Monday, May 6, 2024
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अगली पीढ़ी पर न डालें कर्ज का बोझ:पीएम मोदी

 

विपक्ष पर मोदी का तंज- एक अकेला सब पर भारी:कहा- नेहरू महान थे तो परिवार का कोई व्यक्ति उनका सरनेम क्यों नहीं रखता

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया। प्रधानमंत्री की स्पीच शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी, जो उनके 90 मिनट के भाषण के दौरान लगातार जारी रही। इस पर पीएम बोले- देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है। नारे बोलने के लिए भी लोग बदलने पड़ रहे हैं। मैं अकेला घंटेभर से बोल रहा हूं, रुका नहीं। उनके अंदर हौसला नहीं है, वो बचने का रास्ता ढूंढ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में जिनको आर्थिक नीतियों की समझ नहीं है। जो 24 घंटे राजनीति के सिवाय कुछ सोचते नहीं है। जो सत्ता खेल खेलना यही जिनको सार्वजनिक जीवन का काम दिखता है। उन्होंने अर्थनीति को अनर्थनीति में परिवर्तित कर दिया है। मैं उनको चेतावनी देना चाहता हूं और कहना चाहता हूं अपने राज्यों को समझाएं कि ये गलत रास्ते पर न चले जाएं। उन्होंने श्रीलंका और पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि आज हम हमारे पड़ोस के देशों का हाल देख रहे हैं। वहां पर क्या हाल हुआ है। अनाप-शनाप कर्ज लेकर के किस प्रकार के देश को डूब गए हैं। आज हमारे देश में ही तत्कालीन लाभ के लिए आने वाली पीढ़ी के लिए कर्ज छोड़कर जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्ज करो घी पीयो वाला खेल आज जो राज्यों ने अपना उनको तो तबाह कर देंगे। देश को भी बर्बाद कर देंगे और देश अब कर्ज के तले दबते जा रहे हैं। ये देश आज दुनिया में उनको कर्ज देने के लिए कोई तैयार नहीं है। राजनीतिक वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। दलों के बीच टीका टिप्पणी हो सकती है। लेकिन देश की आर्थिक स्थिति के साथ खिलवाड़ मत कीजिए। आज ऐसा कोई पाप मत कीजिए जो आपके बच्चों के अधिकारों को छीन ले और आज अपनी मौज कर लें और बच्चों के नसीब में बर्बादी सूट जरूर करेगा।
सरकारी योजनाओं का नाम बदलने को लेकर पीएम ने कहा- किसी कार्यक्रम में अगर नेहरूजी के नाम का उल्लेख नहीं हुआ तो कुछ लोगों के बाल खड़े हो जाते थे। लहू गर्म हो जाता था। मुझे ये समझ नहीं आता कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से डरता क्यों है। क्या शर्मिंदगी है नेहरू सरनेम रखने में। इतना बड़ा महान व्यक्ति आपको और आपके परिवार को मंजूर नहीं है और आप हमारा हिसाब मांगते हो।
राजनीतिक-वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, टीका-टिप्पणी हो सकती है। देश की आर्थिक सेहत के साथ खिलवाड़ मत कीजिए। ऐसा पाप न कीजिए, जो आपके बच्चे के अधिकारों को छीन ले। आप आज मौज कर लें और बच्चे बर्बादी झेलें। ये जो प्रवृत्ति है, वो चिंता का विषय है।
मोदी ने कहा- देश की आर्थिक सेहत के लिए राज्यों को भी अनुशासित होना होगा। तभी राज्य भी विकास की यात्रा का लाभ ले सकेंगे। जिनकी दो वक्त की रोटी का सपना था, उस पर आपने ध्यान नहीं दिया। सामाजिक न्याय आपने नहीं देखा, हमने देखा। अवसरों को उपलब्ध कराने के लिए हमने कदम उठाए। आजाद भारत के सपने पूरे करने के लिए हम संकल्प बद्ध होकर चले।
दशकों तक आदिवासी भाई विकास से वंचित रहे और विश्वास का सेतु तो कभी बना ही नहीं। नौजवानों के मन में बार-बार सरकारों के लिए सवाल उठते गए। सही नीयत से आदिवासियों के कल्याण के लिए समर्पण से काम किया होता तो 21वीं सदी के तीसरे दशक में मुझे इतनी मेहनत ना करनी पड़ती। अटल बिहारी सरकार में आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय, अलग बजट की व्यवस्था हुई।
केरल में जो आज इनके साथ खड़े हैं। वामपंथी सरकार थी, जिसे नेहरू जी पसंद नहीं करते थे और उसे गिरा दिया। तमिलनाडु में एमजीआर और करुणानिधि जैसे दिग्गजों की सरकारों को भी इन्हीं कांग्रेस वालों ने बर्बाद कर दिया। एमजीआर की आत्मा देखती होगी कि आप कहां खड़े हो।
यहां पीछे सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं, श्रीमान शरद पवार। जब 35-40 साल की उम्र में ये मुख्यमंत्री बने तो उनकी सरकार को भी गिरा दिया गया। आज वे भी वहां हैं। कुछ लोगों ने नाम और कपड़े बदले होंगे ज्योतिषियों की सलाह पर। हृञ्जक्र हेल्थ के लिए अमेरिका गए थे और इन लोगों ने उनकी सरकार को गिराने का प्रयास किया। ये कांग्रेस की राजनीति का कद था।
पहले की सरकारों में कुछ घंटे बिजली आती थी। पहले गांव में एक खंभा गाड़ देते थे तो हर साल उसकी एनिवर्सिरी मनाते थे। हम आज 22 घंटे बिजली देने में सफल हुए हैं। हमने लोगों को उनके भाग्य पर नहीं छोड़ दिया। राजनीतिक फायदे-घाटे की बात नहीं सोची, देश का कल उज्ज्वल बनाने का रास्ता चुना। मेहनत का रास्ता चुना।
किसी चुनौती का स्थायी समाधान नहीं खोजा मोदी ने कहा- पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक इन्हीं की दुनिया चलती थी। देश भी आंख बंद करके उनका समर्थन करता था, लेकिन उन्होंने ऐसी कार्य शैली और कल्चर बनाया कि एक भी चुनौती का परमानेंट सॉल्यूशन निकालने का न सोचा, न सूझा और न प्रयास किया। हमारी सरकार की पहचान पुरुषार्थ के कारण बनी है। एक के बाद एक उठाए गए कदमों के कारण बनी है। आज हम परमानेंट सॉल्यूशन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
हमारे नौजवान नए अनुसंधान कर रहे हैं, ये उन्हें बदनाम कर रहे हैं। इन्हें देश की चिंता नहीं है, अपनी राजनीति की चिंता है। हमें खुशी है कि आज 100 करोड़ से ज्यादा मोबाइल मेरे देश के हाथ में है। कभी इम्पोर्ट करते थे, गर्व है आज एक्सपोर्ट कर रहे हैं।
हमने मिलेट ईयर के लिए यूएन को लिखा। ये छोटे किसान उगाते हैं। जैसे श्रीफल का महत्व होता है, वैसे ही मिलेट को श्री अन्न का दर्जा मिले। इससे छोटे किसानों को मजबूती मिलेगी। मोटा अनाज पोषण के लिए भी बड़ी ताकत है।
अब बताइए इतने खाते खुल जाएं, लोगों को ताकत मिल जाए और किसी का इतने सालों के बाद खाता बंद हो जाए तो उनकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं। बार-बार उनका दर्द झलकता है। कभी यहां तक कह देते हैं कि एक गरीब को हरा दिया। उन्हीं के इलाके की जनता ने दलित तो जिता दिया। जनता आपका खाता बंद कर रही है और आप रोना यहां रो रहे हो।
देश किसी एक परिवार की जागीर नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा- कुछ लोगों को समझना होगा कि सदियों पुराना देश आम आदमी के पसीने, पीढिय़ों से चली आ रही परंपराओं का देश है। किसी परिवार की जागीर नहीं है। हमने खेल रत्न ध्यानचंद के नाम पर कर दिया। अंडमान के द्वीपों का नाम सुभाष चंद्र बोस, परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर कर दिया। हिमालय की चोटी एवरेस्ट कर दी गई।
जितना कीचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा
उन्होंने कहा- सदन में जो बात होती है, उसे देश गंभीरता से सुनता है, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों की वाणी न सिर्फ सदन को, बल्कि देश को निराश करने वाली है। ऐसे सदस्यों को यही कहूंगा कि कीचड़ उनके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा।
60 साल में एक परिवार ने केवल गड्ढे ही गड्ढे किए
स्पीच में मोदी ने कहा- कल विपक्ष के खडग़ेजी ने कहा कि 60 साल में उन्होंने मजबूत बुनियाद बनाई। उनकी शिकायत थी कि बुनियाद हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है। 2014 में आकर जब मैंने बारीकी से चीजों को देखने का प्रयास किया तो नजर आया कि 60 साल कांग्रेस के परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। उनका इरादा नेकी का होगा, लेकिन गड्ढे कर दिए थे।
आर्थिक नीतियों की समझ नहीं, सत्ता का खेल जानते हैं
मोदी ने कहा- जिन्हें आर्थिक नीतियों की समझ नहीं, सत्ता के खेल खेलना ही जानते हैं। उन्होंने अर्थनीति को अनर्थ नीति में बदल दिया। उन्हें चेतावनी देता हूं कि अपने राज्य को जाकर समझाएं कि ये गलत रास्ते पर न चले जाएं। पड़ोसी देशों को देखिए क्या हाल हुआ है। तत्कालीन लाभ के लिए कर्ज लेने की नीति राज्य को तो बर्बाद कर देगी, देश भी बर्बाद हो जाएगा।
बार-बार नकारे जाने पर भी कांग्रेस साजिश रच रही
पीएम ने कहा कि कांग्रेस को बार-बार देश नकार रहा है, लेकिन वो अपनी साजिशों से बाज नहीं आ रहे हैं। जनता ये देख रही है और हर मौके पर उन्हें सजा देती रही है। 1857 से लेकर 2014 तक हिंदुस्तान का कोई भी भूभाग उठा लीजिए। आजादी की लड़ाई में आदिवासियों का योगदान सुनहरे पन्नों से भरा है।
कांग्रेस ने 90 बार चुनी हुई राज्य सरकारें गिराईं
जो विपक्ष में बैठे हैं, उन्होंने राज्यों के अधिकारों की धज्जियां उड़ा दीं। कौन सत्ता में थे, कौन पार्टी थी, जिन्होंने आर्टिकल 357 का इस्तेमाल किया। 90 बार चुनी हुई सरकारों को गिरा दिया। कौन है वो। किन्होंने ये किया। इतना ही नहीं, एक प्रधानमंत्री ने आर्टिकल 356 का 50 बार उपयोग किया। वो हैं इंदिरा गांधी। 50 बार सरकारों को गिरा दिया।
कांग्रेस ने राजभवनों को पार्टी दफ्तर बनाया
राजभवनों को कांग्रेस का दफ्तर बना दिया गया था। 2005 में झारखंड में एनडीए के पास ज्यादा सीटें थीं, लेकिन गवर्नर ने यूपीए को बुलाया था। 1982 में भाजपा और देवीलाल का प्री-पोल एग्रीमेंट था, गवर्नर ने कांग्रेस को बुलाया था। आज ये देश को गुमराह कर रहे हैं।
40 साल में गरीबी हटाने के लिए कुछ नहीं किया
पीएम ने कहा- कोई भी जब सरकार में आता है तो देश के लिए कुछ करने के वादे करके आता है। जनता का भला करने के वादे करके आता है। सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती है। जैसे कभी कहा जाता था गरीबी हटाओ, 4 दशक में कुछ नहीं हुआ। विकास की गति क्या है, विकास की नीयत, उसकी दिशा, प्रयास, परिणाम क्या है ये बहुत मायने रखता है।
किसानों का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया
अपनी स्पीच में पीएम ने सवाल उठाया- किसानों के लिए क्या नीति थी। ऊपर के कुछ वर्ग को संभाल लेना और उन्हीं से अपनी राजनीति चलाना ही लक्ष्य था। छोटे किसान उपेक्षित थे, उनकी आवाज कोई नहीं सुनता था। हमारी सरकार ने छोटे किसानों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें बैंकिंग से जोड़ा और आज साल में 3 बार किसान सम्मान निधि उनके खातों में जमा होती है।
वोट बैंक नहीं, तो नॉर्थ-ईस्ट में बिजली नहीं पहुंची
प्रधानमंत्री ने कहा- गांवों में बिजली नहीं थी। दूरदराज के गांव थे, नॉर्थ ईस्ट के गांव थे। पहाड़ी गांव थे। इनके वोट बैंक नहीं थे तो इन्होंने बिजली पहुंचाने पर ध्यान नहीं दिया। हमने कहा कि हम मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचेंगे। हमने 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई। खुशी है कि दूरदराज के गांवों को आजादी के इतने सालों बाद आशा की किरण दिखाई दी।
वैज्ञानिकों को नीचा दिखाने की कोशिश की
प्रधानमंत्री ने कहा- वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों को नीचा दिखाने के लिए कितने प्रयास हुए। आर्टिकल लिखे गए, टीवी में बोला गया। ये विज्ञान के विरोधी लोग, ये टेक्नोलॉजी के विरोधी लोग हैं। हमारे वैज्ञानिकों को बदनाम करने का मौका नहीं छोड़ते।
पुराने सिस्टम से फायदा लेने वाले चिल्ला रहे
प्रधानमंत्री ने कहा- हमने सीधे जनधन खाते में पैसे भेजे। हम नया इको सिस्टम लाए। जिन लोगों को पुराने इको सिस्टम के फायदे मिलते थे, उनका चिल्लाना स्वाभाविक है। पहले परियोजनाएं लटकाना, भटकाना कल्चर था। हमने टेक्नोलॉजी का प्लेटफॉर्म तैयार किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को गति दे रहे हैं। पहले योजनाएं बनाने में महीनों लगते थे, आज सप्ताहभर में योजनाएं आगे बढ़ा दी जाती हैं।
पीएम का खडग़े पर तंज- जनता आपका खाता बंद कर रही
प्रधानमंत्री ने कहा- खडग़े जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी बार-बार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। मोदी जी कलबुर्गी आ जाते हैं। मैं आता हूं शिकायत करने से पहले ये भी देखो कि कर्नाटक में एक करोड़ 70 लाख जनधन अकाउंट खुले हैं। उन्हीं के इलाके में 8 लाख से ज्यादा ऐसे खाते खुले हैं।
राहुल के बाद खडग़े की स्पीच के अंश रिकॉर्ड से हटाए गए
खडग़े ने गुरुवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से पूछा कि पीएम नरेंद्र मोदी पर उनके भाषण के कुछ हिस्सों को संसदीय रिकॉर्ड से क्यों हटाया गया। राज्यसभा में उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मेरे भाषण में किसी के खिलाफ असंसदीय या आरोप लगाने वाली कोई बात थी, लेकिन कुछ शब्दों का गलत मतलब निकाला गया। अगर आपको कोई शंका थी तो आप अलग तरीके से पूछ सकते थे, लेकिन आपने मेरी बात को हटाने के लिए कहा।
भाजपा सांसदों को सदन में मौजूद रहने का व्हिप
इससे पहले बीजेपी ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया। इसमें 13 फरवरी तक सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। उधर, राहुल गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का संसद वाला बयान भी सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया।

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