चन्द्रभूषण, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जनपद सम्भल ने महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही, उन्होंने महिलओं के हितार्थ एवं सशक्तीकरण हेतु चलायी जा रहीं सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि किसी के अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो उसे निडरता से आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दहेज से कोई ऐसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति अभिप्रेत है जो विवाह के समय या उसके पूर्व या विवाह के पश्चात किसी समय विवाह के एक पक्षकार द्वारा विवाह के दूसरे पक्षकार को या विवाह के किसी पक्षकार के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा विवाह के किसी भी पक्षकार को या किसी अन्य व्यक्ति को, या तो प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः दी गयी है, या दी जाने के लिए करार की गई है। साथ ही उन्होेंने बताया कि दहेज सम्बन्धी शिकायत दहेज की मांग से पीड़ित महिला, स्वंय उसके माता-पिता या अन्य कोई रिश्तेदार या कोई स्वंयसेवी संस्था शिकायत कर सकती है। न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लिया जा सकता है या जिला प्रोबेशन अधिकारी/जिला दहेज प्रतिषेद्य अधिकारी अथवा किसी पुलिस रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय संज्ञान ले सकता है। शिकायत टोल फ्री नम्बर 181 पर कॉल करके अथवा जनपद स्थित वन स्टॉप सेन्टर पर सम्पर्क करके करें। शिकायत स्थानीय पुलिस थाने अथवा 112 पर भी की जा सकती हैं। एकांशु वशिष्ठ, संरक्षण अधिकारी ने बालकों के संरक्षण एवं सुरक्षा से सम्बन्धित योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए कार्यक्रम में उपस्थित जन सामान्य से स्पान्सरशिप एवं कन्या सुमंगला योजना के अन्तर्गत पात्र आवेदनों को प्राप्त कर नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की। कार्यक्रम में नासिर अली, तेजपाल सिंह, तनु चौधरी, साक्षी चौहान, क्रान्ति मौर्य, जितेन्द्र कुमार, नीरज कुमार, खेमपाल सिंह, सपना मौर्य, नाजिम, त्रिमल सिंह के साथ-साथ आदि महिलाएं/पुरूष उपस्थित रहे।
बहजोई में दहेज प्रतिषेध कार्यक्रम का आयोजन
बहजोई/ सम्भल।अवधनामा सोमवार को वन स्टॉप सेन्टर, सम्भल स्थित बहजोई में राजेश शंकर राजू, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद, बहजोई की अध्यक्षता में दहेज प्रतिषेद्य विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्ष ने कार्यक्रम में महिलाओं/पुरूषों को सामाजिक कुरीति के रूप में दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने और समाज में व्याप्त इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि दहेज लेना या देना या दहेज के लिए उकसाना दहेज प्रतिषेद्य अधिनियम 1961 के अन्तर्गत अपराध है, जिसके लिए 5 साल की जेल अथवा 15,000/- रूपये या दहेज की रकम, जो भी अधिक हो, का जुर्माने का प्रावधान है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग पर 6 माह से 2 वर्ष तक की जेल तथा 10,000/- रूपये जुर्माने का प्रावधान है। विवाह के उपरान्त दोनों पक्षों द्वारा दिए गए उपहार की हस्ताक्षरित सूची अनिवार्य रूप से एक माह के भीतर जिला प्रोबेशन अधिकारी/जिला दहेज प्रतिषेद्य अधिकारी को प्रस्तत की जा सकती है। इसलिए अच्छा तो यही है कि समाज में फैली इस कुरीति को आपसी सामंजस्य से दूर किया जाए।
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