पसमांदा मुस्लिम समाज का सबने अपने अपने ढंग से किया इस्तेमाल- वसीम राईन

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बाराबंकी। देश की मूल वासी 85 फीसदी पसमांदा मुस्लिम समाज को अपनाने की किसी ने कोशिश ही नही की। क्या कांग्रेस, बसपा, सपा या फिर मुसलमानों के कथित हित की बात करने वाला आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड। इतना बड़ा संगठन 15 फीसदी अशराफ मुस्लिम आबादी के दायरे में ही है। राजनीति करने में तेज इस संगठन ने कभी पसमांदा मुसलमान की वकालत नही की न सार्वजनिक मंच पर नाम ही लिया। फिर किस मुंह से पसमांदा मुस्लिम की बात करते हैं।
यह बात आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने जिले के क़स्बा रामपुर में पसमांदा समाज के जिला उपाध्यक्ष हाजी नुरूल हसन अंसारी द्वारा आयोजित जिला प्रतिनिधि सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अगुवाई का मतलब ही पर्सनल लॉ बोर्ड नही जानता, 15 फीसदी को साथ लेकर चलो और 85 फीसदी को सिर्फ लॉलीपॉप। बात मुसलमानों के हित उनके अधिकार की होती है और फ़ायदे के वक़्त 15 फ़ीसदी अशराफ मुसलमान ही आगे रखा जाता है। बोर्ड ने पसमांदा मुसलमान का जमकर इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि 15 फीसदी अशराफ मुसलमान हकीकत में इन देश की आबोहवा तरक्की और सौहार्द के दुश्मन हैं। इन लोगों खासकर इनके अगुवाकारो को देश व सरकार से हर सुविधा चाहिए, आजादी के बाद से सुख भोगते आ रहे लेकिन मुल्क को दुरूस्त करने समान भाव अपनाने और भेद खत्म करने के प्रयास में अब तक 15 फीसदी आबादी सिर्फ रोड़ा ही बनी है। बात यूसीसी की ही कर लें तो इस आबादी के हीरो कांटा बनकर सामने खड़े हो गया। सरकार ही नही समाज को ऐसे लोगों का दाना पानी बन्द कर देना चाहिए तभी अक्ल ठिकाने आएगी।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि देश की सरकार और समाज को अब यह पहचान कर लेनी चाहिए कि कौन देश के साथ और विरोध में खड़ा है। उन्होंने केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि पसमांदा मुस्लिम समाज से आबादी के अनुपात में संगठन व सरकार में हिस्सेदारी दी जाए।
पसमांदा समाज के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव वक़ार अहमद हवारी ने कहा कि 15 फीसद वही लोग हैं, जिन्होंने पसमांदा समाज की तरक्की पर धारा 341 के तहत लगाए गए धार्मिक प्रतिबन्ध का कभी जिक्र किया न विरोध। यह मुद्दा 15 फीसदी मुसलमान को कभी न अखरा और न मुल्क के किसी हिस्से में बात ही की। फिर किस मुंह से मौलाना मदनी पसमांदा मुसलमान से साथ की उम्मीद रखते हैं। 85 फीसदी आबादी की आजादी, तरक्की का हमेशा विरोध किया गया।
उन्होंने कहा कि यूसीसी का विरोध करने वाले इस मुल्क के असली दुश्मन हैं, इनसे किसी तरह की उम्मीद रखना सिर्फ मूर्ख बनने जैसा है। पूर्व की हों या वर्तमान सरकार, 15 फीसदी अशराफ मुसलमान सिर्फ गद्दी पर बैठकर राजनीति करता रहा और जमकर मलाई काटी। मौलाना मदनी एक संगठन के जिम्मेदार बनकर ऊलूल जुलूल बयान जारी किया करते हैं, इनका देश की आजादी से लेकर तरक्की में रत्ती भर योगदान नही रहा, बाते ऐसी करते हैं जैसे इन्ही की बदौलत सरकार चल रही है। सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का जमकर फायदा उठाने के सिवा इन अगुवाकारो और 15 फीसदी आबादी ने कुछ नहीं किया। और केंद्र सरकार से माँग की हैं की सरकार में एक पसमांदा मुस्लिम को मंत्री बनाया जाए।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि मौलाना मदनी के बयान व उनकी राय से 85 फीसदी पसमांदा आबादी सुई की नोक बराबर परवाह नही करती और न ही उनसे कोई मतलब ही है। राजनीति की चाशनी में गले तक डूबे मौलाना मदनी 85 फीसदी पसमांदा मुसलमान की परवाह छोड़ खुद के बारे में सोंचे, पसमांदा मुसलमान हमेशा की तरह देश की आन बान शान के साथ कदम मिलाने के लिए मुस्तैद है। पसमांदा मुसलमान की रूह में देश बसा हुआ है, भारतीय साबित करने का मौका 15 फीसदी मुसलमान और उनके अगुवाकारो के पास है। मौलाना मदनी 15 फीसदी की बात व फिक्र करें। बाकी हिंदुस्तानियों की नही।इस मौक़े पर महाज़ के ज़िलाध्यक्ष नसरुद्दीन अंसारी ,उपाध्यक्ष खुरसीद अंसारी ,कुरेशी समाज के ज़िलाध्यक्ष सदाब कुरेशी,मीडिया प्रभारी रिज़वान राईन,पूर्व ज़िलापंचायत सदय इज़राइल अंसारी ,महमूद चौधरी,सईद अंसारी,इमरान राईन ,दद्दू सिंह ,अली हसन अंसारी,ज़हीर अंसारी,अब्दुल बारी,इमरान आंसारी,वसीम अंसारी,हसीब अंसारी,इरफ़ान अंसारी,मेराज राईन,सुएब मंसूरी,सिद्दीक़ मलिक ,हाफिज फ़क़ीरे,सदाब अंसारी आदि सैकडो लोग मौजूद रहे ।

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