डा. अम्बेडकर का जीवन दर्शन उन सभी के लिए प्रेरणा पुंज हैत्र सुभाष

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अवधनामा संवाददाता

 

लखीमपुर खीरी. युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखीमपुर में बाबासाहेब डाण् भीमराव अम्बेडकर जयन्ती की पूर्व संध्या पर दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा डाण् भीमराव अम्बेडकर का जीवन दर्शन विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रोण् हेमन्त पाल ने डाण् अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कियाए तत्पश्चात द्वीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ सुभाष चन्द्रा ने संगोष्ठी मेंए विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि डा अम्बेडकर का जीवन दर्शन उन सभी के लिए प्रेरणा पुंज है जो परिस्थितियों की विषमता को दोष न देकर जीवन में कुछ करने का संकल्प रखते है। डाण् अम्बेडकर के चिन्तन का क्षेत्र बहुत व्यापक है। उन्होंने शिक्षाए श्रमए अर्थ व्यवस्थाए विधिए न्यायए संविधानए राजनीति एवं लोकतंत्र से लेकर धर्म एव नीति आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये है। उन्होंने देशवासियों एवं देश के गौरव को बढ़ाने के लिए संविधान का निर्माण सामाजिक सद्भावए वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं उन्नत राष्ट्र की वैचारिकी को ध्यान में रखकर किया। उनकी उपलब्धियां कालजयी हैं। समसामयिक सन्दर्भों में उनके द्वारा किये गये कार्यों को पुनः जानने व समझने की आवश्यकता है। राजनीति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विजय प्रताप सिंह ने डॉ अम्बेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत सत्ता पर से किसी परिवारए वंशए जाति अथवा समूह का अधिकार समाप्त होना तथा विकास के पायदान पर निम्नतम व्यक्ति को भी उच्चतम स्थान तक पहुँचने का अवसर प्राप्त होना डॉण् अम्बेडकर की महती देन है। डॉण् अम्बेडकर सामाजिक लोकतंत्र को लोकशाही और सविधान की सफलता के लिए आधारभूत मानते थे। उनके विचार से राजनैतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र में तब्दील कर सकेंगे तभी लोकतंत्र की स्थापना का संवैधानिक प्रयास सार्थक हो सकेगा। सामाजिक लोकतंत्र के लिए अभी भी बहुत कुछ करना समीचीन है। इसी क्रम में अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉण् ज्योति पन्त ने बताया कि डाण् अम्बेडकर ने अपना शैक्षणिक जीवन मूलतः अर्थशास्त्र के विद्यार्थी के रूप में ही प्रारंम्भ किया था। उन्होंने अपने आर्थिक विचारों को समय.समय पर संविधान सभाए संसद और अन्य स्थानों पर व्यक्त किया है। डॉण् अम्बेडकर ने देश की आर्थिक समस्याओं को भली.भाँति समझा और उनके समाधान के लिए ठोस प्रावधान किये है। डॉण् अम्बेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने राष्ट्रीय लाभांश पर व्यापक आर्थिक अध्ययन प्रस्तुत किया। राजस्व नीतिए प्रान्तीय स्वायत्तताए आमजन की आर्थिक स्थितिए गरीबीए बेरोजगारी कृषि और औद्योगिकीकरण पर उनके विचार आज भी प्रासंगिक है। वाणिज्य विभगाध्यक्ष डॉ० डी०एन० मालपानी ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने मूल रूप से पीडित व पददलित लोगों के उत्थान का बीढा उठाया था। वे मानव अधिकारों के प्रबल पैरोकार एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। संगोष्ठी में अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर डॉ० नीलम त्रिवेदी ने श्पंक्षी केवल नीड न झांको बाहर सोने का संसार कविता के माध्यम से डॉ० अम्बेडकर की जीवन संघर्ष गाथा को व्यक्त किया। संगोष्ठी में स्नातक तथा परास्नातक के छात्रध्छात्राओं ने भी डॉ० अम्बेडकर के जीवन दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोण् हेमन्त पाल ने कहा कि डॉण् अम्बेडकर की सम्पूर्ण विचारधारा मानव उत्थान की हिमायती है। डॉण् अम्बेडकर ने जो कुछ साहित्य एव संवैधानिक वैचारिकी द्वारा दिया वह सब मानव कल्याण के लिए हैं। लोकहित एवं लोक कल्याण में ही उन्होंने मानव जीवन को समझा और सभी को समाजहित और राष्ट्रहित में कार्य करने का संदेश दिया ताकि प्रत्येक व्यक्ति प्रगति के पथ पर निर्भय होकर चल सके। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ० आर०पी०एस० तोमरए डॉ० डी०के० सिंहए डॉ० नूतन सिंहए डॉ० जे०एन० सिंहए डॉ० एसण्केण् पाण्डेयए डॉ० इष्टविभुए बृजेश शुक्लाए मोहम्मद आमिरए मोहम्मद नजीफए विनयतोष गौतमए दीपक कुमार बाजपेईए अमित सिंहए धर्मनारायणएरचित कुमारए सौरभ वर्मा सहित बड़ी संख्या में छात्र ध् छात्रायें उपस्थित रहे।

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