डेढ साल से लम्बितए राज्य सफाई कर्मचारी आयोग उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट को लागू करे सरकार.चन्दन वाल्मीकि

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अवधनामा संवाददाता

लखीमपुर खीरी। देश में वाल्मीकि जाति की सबसे बडी आवादी वाले सूबे के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ ने लखनऊ में 9 अक्टूवरए 2022 को वाल्मीकि प्रकट दिवस के अवसर पर वाल्मीकि जन्मोत्सव से जुढे हुए पदाधिकारियों ने वाल्मीकि समाज से जुड़ी हुई समस्या का एक प्रत्यावेदन देने पर कहा कि.हम लोगों ने प्रदेश के अन्दर इस तबके के हित के लिए एक आयोग का भी गठन किया और वाल्मीकि समुदाय से जुड़े व्यक्ति को उसका चेयरमैन बना कर उनसे कहा कि अपनी रिपोर्ट आप समय समय पर देते रहेंगें तो हम उस पर कार्यवाही भी करते रहेंगेए इस सम्बन्ध में चन्दन वाल्मीकि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष वंचित शोषित सामाजिक संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ ने आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य सफाई कर्मचारी आयोग उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुरेन्द्र नाथ के नेतृत्व में आयोग के कार्यकाल के दौरान अपने अध्ययन कर सफाई कर्मचारियों के उत्थान के लिए आयोग की रिपोर्ट दिनांक 30 अक्टूवरए 2022 को मुख्य मंत्री जी को दे दी हैए लेकिन डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी उस पर सरकार ने क्या निर्णय कोई अता पता नहीं। इस बीच कानपुर में तीन सफाई कर्मचारियों की टैंक की सफाई करने के दौरान जहरीली गैसे से मौत होगी। उत्तर प्रदेश सरकार यदि समय से आयोग की रिपोर्ट को लागू करती तो कानपुर में सीवर के टैंक की सफाई के दौरन तीन सफाई कर्मचारी सोनू वाल्मीकिए सुखवीर सिंहए और सत्यम यादव की मृत्यु होने से बताया जा सकता था।राज्य सफाई कर्मचारी आयोग उत्तर प्रदेश की सफाई कर्मचारियों के उत्थान एवं विकास के लिए योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उ0प्र0 से की गई मुख्य सिफारिशें में सीवर डैथ की रोकथाम के लिए कढे कदम उठाने के साथ साथ सीवर और सैफ्टिक टैंक की सफाई एक जोखिम भरा कार्य हैए लेकिन उसमें लगे सफाई कर्मचारी ज्यादातर ठेके के ही है। उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवारों का पुर्नवास नहीं पाता है। जल संस्थानों व स्थानीय निकायों के कर्मचारियों की अंदेखी के कारण सीवर कार्य में लगी बडी बडी कम्पनियां बिना सुरक्षा उपकरण के सफाई कर्मचारियों का सीवर में उतार देते हैं। इस कारण सफाई कर्मचारियों की मौतों का सिलसिला रूक नहीं रहा है। फिलहाल में हुईं सीवर डेथ की घटनाएं कानपुर के साथ लखनऊए रायबरेली की घटनाएं जख्मों को और कुरेद देती हैं।चन्दन लाल वाल्मीकि ने बताया राज्य सफाई कर्मचारी आयोग उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट में आरक्षण का वर्गीकरण एवं सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने का भी उल्लेख किया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के की के चुनवा से पूर्व अपने घोषणा पत्र में आरक्षण का लाभ सभी जातियों को मिले और इस के आरक्षण के वर्गीकरण की बात कही। सरकार बनने के बाद इस पर तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने काम भी किया। लेकिन सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को सरकार ने ठण्डे बस्ते में डाल दी सामाजिक न्याय की रिपोर्ट भी ने लागू नहीं की। चन्दन वाल्मीकि ने बताया कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्वच्छकारों को पृथक आरक्षण की मांग भी प्रमुखता से की है अनुसूचित जातियों से अधिक मुख्य धारा में लाने के लिए सफाई पेशे में लगी जातियों जैसे वाल्मीकिए हेलाए धानुकए डोमए बसोर डुमारए बॉसफोरए लालबेगीएआदि जातियों के लिए पृथक आरक्षण और विशेष सहूलियत दिये जाने की बात कही है।प्रदेश में नगरों का विकास हुआ है स्वच्छ भारत अभियान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में अनेक योजनाए है अरबों रूपय का भारी भरकम सरकार बजट भी खर्च कर रही है लेकिन इस बजट में सफाई कर्मचारी कहीं नहीं दिखाई देता नियमित प्रकृति के सफाई कार्य पर भी ठेके पर काम लेकर सरकारें स्वच्छ भारत करने में लगी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सफाई कर्मचारियों की नियमित भर्ती की सिफारिश के साथ 2008 में सफाई मजदूरों की सम्बिदा भर्ती की के भारी विरोध हड़ताल के बीच तत्कालीन नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां ने नगर निकायों में सम्विदा के सफाई कर्मचारियों की भर्ती 2030 रूपये मासिक पारिश्रमिक पर कीए गनीमत रही की बाद में अखिलेश यादव की सरकार में इस वेतन में लगभग 10ए000 प्रतिमाह की बढोत्तरी की। आयोग की रिपोर्ट में सम्विदा सफाई कर्मचारियों का नियमितिकरण और सेवा के दौरान मृत संविदा सफाई कर्मचारियों के स्थान पर उनके आश्रितों को मानवीय आधार पर उनके रिक्त पदो पर समायोजन की भी सिफारिश की है। आयोग ने माना है कि सबसे ज्यादा शोषण का शिकार ठेका सफाई कर्मचारी हो रहा है। जहां ठेका कर्मचारियों को पारिश्रम बहुत कम हैए वहीं उनका ईपीएफए ईएसआई का लाभ नहीं मिल पा रहा हैए जो ठेका फर्मध्कंपनियां सफाई कर्मचारियों के देयक उनके वेतन से तो काट लेते हैंए लेकिन जमा नहीं करते। इस लिए ठेका भर्ती के स्थान पर नियमित नियुक्ति करें सरकार।आयोग के संज्ञान में नगर पालिका परिषद बदायॅू के कई दैनिक वेतन सफाई कर्मचारी है जो नियमितिकरण की सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद कुछ दैनिक वेतन सफाई कर्मचारियों को नियमित किया लेकिन ऐसे कई सफाई कर्मचारी आज भी नियमित होने से शेष है। वहीं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की के संसदीय क्षेत्र की नगर निगम वाराणसी के पुराने 431 ठेका कर्मचारियों को संविदा में परिवर्तन 431 ठेका सफाई कर्मचारियों को उनकी सेवाओं और नगर निगम वाराणसी के वोर्ड प्रस्तावों को दृष्टिगत करते हुए उन्हें संविदा में समायोजन किया जाना शेष है। आगरा शमशाबाद के ठेका सफाई कर्मचारी श्री बच्चू सिंह कूड़ा निस्तारण करते अपने दो पैर एक हाथ गवा चुके उनका पुनर्वास के लिए आयोग ने सिफारिश की हैएइसके अलावा दुर्घटनाओं में मारे गयेध्घायक सफाई कर्मचारियों को मुआवजेए इलाज व पुनर्वास के लिए अलग बजट के अतिरिक्त विशेष फण्ड की व्यवस्था की जाए और परिवार के पुनर्वास की योजना बनाने की सिफारिश की है। पंचायती राज विभाग के सफाई कर्मचारियों के लिए लगभग 1 लाख से अधिक सफाई कर्मचारी हैं। जिसमें उनकी सेवा नियमावली बनाई जाय। पुरानी पेंशन बहाल की बहालीए शैक्षिक योग्यता के अनुसार पदोन्नति सफाई कर्मचारियों को कैशलैस चिकित्साए सफाई कर्मचारियों की सेवाकाल में मृत्यु के उपरांत बीमा राशि बढा कर दस लाख की जाए।आयोग ने सफाई कार्य से जुडे लोगों का जीवन स्तर ग्रामीण क्षेत्रों में बडे बजबूरियों भरा रहा है इसके लिए जीवन यापन के लिए विमुक्ति जातियों की भांति भूमि हीन परिवार को कम से कम एक एकड की भूमि का पट्टा दिया जाए।वहीं महिला सफाई कर्मचारियों को सुबह आपने बच्चों को स्कूल भेजने आदि के लिए पर्याप्त समय मिलेए इस लिए पूर्व की भांति सभी प्रकार की महिला सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी का समय प्रातः 8 बजे से प्रारम्भ हो। और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छकारों की बस्तियों को स्थानीय निकाय नजूल की भूमि पर सैकडों वर्षों से रहते आ रहे हैं उन्हें मालिकाना हक मिले इसकी सिफारिश भी की है।चंदन लाल वाल्मीकि ने बताया कि आयोग ने राज्य कृषि उत्पादन मण्डी समितियां उत्तर प्रदेश में सफाई कर्मचारियों के पदों को नष्ट कर दिया है। प्रदेश की मण्डियों में सफाई कार्य को शत प्रतिशत ठेके पर दे दिया है। लेकिन सफाई कर्मचारियों के हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है। मण्डियों के सफाई कर्मचारी का जीवन ठेकेदारों के चुंगल में फंस गया है।आयोग ने मण्डी समिति में हरा कचरा के मात्र अधिक निकलती है जिससे खाद बनाने में परिवर्तित किया जा सकता है। जिन मण्डियों में खाली स्थान है वहां कचरे से खाद बनाने के प्लांट लगाय जा सकते हैं यह पलान्ट अन्य राज्यों की मण्डियों में है जिससे कचरे निस्तारण की समस्या भी समाप्त होगी और मण्डी की आय भी बढ जायेगी। आयोग को प्रदेश के मेडिकल कालेजए जिला चिकित्सालयों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहा है। शाहजहॉंपुर लखीमपुर खीरी सहित अनेक जिलों में सफाई कर्मचारियों को 12ए000 प्रतिमाह देह है लेकिन सफाई कर्मचारियों को मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पलिया में तो 3ए000 रूपये का ही नकद भुगतान किया जा रहा है।पोस्टमार्टम हाउस में कार्यरत सफाई कर्मचारियों के रहन सहन उनके कार्य में उपयुक्त उपकरण ए तथा नियमित वेतन दिये जाने की सिफारिश की है। सफाई कर्मचारियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए केन्द्र सराकर द्वारा संचालित राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के अनेक योजनाएं है लेकिन उनका लाभ उत्तर प्रदेश के स्वच्छकारों को नहीं मिल पा रहा है। जिला उद्योग केन्द्र व खादी ग्रामोद्योग की योजनाओंए पशु पालनए मत्स विभाग की योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर ऋण एवं अनुदान की योजनाओं में सफाई कर्मचारियों वर्ग के बेरोजगारों को स्वरोजगार प्रदान कराना चाहिएएअब देखना है कि निकट भविष्य में लोक सभा चुनाव है सबसे अधिक वाल्मीकि समाज और स्वच्छकारों की अन्य उप जातियों हेलाए धानुकए सुदर्शनए डोमए बसोरए डुमारए बॉसफोरए शहरों में अधिक संख्या में हैए उनका उत्थान होने की आवश्यकता है।

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