अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो

0
88
अवधनामा संवाददाता

कामयाबी चाहिये तो पहले बंदगी करो इल्म हासिल करो फिर ओहदा हासिल करो कामयाबी क़दम चूमेगी – मौलाना डॉ. अदीब हसन

बाराबंकी। वाल्दैन हमारे वजूद का ज़रीया है उन्हें उफ़ भी न करो उनके सामने शाने झुकाकर जाओ ।अल्लाह रसूल और साहबाने अम्र की इताअत करो वाल्दैन के साथ हुस्ने सुलूक करो।यह बात मौलाना  गुलाम अस्करी हाल में मजलिसे बरसी फातिमा ज़हरा बिन्ते क़ासिम रज़ा को खिताब करते हुये मौलाना डॉ. हाजी अदीब हसन ज़ैदपुरी ने  कही।उन्होंने यह भी कहा कि अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो ।अल्लाह रसूल और साहबाने अम्र की इताअत करो वाल्दैन के साथ हुस्ने सुलूक करो , क्योंकि वाल्दैन इतने समझदार होते है जब हम कुछ भी नहीं समझते तब भी वह हमारे बारे में सब जानते हैं।मौलाना ने यह भी कहा कि कामयाबी चाहिये तो पहले बंदगी करो इल्म हासिल करो फिर ओहदा हासिल करो कामयाबी क़दम चूमेगी।दुनियां में जहां औरत को सबसे बुरा समझा जाता था ।अरब से लेकर हिन्दोस्तान तक काफिर ,मुशरिक, यहूदी, ईसाई सभी के नजरिये में  औरत को बुरा समझा जाता था कही ज़िन्दा दफ्न कर दिया जाता था ,कही मजहबी किताब नहीं छू सकती थी , कहीं जन्नत नहीं  जा सकती थी , कहीं मुसीबतों का ज़रीया थी, कही विधवा को जीने का हक़ नहीं था अगर वेद सुन लेती तो कां में शीशा पिघ्लाकर डाला जाता था सर पर बाल नहीं रख सकती थी।उस हालात में मोहम्मद ने इस्लाम का पैगाम दिया औरतों को इज़्ज़त बक़्शी अपनी बेटी फातिमा के जरीये इल्म व दीन का एक नमूना पेश किया जो रहती दुनिया तक एक मिसाल रहेगा ।आखिर में कर्बला वालों के मसायब पेश्किये जिसे सुन कर सभी रोने लगे ।मजलिस से पहले हाजी सरवर अली कर्बलाई ने अपना कलाम पेश करते हुए पढ़ा – बैयत  को मौत आ गई कर्बोबला के बाद । अपना यज़ीदे वख़्त भी बिस्तर समेट ले । मुमकिन नहीं है शाह का ग़म हो सके रक़म ।
सरवर तख़य्युलात की चादर समेट ले ।दानिश अब्बास ने रज़ा सिर्सवी की नज़्म पेश की – मौत की आगोश में जब थक के सो जाती है मां , तब कही जाकर रज़ा थोड़ा सुकूं पाती है मां ।इसके अलावा ज़ाकिर इमाम ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश किया।मजलिस का आगाज़ मास्क सेनेटाइजर सोशल डिस्टेन्सिन्ग के साथ  तिलावते क़ुरआन  से हुआ ।बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here