अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य और विश्वविद्यालय कोर्ट के पूर्व सदस्य डा० शाहिद कमर काज़ी का संक्षिप्त बीमारी के बाद नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया।
कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने डा० काज़ी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मैं मृतक के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं तथा इस दुःख को सहन करने के लिए अल्लाह से प्रार्थना करता हूं। डा० शाहिद के अंतिम संस्कार में कुलपति भी शामिल हुए।
डा० शाहिद के परिवार में एक बेटा तथा दो बेटियां हैं।
इसके अतिरिक्त उर्दू विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध लेखक डा० फजल इमाम रिजवी तथा विभाग के पूर्व शिक्षक डा० कौकब क़दर के निधन पर एक शोकसभा का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद अली जौहर ने शोक सभा का संचालन किया जबकि प्रोफेसर सैयद मुहम्मद हाशिम ने अध्यक्षता की।
प्रोफेसर मुहम्मद अली जौहर ने डा० कौकब क़द्र के साथ अपने अतीत की यादों को ताज़ा किया और उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वह एक उदार हृदय के तथा दयालु व्यक्ति थे।
प्रोफेसर शहाबुद्दीन साकिब ने डा० फज़ल इमाम और डा० कौकब क़द्र के विद्वतापूर्ण और साहित्यिक व्यक्तित्व के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर क़मरुल हुदा फरीदी ने कहा कि वह एक सरल स्वभाव के व्यक्ति थे।
प्रोफेसर महताब हैदर नकवी ने डा० फजल इमाम रिजवी के व्यक्तित्व और व्यक्तिगत जीवन के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह एक सीधे, सभ्य और जीवंत व्यक्ति थे। प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम ने डा० कौकब क़द्र की कई यादों का उल्लेख किया और उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
प्रोफेसर सैयद मोहम्मद हाशिम ने फजल इमाम रिजवी और कौकब क़द्र के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उर्दू दुनिया के लिये यह एक महान क्षति है तथा इसकी भरपाई मुश्किल से होगी।
प्रोफेसर सैयद सिराज-उद-दीन अजमली ने फजल इमाम रिजवी का शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया और कविता द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। डा० आफताब आलम नजमी ने डा० कौकब क़द्र का शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
शोक सभा के अंत में विभाग के शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों ने सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए दिवंगत आत्माओं के प्रति मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।