अपनी औलाद के मरने पर भी जो हम्दे खुदा करता है खुदा उसे बैतुल हम्द अता करता है – मौलाना वसी हसन खान

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Even after the death of his child, whoever does Hamde Khuda, God does it at Betul Hamd Ata - Maulana Wasi Hassan Khan
अवधनामा संवाददाता

बा अमल बा किर्दार थे मौलाना सना अब्बास – मौ 0सै0मो0 इब्ने अब्बास

दीने इलाही के पैरोकार हक़ के परस्तार थे मौलाना सना अब्बास – मौ0 मो0 रज़ा

किस क़दर बेचैन हम मरहूम की फुर्कत में है, हां मगर वो पुर सुकूँ  अल्लाह की कुरबत में है – आलिम मेहदी ज़ैद्पुरी 
बाराबंकी। (Barabanki) सोशल डिस्टेन्सिन्ग व सेनेटाइजरिंग के साथ कर्बला सिविल लाइन में हुई आन लाइन मजलिस।अपनी औलाद के मरने पर भी जो हम्दे खुदा करता है खुदा उसे बैतुल हम्द ( इमाम ए ज़माना का घर ) अता करता है । दुनियाँ में तुम्हारे पास जो कुछ भी है ( औलाद , माल, इज़्ज़त , शोहरत व दौलत)अल्लाह की अमानत है,तुम इसके हक़ीक़ी मालिक नहीं  बल्कि अमानत दार हो।जिस दिन यह एहसास हो जाएगा  जाने का गम नहीं सतायेगा , सब्र करना खुद ब खुद आ जाएगा । यह बात कर्बला सिविल लाइन में मज्लिसे सय्युम  बराये ईसाल ए सवाब मरहूम मौलाना सै0 सना अब्बास ज़ैदी इब्ने सै0ज़ुहैर अब्बास ज़ैदी को खिताब करते हुये आली जनाब मौलाना वसी हसन खान वसीक़ा अरबी कालेज फैज़ाबाद अयोध्या ने कही उन्होने यह भी कहा कि जो लोग हर मुसीबत में सब्र करते हैं खुदा उन पर सलवात भेजता है वही हिदायत आफ्ता हैं ।मौलाना ने ये भी कहा यक़ीनन हम सब को आज़माया जायेगा  जो जितना मुत्तक़ी व पर्हेज़गार  होगा उसका उतना बड़ा इम्तहान होगा । अल्लाह क़ाबिलियत देखकर बरदास्त के हिसाब से ही इम्तेहान लेता है।जो इम्तेहान में सब्रो शुक्र करता है पास हो जाता है जो कुफ्र बकता है नाशुकरी  करता है फ़ेल हो जाता है ।आखिर में कर्बला वालों के मसायब पेश किये जिसे सुनकर सभी रोने लगे ।मजलिस से पहले कई मौलानाओं ने अपने अपने तास्सुरात पेश किये मौलाना तस्दीक़ ज़ैद पुरी ने कहा- पैरवे इतरतो अतहार बातिल के सामने शीशा पिलाई हक़ की दीवार थे  मौलाना सना अब्बास ।मौलाना मो0 रज़ा ज़ैदपुरी ने कहा-दीने इलाही के पैरोकार हक़ के परस्तार थे मौलाना सना अब्बास। मौलाना इब्ने अब्बास ने  कहा- बा अमल बा किर्दार थे मौलाना सना अब्बास ।मौलाना एजाज़ हुसैन ने कहा इतनी कम उम्र में जो कमालात मरहूम मे पाये जाते हैं बहोत कम लोगों में  पाये जाते हैं।खुदा जिसे चाहता है मारेफत अता करता है।इससे पहले डा 0 रज़ा मौरान्वी ने अपना कलाम पेश करते हुये पढ़ा – कोई भी चीज़ जब आंखों से दूर होती है ,भटकती फिरती हैं हर लम्हा दर बदर आंखें। अजमल किन्तूरी ने अपना कलाम पेश करते हुये पढ़ा – जिन्दगी इश्क़े अली में जो बसर करते हैं, वो कहाँ ज़ीनते दुनियां पे नज़र करते हैं ।मौलाना इब्ने अब्बास ने साजिद ज़ैद पुरी का कलाम पेश करते हुए पढ़ा – वो खादिम दीन का दुनियां से उठा , जवानी में उसे जन्नत मुबारक।आलिम मेहदी का कलाम पेश करते हुए पढ़ा- किस क़दर बेचैन हम मरहूम की फुर्क़त में हैं , हां मगर वो पुर सुकूँ अल्लाह की क़ुरबत में हैं।सईद ज़ैद्पुरी का भी कलाम पेश करते हुए पढ़ा – दुआएं  दे  रही  है  खुल्द  से इक साहबे इस्मत , जो ज़िक्रे बवफ़ा करते हो उसको मिली है राहत । मजलिस का आगाज़ तिलावते कलाम पाक से मौलाना हिलाल अब्बास ने किया । बानियाने मजलिस ने  सभी का शुक्रिया अदा किया।
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