मुसलमानों की रहनुमाई करेगा सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता : शहर काजी मुफ्ती खुर्शीद
गोरखपुर। शनिवार को तुर्कमानपुर में सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता का उद्घाटन मुख्य अतिथि घोसी, मऊ के प्रसिद्ध धर्मगुरु व लेखक डॉ. आसिम आजमी ने किया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-पाक पेश की गई।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. मुहम्मद आसिम आजमी ने कहा कि दारुल कजा व दारुल इफ्ता इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार मुसलमानों का मार्गदर्शन करता है। दारुल कजा मुसलमानों के विवाह, सम्पत्ति व अन्य छोटे-छोटे विवादों का हल कुरआन व सुन्नत की रोशनी में करता चला आ रहा है, जबकि दारुल इफ्ता मुसलमानों के मजहबी मामलों पर इस्लामी राय जारी करता है। सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता से मुसलमानों को काफी लाभ होगा। इससे ज्यादा से ज्यादा मस्जिदों व मुसलमानों को जुड़ना चाहिए।
सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता के संचालक नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि दारुल कजा व इफ्ता में मुसलमानों के मजहबी मसलों पर कुरआन व सुन्नत की रोशनी में मार्गदर्शन किया जाएगा। मुसलमानों के पारिवारिक विवाद, विवाह और विरासत आदि के मसले में रहनुमाई की जाएगी। दारुल कजा कार्यालय प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक खुलेगा।
अध्यक्षता करते हुए शहर काजी मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही ने कहा कि कोई अपनी समस्या लेकर दारुल कजा पहुंचता है तो उसकी समस्या सुनने के बाद काजी दोनों पक्षों और उनके रिश्तेदारों को बुलाते हैं। दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर कुरआन व सुन्नत के मुताबिक मामले का हल किया जाता है। विवाह के अलावा संपत्ति का बंटवारा और छोटे-मोटे मसलों का निपटारा किया जाता है। अगर कोई मामला देश की अदालतों में चल रहा है तो उसकी सुनवाई दारुल कजा में नहीं होती है। मुझे पूरी उम्मीद है कि सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता मुसलमानों की रहनुमाई करेगा ।
विशिष्ट अतिथि मरकजी मदीना मस्जिद रेती के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि दारुल कजा में मुसलमानों के छोटे-मोटे मजहबी विवादों को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, शांति, भाईचारा, एकता और विकास की दुआ मांगी गई।
उद्घाटन समारोह में हाफिज नजरे आलम कादरी, कारी नसीमुल्लाह, मौलाना वसीम, मौलाना रियाजउद्दीन, हाफिज सैफ अली, हाफिज अशरफ रजा, मौलाना महमूद रजा कादरी, हाफिज आफताब आलम, हाफिज रजी अहमद बरकाती, आदिल अमीन, शाकिर अली सलमानी, मौलाना निजामुद्दीन, कारी शराफत हुसैन कादरी, हाफिज रहमत अली, कारी मुहम्मद अनस नक्शबंदी, नेहाल अहमद, जीशान अहमद, मुजफ्फर हसनैन रूमी, आकिब अंसारी, हाजी जलालुद्दीन कादरी, सैयद रेहान, हाजी सोहराब, शहबाज सिद्दीकी, अली गजनफर शाह, अख्तर सहित तमाम लोग मौजूद रहे।





