नई दिल्ली : देश के शीर्ष माइक्रोबायोलाजिस्ट का मानना है कि 21 दिन के लाकडाउन के बाद गर्मी से बढ़ा तापमान कोरोना 9*वायरस कोविड-19 के विस्तार को थामने में बहुत कारगर साबित हो सकता है।
देश के शीर्ष माइक्रोबायोलाजिस्ट और एसोसिएशन आफ माइक्रोबायोलाजिस्ट इन इंडिया (एएमआइ) के अध्यक्ष प्रोफेसर जे.एस. विरदी ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक तापमान इतना बढ़ चुका होगा कि वह इस वायरस को फैलने से रोकने में सहायक होगा।
उल्लेखनीय है दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों में चल रहे अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि विभिन्न प्रकार के कोरोना वायरस के पनपने के लिए सर्दियों का मौसम ज्यादा मुफीद होता है। ये दिसंबर से अप्रैल के बीच ज्यादा सक्रिय रहते हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि जून तक इस बीमारी का उतना प्रकोप नहीं रह जायेगा जैसा कि अभी है।
एएमआइ के महासचिव प्रत्यूष शुक्ला ने बताया कि बहुत से वैज्ञानिक तापमान बढ़ने पर कोरोना का प्रकोप शांत होने की थ्योरी समझा रहे हैं। मेरी चीन के कुछ वैज्ञानिकों से बात हुई है। उनका भी कहना है कि कोरोना वायरस अधिक तापमान पर सक्रिय नहीं रह सकता। सार्स, फ्लू समेत ज्यादातर वायरस अक्टूबर से मार्च तक ही सक्रिय रहते हैं। वायरस के फैलने में तापमान का बड़ा हाथ होता है।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के सेंटर फार इंफेक्सिअस डिसीज ने मरीजों के शरीर से लिए कोरोना वायरस के तीन नमूनों की जांच से पाया गया कि इनमें सर्दियों में फैलने का गुण है। ये इन्फ्लुएंजा की तरह दिसबंर से अप्रैल के बीच लोगों को संक्रमित करने वाले हैं। माइक्रोबायोलाजिस्ट का मानना है कि कोविड-19 वायरस का भी तापमान से संबंध है। ठंडा और शुष्क माहौल इसके लिए ज्यादा मुफीद है।
प्रो.विरदी ने बताया कि मैंने पचास के अपने कैरियर में किसी और वायरस को इतनी तेजी से फैलते नहीं देखा। यही नहीं दूसरे वायरस के मुकाबले किसी सतह पर कोविड-19 अधिक समय तक सक्रिय रहता है। इसी वजह से उसे आसानी से निष्कि्रय नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि 21 दिन के लाकडाउन से इस वायरस के विस्तार की श्रृंखला टूटेगी। हम लोग सरकार के इस निर्णय के साथ हैं। इस समय सबसे बेहतर यही उपाय किया जा सकता था।
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