अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज : उतराँव कस्बे के इमामबाड़ा मीर वारिस हुसैन मे मरहुमा तिलत जहाँ बेगम के चालिसवें की मजलिस को खिताब करते हुए लखनऊ से आए आयतुल्लाह मौलाना हमीदुल हसन साहब क़िबला ने इल्म हासिल करने की नसीहत देते हुए कहा की मशरिक़ से मग़रिब के फासले को भी अगर तय करना पड़े तो भी इल्म हासिल करो।इल्म वह दौलत है जो कभी ज़ाया नहीं जाती।एक इल्मी इन्सान पुरे मोआशरे के साथ घर और परिवार को सही राह दिखा कर मुस्तक़बिल को रौशन और किरदार को मुनव्वर कर सकता है।मौलाना ने एक माँ की अज़मत का भी ज़िक्र किया।कहा माँ औलाद की तरबियत का पहली उसताद होती है वह बच्चों को जो संस्कार देती है वह ही कोमल मन से प्रौढ़ अवस्था तक क़ायम रहता है।मौलाना ने करबला के बहत्तर शहीदों का ज़िक्र किया तो हर तरफ से आहो बुका की सदाएँ गूँजने लगीं।मजलिस के बाद मरहुमा तिलत जहाँ बेगम की मग़फिरत को दुआ कराने के साथ फातेहाख्वानी मे भी हज़ारों लोग जुटे।अहमद अब्बास ज़ैदी , खादिम अब्बास ज़ैदी ,तनवीरुल हसन ,मोहम्मद हैदर ज़ैदी मौलाना हैदर हसन ,सैय्यद कुमैल हसन ,फतेह अब्बास ,ज़फरुल हसन आदि लोग शामिल रहे।