हैदराबाद: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के अवसर पर पूर्ववर्ती हैदराबाद रियासत के लोगों को बधाई दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि तेलंगाना राज्य के गठन के बाद भी राजनीतिक दल वोट बैंक के कारण हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने से झिझकते हैं। शाह ने 17 सितंबर 1948 को निजाम शासन से क्षेत्र की आजादी और हैदराबाद के भारतीय संघ में विलय की याद में हैदराबाद मुक्ति दिवस समारोह में यह टिप्पणी की।
गृह मंत्री ने कहा कि मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि देश के लोग उन लोगों से मुंह मोड़ लेंगे, जो अपने देश के इतिहास से मुंह मोड़ते हैं। शाह ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण पूर्ववर्ती सरकारें हमेशा डरती रहीं और उन्होंने इसे नहीं मनाया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का फैसला किया।
हैदराबाद मुक्ति दिवस के मौके पर शाह ने सिकंदराबाद में आज सुबह एक सार्वजनिक रैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजों से आजादी के बाद, क्रूर निजाम ने 399 दिनों तक राज्य पर शासन किया। ये 399 दिन तेलंगाना के लोगों के लिए यातनापूर्ण थे। सरदार पटेल ने 400वें दिन राज्य को आजादी दिलाने में मदद की। विभिन्न संगठन संघर्ष के लिए आगे आये।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 75 साल में किसी सरकार ने ऐतिहासिक हैदराबाद मुक्ति दिवस नहीं मनाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को हैदराबाद मुक्ति के 75 वर्ष पूरे होने पर नई परंपरा शुरू की। भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय हर वर्ष 17 सितंबर को तेलंगाना मुक्ति दिवस मनाएगा। इसके जरिए महान शहीदों को श्रद्धांजलि देकर हमारी नई पीढ़ी को उस संघर्ष से परिचित कराया जाएगा।
शाह ने कहा कि इसके पीछे 3 उद्देश्य हैं- पहला, नई पीढ़ी को इस महान संघर्ष के बारे में बताकर देशभक्ति के संस्कार से सि¨चत करना, दूसरा, हैदराबाद मुक्ति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देना और तीसरा शहीदों द्वारा देखे गए भारत के निर्माण के स्वप्न को पूरा करने के लिए अपने आप को राष्ट्र को पुनर्समर्पित करना। गृह मंत्री ने हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया।
उन्होंने कहा कि हैदराबाद मुक्ति आंदोलन में आर्य समाज, हिन्दू महासभा और ओस्मानिया यूनिवर्सिटी जैसे कई संगठनों ने योगदान दिया और बीदर क्षेत्र के किसानों और युवाओं के साथ मिलकर तेलंगाना मुक्ति आंदोलन को अंतिम रूप देने का काम हमारे लौहपुरुष सरदार पटेल ने किया था। उन्होंने कहा कि 10 अगस्त, 1948 को सरदार पटेल ने कहा था कि हैदराबाद समस्या के समाधान का एक ही रास्ता है, हैदराबाद का भारत में विलय। इसके बाद 17 सितंबर, 1948 को निजाम की सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने तेलंगाना की जनता से कहा कि इस दिन की स्मृति, हमारे संघर्ष, शहीदों के बलिदान को हमें याद रखना चाहिए जिससे आने वाली पीढि़यां प्रेरणा ले सकें और देश के विकास के प्रति अपने आप को समर्पित करें।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री एवं भाजपा की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने भी इस कार्यक्रम में लोगों को संबोधित किया। निजाम शासन के अधीन रहे हैदराबाद को आपरेशन पोलो नामक एक पुलिस अभियान के बाद भारतीय संघ में मिला लिया गया था। आपरेशन पोलो 17 सितंबर 1948 को समाप्त हुआ था। इससे पहले इंटरनेट मीडिया एक्स पर शाह ने लिखा कि हैदराबाद के सभी लोगों को हैदराबाद मुक्ति दिवस की शुभकामनाएं। यह दिन हैदराबाद रियासत के लोगों की अटूट देशभक्ति और निजाम के कुशासन एवं उत्पीड़न से मुक्ति के लिए उनके निरंतर संघर्ष का एक प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद के मुक्ति संग्राम में शहीद हुए सभी लोगों को मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि।
ऑपरेशन पोलो के जरिए भारतीय सेना ने हैदराबाद और बराड़ रियासत को भारतीय संघ में शामिल करवाया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ऑपरेशन पोलो मिशन के तहत 13 सितंबर 1948 को गुप्त तरीके से भारतीय सेना को हैदराबाद भेजा था। भारतीय सेना की कारवाई 13 सितंबर से 18 सितंबर तक चली थी।
हैदराबाद को निजाम शासन से मुक्त कराने के लिए भारत ने 13 सितंबर 1948 को ऑपरेशन पोलो चलाया था। यह मिशन लगातार पांच दिनों तक चला था। गौरतलब है कि 17 सितंबर, 1948 को हैदराबाद की पूर्ववर्ती रियासत का भारतीय संघ में विलय हुआ था। हैदराबाद को भारत में मिलाने के लिए की गई गई कारवाई को ऑपरेशन पोलो नाम दिया गया था।