हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में शुक्रवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक भूकंप के झटके सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर आए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3 दशमलव 3 मापी गई। इसका केंद्र मंडी में जमीन की सतह से लगभग पांच किलोमीटर नीचे रहा। मंडी जिला से सटे इलाकों में भी लोगों ने झटके महसूस किए।
राज्य आपदा प्रबंधन ने भूकंप के कारण किसी तरह के नुकसान से इनकार किया है। प्रदेश में आठ दिन के भीतर दूसरी बार भूकंप से धरती हिली है। दो अगस्त को जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में 3.2 की तीव्रता का भूकंप आया था। राज्य में पिछले कुछ वर्षों से कई बार भूकंप के झटके लग चुके हैं। हालांकि तीव्रता कम रही है। ज्यादातर झटके चंबा और मंडी जिलों में लगे हैं। हिमाचल प्रदेश भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील जोन चार व पांच में शामिल है। वर्ष 1905 में चंबा व कांगड़ा जिलों में आए विनाशकारी भूकंप से 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
हिमाचल प्रदेश में मानसून की सक्रियता से बादल जमकर बरसे रहे हैं। 24 घंटों के दौरान मंडी जिला के जोगिन्दरनगर में सबसे ज्यादा 160 और कांगड़ा के जिला मुख्यालय धर्मशाला में 112 मिलीमीटर वर्षा हुई है। अन्य शहरों की बात करें तो कटुआला में 111, भराड़ी में 98, कंडाघाट में 80, पालमपुर में 78, पण्डोह में 76, बैजनाथ में 75 और कुफरी में 70 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड हुई है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने अगले 24 घंटे में छह जिलों में बाढ़ आने की आशंका जताते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। मंडी, बिलासपुर, सोलन, शिमला, सिरमौर और कुल्लू जिलों में बाढ़ की चेतावनी दी गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 15 अगस्त तक राज्य में भारी वर्षा होगी। 10 अगस्त को भारी से बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट और 11 से 15 अगस्त तक येलो अलर्ट जारी किया गया है। हिमाचल में मानसून ने बीते 27 जून को दस्तक दी थी। राज्य में मानसून सीजन के छह हफ्तों में बादल फटने व बाढ़ की 38 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि 19 जगह भूस्खलन हुआ। इन घटनाओं में 16 लोगों की जान गई और 44 लोग लापता हुए।