अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। गठबंधन में सीट जाने से समाजवादी पार्टी के भीतर उपजी नाराजगी अब झलकने भी लगी है। पूर्व सांसद स्व कमला रावत के पुत्र ने पत्नी के साथ भाजपा का दामन थाम कर इसका प्रमाण भी दे दिया। यही नही जल्द ही और चेहरों के भी सपा को टाटा करने की चर्चा जोरों पर है। ऐन वक्त पर सीट गठबंधन को सौंपने का फैसला सपा के दावेदार पचा नही पा रहे।
हालिया दलबदल कुछ ऐसी ही कहानी कह रहा है। बता दें कि कई बार सांसद रहे मिलनसार स्व कमला प्रसाद रावत की पुत्रवधू लवली रावत चुनाव के काफी पहले से टिकट की दावेदारी बताते हुए मैदान में हाजिर हो चुकी थीं। इस काम मे उनका साथ पति वेद रावत भी पूरा समय देकर कर रहे थे। लवली रावत को बड़ी उम्मीद थी कि सपा उन्हें बतौर प्रत्याशी उतारेगी, हालांकि गौतम रावत के अलावा अन्य कई दावेदार भी लाइन में लगे थे। इसी बीच जब चुनाव करीब आया और दावेदारों की धड़कनें तेज हो गई तभी सपा नेतृत्व का फैसला दावेदारों के होश उड़ा गया। उनके चुनाव लड़ने के सपने चकनाचूर हो गए। पता चला कि सपा नेतृत्व ने समाजवाद का गढ़ कही जाने वाली बाराबंकी सीट गठबंधन धर्म के नाते कांग्रेस से दावेदार को दे दी। जिस दल के उम्मीदवार के हाथ सिर्फ संघर्ष ही अब तक आया है। राजनीति में मजबूत पैठ बना चुके गठबंधन प्रत्याशी अब तक कोई चुनाव नही जीत सके। एक बार फिर वह कांग्रेस सपा गठबंधन व बदले समीकरण से आस जुटाकर चुनाव मैदान में है। वह मेहनत जमकर कर रहे और सबको दौड़ा भी रखा है पर सहयोगी दल के भीतर पसरी नाराजगी दूर करने में उन्हें सफलता नही मिल सकी। यह असफलता उनकी राह में बाधा बन सकती है क्योंकि ऊपर से जाने वाला नाराजगी का संदेश जमीनी स्तर पर पहुंचने में देर नही करता। कांग्रेस, बसपा के बाद सपा में रहकर राजनीति कर चुके पूर्व सांसद की पुत्रवधू ने ऐन चुनाव के वक़्त पाला बदलकर स्वाद कषैला कर दिया है। सपा के भीतर इस दलबदल को लेकर काफी चर्चा का माहौल है। ऊपरी स्तर पर तो सब चेहरे गठबंधन उम्मीदवार के साथ चल रहे पर यही स्थिति कार्यकर्ता स्तर पर होगी, जानकार इस पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।02