आरआरसी सेंटर जनवरी के अंत तक क्रियाशील नहीं
जबकि डीएम ने दिया था 20 जनवरी तक का अल्टीमेटम
जिम्मेदारों को नहीं रही डीएम के आदेश की परवाह
शाहजहाँपुर।ग्राम पंचायतों में बनाए गए कूड़ा निस्तारण केंद्रों का जिले में शायद ही कहीं उचित प्रयोग हो रहा हो। शासन की बेहद महत्वाकांक्षी योजना पर जिम्मेदार तत्वों ने ऐसी मक्कारी दिखाई कि पूरा मंसूबा ही भरष्टाचार की भेंट चढ़ गया। जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में 9 जनवरी को पंचायती राज विभाग की स्वच्छ भारत मिशन की बैठक नवीन कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गयी थी। बैठक में जिलाधिकारी ने व्यक्तिगत शौचालयों के पेंडिंग आवेदन तथा प्रथम एवं द्वितीय किस्त भेजे जाने के संबंध में जानकारी ली थी। विकासखंड कलान मे शौचायलयों के सबसे अधिक आवेदन लंबित होने पर जिलाधिकारी ने एडीओ पंचायत को प्रतिकूल प्रविष्टि एवं खण्ड विकास अधिकारी का जवाब तलब करने के निर्देश दिए थे। जिलाधिकारी ने समस्त एडीओ पंचायतों को निर्देश दिए थे कि 20 जनवरी तक कोई भी व्यक्तिगत शौचालय हेतु लंबित आवेदन नहीं रहना चाहिए साथ ही निर्देश थे कि ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत चयनित ग्राम पंचायत में बनाए गए आरआरसी सेंटरों का रखरखाव दुरुस्त कर लिया जाये। निर्माण एवं क्रियाशील होने की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने समस्त एडीओ पंचायत को निर्देश दिए हैं कि 20 जनवरी तक प्रतिशत आरआरसी सेंटर क्रियाशील होने चाहिए। उन्होंने कहा था कि जिन ग्राम पंचायत में आरआरसी सेंटर बनकर तैयार हो गया है जो भी ग्राम प्रधान आरसी सेंटर क्रियाशील में रूचि नहीं लेगा उसकी पावर सीज की जाएगी। लेकिन इन सब आदेशों को डीएम के अधीनस्थों ने ही हवा में उडा दिया। जिलाधिकारी का कहना था कि ई-रिक्शा के माध्यम से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के एक जनवरी से 50 रुपए प्रतिमाह प्रत्येक घर से यूजर चार्ज शत प्रतिशत लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो प्रत्येक माह चार्ज नहीं देगा उसे इकट्ठा यूजर चार्ज लिया जाएगा।लेकिन डीएम के सभी आदेश धरातल पर अब तक हवा हवाई दिखाई दे रहे हैं। आरआरसी सेंटरों की दुर्दशा अब तक बरकारार है। और अधिकतर ग्राम पंचायतों में बनाए गए सामुदायिक शौचालय अब तक व्यवस्था सुचारू होने की बात जोह रहे हैं।
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