल को क्यों नही गेदबाजी में जगह दी गयी।
इस बार के.एल.राहुल टीम पर बोझ साबित हुये। रोहित शर्मा और राहुल की सलामी जोड़ी फ्लाप रही। दोनो ने अटैक छोड़ डिफेन्सिव रवैया बनाये रक्खा जिसकी वजह से खुद तो जल्दी गये ही टीम को भी जल्दी निपटवा दिया। पूरे टूर्नामेन्ट में यह जोड़ी फ्लाप रही। गेदबाजी में बुमरा की कमी खली और चहल की अनुपस्थिति खली। गेदबाजी की पूरी टीम फ्लाप रही। भुवी तो पहली ही गंद से भटक गये। अर्शदीप भी अपना पहले का करिश्मा नही दिखा सके। शमी और हार्दिक भी लक्ष से भटके दिखे। अर्शदीप को दुबारा काफी बाद में बुलाया गया तब तक इग्लैन्ड के 91 रन बन चुके थे।
रोहित इस मैच में 28 गेदो पर सिर्फ 27 रन ही बना पाये। उन्होंने कहा था टीम अटैकिंग खेल खेलेगी। पर पूरी टीम डिफेन्सिव खेलते नज़र आई। सूर्य कुमार यादव जो हर मैच में अपना करिश्मा दिखा रहे थे, हर जीत में जिनका बड़ा योगदान रहा है, धीमे बल्लेबाजो के खेल को अपने बूते पर टीम के हार का कारण नही बनने दिया। वह भी इस मैच में फेल रहे। उन पर टीम हद से ज्यादा निर्भर हो गई। कभी कभी तो ऐसा हर बड़े बैटर के साथ होता है। टीम तो सामूहिक खेल से जीतती है। इस मैच में सिर्फ हार्दिक ने सन्तोषजनक पारी खेली 33 गेदों पर 63 रन बनाकर टीम को उबारने की कोशिश की। अगर बाकी खिलाड़ियों में से कोई एक भी इस तरह की बैटिंग करके रन बनाये होते तो हालात इतने बदत्तर नही होते।
रोहित की कप्तानी पर भी सवाल उठने लगे है। उन्होंने जो कम्बीनेशन बनाये उससे लेग नाराजगी दिखाते हुये कह रहे है उन्होंने हमेशा गलत कम्बीनेशन बनाये। गेदबाजों में चहल को शामिल न करके उन्होंने भारी गल्ती की। इंग्लैन्ड स्पिनर्स ने कलाई का उपयोग करके भारत पर कहर ढा दिया। चहल कलाई स्पिन करते है वो होते तो इग्लैन्ड बल्लेबाज इतनी आसानी से रन नही बना पाते। रोहित ने अर्शदीप से शुरू में एक ओवर कराने के बाद हटा दिया। फिर आखिरी खेल के हिस्से में अर्शदीप के लो आये तब तक जो होना हो चुका था। अर्शदीप को इतने बाद में लाने का निर्णय गलत था। अर्शदीप हर मैच में प्रभावी रहे है।
जो हो इस बार भी भारत का चैम्पियन बनने का सपना टूट गया खेल में हार जीत तो होती ही रहती है। हार से निराश नहीं हो कर सब लेना ही श्रेयस्कर होता है। टीम अपनी खामियों को दुरूस्त करे। उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। आत्मविश्वास बनाये रक्खे। वीर अर्जुन भीलो से हार गये थे। उन जैसे कोई तीरन्दाज नही था। पर भी लो के आगे विवश हो गये थे। हर आदमी में कभी न कभी ऐसा दौर आ जाता है जिसकी कल्पना नही होती है। पीछे में सबक लीजिये आगे बढिये और फिर कामयाब है होगे और निश्चित कामयाब होगे आपकी प्रतिभा पर देशवासियों को पूरा विश्वास है। सारी दुनियां आपके लोहा मानती है।