ईडी और राहुल

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

1938 में पन्डित नेहरू ने सुझाव दिया की सारे अंग्रेजी अखबार अंग्रेंजपरस्त है। इसलिये एक दैनिक निकलना चाहिये। सुझाव पर इसके लिये एसोसीयेटेड जर्नल्स लिमिटेड कम्पनी बनी। इसे पंजीकृत कराया गया। नेहरू जी अध्यक्ष बने और एक निदेशक मन्डल बना प्रथम सम्पादक जो हिन्दुस्तान टाइम्स के सम्पादक थे पोथन जोसफ बने। नेशन हेरान्ड नाम से अखबार निकला देश की आजादी को धार दी। पर विश्वयुद्ध की वजह से हर चीज मंहगी होती गई। स्टाफ की तनख्वाह महीनो की रूक गई। पन्डित नेहरू रूक्के पर दस्खत कर बचाने की कोशिश की थी क्योंकि उधारी बहुत बढ़ गयी थी अन्ततः भवन नीलाम करना पड़ गया। अटल बिहारी वाजपेयी से इस बारे में पूछा गया तो जवाब दिया था। जो अखबार नही चला सके वो देश क्या चलायेगा।
1957 में इसे फिर चलाने की कोशिश की गई थी। प्रधानमंत्री आवास पर बैठक हुई। नया निदेशक मन्डल बना। उमाशंकर दिक्षित की नियुक्ति हुई। उनके आने से सहयोगी अखबार नवजीवन और कौमी आवाज का सरकुलेशन भी बढ़ गया विज्ञापनों का ढेर लग गया। पर बाद में बढ़ती महगांई की वजह से यह बन्दी के कगार पर आ गया और बन्द हो गया। इन्द्रागांधी ने इसे बचाने की कोशिश की पर सफल नही हो पाई।
पन्डित नेहरू द्वारा शुरू किया गया अखबार आज दूसरी वजह से सुर्खियों में है। इनफोर्समेन्ट डयरेक्टरेट वारिस राहुल गांधी से मनी लान्ड्रिग को लेकर सवाल कर रहा है। एसोसीयेट जनरलस लिमिटेड के असेट को यंग इन्डिया ने कांग्रेस से लिया जिस पर सैकड़ो करोड़ कर्ज़ का था। यग इन्डिन्स कम्पनी गांधी परिवार की है। सोनिया और राहुल दोनो के नाम 76 प्रतिशत स्टेट यंग इन्डियन में है। मोती लाल बोरा और आस्कर फनान्डीस के नाम 12-12 प्रतिशत स्टेक है। दोनो गुजर चुके है। यंग इन्डियन जनरल और एसोसियेटड जनल्स लिमिटेड के आफिस बेयरर है। पवन बन्सल जो टेªज़रर भी है और मल्लिकार्जुन खड़गे स्वर्गे भी डीडी के लूप में है।
यंग इन्डियन के फाउन्डर सुमन दूबे है और सैम पित्रोद है। इन दोनो ने अपना शेयर सोनिया और फर्नान्डिस को ट्रान्सफर कर दिया। इन तरह यंग इन्डिन्स सोनिया और राहुल के कब्जे़ मे आ गया दोनो के पास अलग अलग 38 प्रतिशत शेयर है बाकी शेयर मोती लाल बोरा और फनान्डीज के पास 12-12 प्रतिशत है। एजेल और वाईआई दोनो के आफिस बेयरर एक ही है दोनो के डायरेक्टर भी है। इन लोगो ने गांधी परिवार को तेजी से ट्रान्जेक्शन किया बिना नियमोका परवाह किये। जिससे लगता है सब सोची समझी चाल के तहत तेजी से किया गया गांधी परिवार के लिये।
यंग इन्डियनस पाच लाख से शुरू किया गया। पर यह पैसा उसके पास नहीं था टेकओवर करने के लिये। कांग्रेस के ऊपर 90 करोड़ का कर्ज था। एक करोड़ कर्ज डोटेक्स मर्केन्डाइज प्राइवेट लिमिटेड से बताया जा रहा है। जो कलकत्ता की जाली कम्पनी बताई जा रही है।
राहुल से इस समय ईडी पूछ ताछ कर रही है। उनका कहना है लेनदेन की मुझे कोई भी नालेज नहीं है। सारा लेनदेन मोती लाल बोरा ने किया है जो अब नहीं है। ईडी पूछताछ कर रही तो कांग्रेस इसे लेकर बहुत दिनो के बाद सडक पर उतरी है और मै्रट जिम्मेदाराना हरकत कर रही है। देश को बचाने के लिये नहीं ईडी की जांच रूकवाने के लिये अगर गांधी परिवार निर्दोष है तो ईडी क्या जबरदस्ती उन्हें फंसा देगी। रयलीनता इसी में थी की इडी का शान्ती पूर्वक सामना किया जाय। देश में भी इससे कांग्रेस की छवि अच्छी बनती और गांधी परिवार के प्रति लोगो का सम्मान बढ़ता और हमदर्दी भी बढ़ती। जिम्मेदार नेता है देश की व्यवस्था में सहयोग करना चाहिये। देश की ग्रैन्ड पार्टी से इस तरह की व्यवहार की आश नही की जाती। उन्ही के पूर्वजो द्वारा बनाये गये बहुत से कानून और व्यवस्था चल रहे है। परिवार खुद उनके द्वारा सीचेे गये वृक्ष को तहस नहस नही करे। दूसरे के सामने मिसाल पेश करें कानून के सामने सभी बराबर है।

 

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