विश्व बौद्ध महासंघ की संवाद बैठक में पालि भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

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मानवता की रक्षा के लिए भारतीय संविधान और बौद्ध धम्म दोनों जरूरी -इंजीनियर आर सी बौद्ध
भंते धम्मदीप ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और गरीबों को बांटे कम्बल
जन ,जन पालि,घर घर पालि  -आंदोलन तेज करने पर जोर
सिरमौर बौद्ध विहार , सोइया में विश्व बौद्ध महासंघ के तत्वाधान में संवाद बैठक‌ का आयोजन किया गया। संवाद बैठक के बाद बौद्ध भिक्षु भंते धम्मदीप की ओर से समाज के जरूरतमंद लोगों को कम्बल भी वितरित किए गये। मुख्य अतिथि इंजीनियर आर सी बौद्ध ने कहा कि भारत का संविधान बुद्ध वचनों के आधार पर लिखा गया है। अब तक की लोकतांत्रिक सरकारों ने भारतीय संविधान को ठीक ढंग से लागू नहीं किया। महापरिनिर्वाण के पहले नेपाल में 20नवम्बर 1956को एक सम्मेलन में बाबा साहब डॉ अम्बेडकर ने प्रबुद्ध भारत के निर्माण की बात की थी। दुनिया में भगवान बुद्ध ही एक मात्र महापुरुष हुए हैं जिन्होंने मनुष्य को स्वतंत्र चिंतन की छूट दी है। बाबा साहब डॉ अम्बेडकर ने बुद्ध के धम्म को आगे बढ़ाया। उन्होंने वन मैन,वन‌ वोट, वन वैल्यू —-की बात की जो भारत में आज तक नहीं हो पाया। मानवता की रक्षा भारतीय संविधान और बौद्ध धम्म दोनों  चीजें जरूरी हैं। बुद्ध ने राजसत्ता को लात मारकर पूरी दुनिया में धम्मसत्ता  की स्थापना की। आचार, विचार, व्यवहार और संस्कार बदलने के लिए किसी कानून की जरूरत नहीं।आर सी बौद्ध ने बताया कि बौद्ध धम्म के बारे में पूरी जानकारी के लिए त्रिपिटक का अध्ययन जरूरी है। सभी बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में हैं, इसलिए बौद्ध धम्म के अनुयायियों को पालि भाषा अवश्य सीखनी चाहिए। आर सी बौद्ध पालि भाषा की वर्णमाला से सम्बंधित कैलेंडर, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान की ओर से प्रकाशित व्यवहार पालि शब्दावली पुस्तक और बौद्ध साहित्य  भी वितरित किए। इग्नू में स्नातक और परास्नातक में पालि पाठ्यक्रम लागू करने और पालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की और इसके लिए बौद्धों से जनांदोलन शुरू करने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य शकुंतला भारती ने कहा कि  भारत में बौद्ध धम्म के पुनरुत्थान में बाबा साहब डॉ अम्बेडकर का महान योगदान है। मान्यवर कांशीराम साहब ने बौद्ध शोध संस्थान स्थापित किया था। बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की धम्म क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए भाषा, साहित्य, उपासना केंद्र  और संस्कृति के विकास पर जोर दिया।
मध्य प्रदेश के मुरैना जनपद से आए पालि के स्टूडेंट राजवीर सिंह ने कहा कि आई ए एस की परीक्षा से पालि  भाषा के विकल्प के रूप में बनाए रखने की मांग की। उन्होंने बताया कि विश्व बौद्ध महासंघ ने जन जन पालि -,घर घर पालि -आंदोलन शुरू किया है।
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक त्रिसरण पंचशील से हुई।कवि रामचंद्र सरस और संतोष सरगम ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बुद्ध वंदना की।कवि सागर बंधु ने बाबा साहब डॉ अम्बेडकर का गुणगान किया।
भंते धम्मदीप,भंते धम्मदीप और मुख्य अतिथि इंजीनियर आर सी बौद्ध ने सामाजिक कार्यकर्ताओं को कम्बल भी वितरित किए।
संवाद बैठक का संचालन विहार की प्रबंध समिति के संगठन सचिव संजय कुमार ने किया। सचिव राम फल फौजी ने अतिथियों और बैठक में शामिल लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती किसमता ने की।सिरमौर बौद्ध विहार संस्थान सोइया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बामसेफ के जिला संयोजक संजीव भारती, वरिष्ठ शिक्षक राम चन्द्र,इन्द्र पाल गौतम, हीरालाल बौद्ध, श्याम लाल, राजेश अकेला, डॉ नन्हे लाल, अवकाश प्राप्त प्रशासनिक अधिकारी सियाराम, रामदेव भजनी, बाबू लाल, त्रिभुवन दत्त, ललित कुमार, किशुन पाल, डॉ दिनेश सरोज , मोती लाल, हरि भजन, नीलम,रामलौट छोटे लाल ,राम   पियारे आदि मौजूद रहे।
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