कलानमक धान के कम उपज होंने से परेशान हैं किसान, कैसे करें कालानमक धान की खेती

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पीआरडीएफ का कालानमक प्रजाति किरन रोग गस्त्र होने से कम हुआ पैदावार
शोहरतगढ़ सिद्धार्थनगर। कालानमक का गढ़ माना जानें वाला शोहरतगढ विकास क्षेत्र के तराई इलाकों के किसानों का कालानमक धान की कटाई शुरू हो गई है। इस बार कम उपज होंने से किसानों को अपनें धान की फसल का लागत निकलना मुश्किल हो गया है। जिससे क्षेत्र के किसान बहुत दुःखी हैं।
क्षेत्र के कालानमक धान की खेती करनें वाले किसानो ने बताया कि इस बार पी आर डी एफ का कालानमक बीज किरन लगानें से हम लोगो का काफी नुकसान हुआ है। शोहरतगढ क्षेत्र के नडौरा गांव के किसान रमेश पाण्डेय,चोडार के रामचन्द्र चौरसिया, चुन्नू, बसन्त पुर के संतोष,नडौरा के विवेक उपाध्याय, रामलाल, संजय मिश्रा,सिठाई,पलटादेबी के सुधाकर गिरी सहित क्षेत्र के तमाम किसानों का कहना है कि हम लोग किरन प्रजाति के काला नमकधान का बीज 280 रुपये किलो मार्केट से लाकर लगायें थें।फसल काटनें पर पांच बीघा खेत में पांच कुंटल धान निकला अब ऐसे में हम लोगों को लागत निकालना मुश्किल हो गया है।अब कैसे कालानमक का खेती किया जाय। ज्ञातव्य हो कि पहले क्षेत्र के किसान शुद्ध देसी कालानमक धान की खेती करते थे।जिसका भी पैदावार काफी कम होता था लेकिन चावल जब बनता था तो बगल के लोग जान जातें थे कि किसी के घर कालानमक चावल बन रहा है इतना महक था उसमें, लेकिन बहुत ही कम किसान केवल नाम मात्र के लिए कालानमक लगाते थे। लेकिन सरकार ने जब कालानमक लगानें वाले किसानों को प्रोत्साहित करनें लगा कालानमक का प्रचार प्रसार शुरू किया तो कालानमक किसानों को कालानमक धान के खेती में मुनाफा होंने लगा और बड़ी संख्या मे किसान कालानमक की खेती करना शुरू कर दिये।कालानमक धान की खेती करने वाले किसानों की कम उपज के साथ बड़े डीला की समस्या दूर करने को लेकर अधिक उपज वाली बौना कालानमक धान के बीज देने का प्रचार प्रसार कृषि विभाग और कुछ एफ पी ओ व कंपनियों द्वारा किया गया और  किसानों को धान का बीज देना शुरू किया गया।इसी में किरन कालानमक भी मार्केट में आया दो साल तक तो किसानों को सही बीज मिला। जिससे किसानों की कालानमक खेती करनें की संख्या बढ़ गयी। किसानों को फायदा भी हुआ। लेकिन पिछले साल से मिलावट वाला धान का बीज मार्केट में आना शुरू हुआ जिससे कालानमक चावल का महक और पैदावार दोनों पर असर हुआ और इस बार तो कालानमक का पैदावार ही चौपट हो गया अब शायद अगले साल किसानो को कालानमक धान की खेती करने के लिए सोचना पड़े। धान की अधिक उपज के वजह से अधिकतर किसान घर का देशी बीज खतम कर दिये और बजार से काला नमक धान का बीज ले आये अब उसका पहचान करना मुश्किल है कि कौन असली है कौन नकली। सिद्धार्थनगर जनपद कलानमक धान के वजह से दुनिया में अपना एक अलग पहचान बनाया है।हर साल सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी द्वारा कलानमक कों बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम किया जाता है। लेकिन कुछ कालानमक धान की बीज देने वाली कम्पनियां अपने निजी लाभ के कारण बीज में मिलावट करके सरकार और किसानों के अरमानों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। धान बीज के हेराफेरी के वजह से किसानों का कालानमक चावल गुणवत्ता विहीन हो जाता जिसके कारण चावल नहीं बिक पा रहा है।अभी भी क्षेत्र में किसानों के पास पिछले साल का कालानमक चावल पड़ा है। अब विभाग को चाहिए कि पहले किसानों को अच्छी किस्म की बीज उपलब्ध करवायें। और यह तय करें कि कौन सा धान बीज सही है साथ ही किसानो को कालानमक धान की खेती करनें की विधि की समय-समय पर जानकारी उपलब्ध करायें। साथ ही सरकार कों चाहिए कि मिलावटी कालानमक धान बीज देने वाली कम्पनियां, संस्थाओं का कार्यवाही करें। जिससे किसानों को सही धान बीज उपलब्ध हों सकें,जब धान बीज सहीं रहेगा तो फसल के साथ चावल भी अच्छा होगा और किसानों को बाजार में चावल धान बेचने में दिक्कत नही आयेंगी।
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