अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. झारखंड में एक ऐसा गाँव हैं जहाँ आज तक कोरोना अपने पाँव नहीं पसार पाया. पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल के इस गाँव के लोगों का कहना है कि हम लोग लाल चावल खाते हैं. उससे इम्युनिटी इतनी मज़बूत होती है कि कोरोना हमला नहीं बोल पाता.
जानकारी के अनुसार इस गाँव के हर घर में चावल कूटने वाली मशीन है. इस मशीन में गाँव के लोग ढेकी से चावल कूटते हैं. इससे जो लाल चावल निकलता है. गाँव के लोग इस चावल को माड़ सहित खाते हैं. उनका दावा है कि यही चावल उन्हें स्वस्थ रखता है.
ग्रामीणों का कहना है कि झारखंड के किसान इस चावल को उगाने के लिए सिर्फ गोबर से बनी खाद इस्तेमाल करते हैं. गाँव के लोग अपने घरों पर अपने खाने के लिए भी चावल कूटते हैं और बेचने के लिए भी कूटते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में जब घर में चावल कूटने की परम्परा खत्म हो चुकी है तब झारखंड के गाँव इस परम्परा को जिन्दा रखे हैं. यही परम्परा आज इनके स्वस्थ रहने की वजह बन गई है.
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ग्रामीण बताते हैं कि यही लाल चावल बहुत पौष्टिक होते हैं और अब इसे खरीदने के लिए दूरदराज से लोग बाकुलचंदा गाँव पहुँचते हैं. गाँव वालों का कहना है कि ढेकी में चावल कूटकर बनाने से इसकी पौष्टिकता बेकार नहीं होती.