लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कोरोना महामारी अवधि के
बिजली बिल व अन्य टैक्स माफ करने, टैक्स वसूली करने तथा प्रत्येक जरूरतमंद को
दस किलो अनाज निशुल्क एवं 7500 रूपये नगद देने की मांगों सहित जनता के अन्य
मुद्दे जरूरी मांगों को लेकर प्रदेश भर में 21 सितंबर को जुलूस निकालकर
प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। माकपा राज्य सचिव मण्डल ने एक प्रेस
विज्ञप्ति में कहा है कि महामारी के शिकार दुनिया के दूसरे देशों में टैक्सों
की वसूली स्थगित की गयी है एवं फौरी राहत के लिए नगद धनराशि दी गयी है किन्तु
हमारे देश व प्रदेश में महामारी और बुरी तरह तबाह हुई जनता के ऊपर टैक्सों का
बोझ डाला जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार निजी कंपनियों के मुनाफे के लिए
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना चाहती है जिसका खामियाजा जनता
को महंगी बिजली रेट देकर भुगतना पड़ेगा। क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश मंे
बिजली सबसें महंगी है। देश के किसी भ्ीा प्रदेश में महामारी काल में बिजली रेट
नहीं बढ़ाया गया किन्तु उत्तर प्रदेश में इसकी तैयारी की जा रही है। किसानों
बुनकरों के फिक्स रेट समाप्त कर मीटर व्यवस्था लागू की जा रही है और मनमाने
तौर पर विद्युत भार बढ़ाये जा रहे हैं। उपभोग के मुकाबले अत्यधिक बढे बिल जनता
को चुकाना पड़ रहा है।
माकपा ने कहा कि बिजली मूल्यवृद्धि व निजीकरण के विरोध में जन आंदोलन किया
जायेगा और बुनकरों, किसानों के लिए फिक्स रेट की मांग की जाएगी। 21 सितम्बर को
जुलूस, प्रदर्शनों द्वारा हर जिले में जनता की अन्य जरूरी मांगों-मनरेगा में
काम, बाढ़ राहत, छात्रों की फीस माफी आदि को भी उठाया जायेगा।
माकपा का 21 सितम्बर को प्रदेश भर में प्रदर्शन
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