अवधनामा संवाददाता
सुल्तानपुर। नगर पालिका परिषद के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वरुण मिश्रा के समर्थन में पार्टी ने नई पहल करते हुए भाजपा को उसी के अस्त्र से मात देने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी के हिंदुत्व की काट के लिए कांग्रेस प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान में मोहल्लो में पड़ने वाले मंदिरों में आरती कर रहे है तो गलियों में शंख बजाया जा रहा है। मतदान की तिथि में अब लगभग एक सप्ताह से भी कम समय रह गया है। ऐसे में सभी पार्टियां अपने प्रचार अभियान में जोर लगा रही हैं। इस कड़ी में भाजपा के बाद अब सबसे आगे कांग्रेस निकलती दिखाई दे रही है ।नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी वरुण मिश्रा के समर्थन में ब्राह्मणों को रिझाने के लिए बीते दिनों इसौली से चुनाव लड़ चुके और ब्राह्मणों में गहरी पैठ रखने वाले कक्कू पांडे ने प्रचार किया था। वही शुक्रवार को अमेठी से आए वरिष्ठ कांग्रेस नेता आशीष शुक्ला ने वरुण मिश्रा के समर्थन में कई मोहल्लों में सभाएं की और घर-घर जाकर जनसंपर्क किया। हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर चुनाव जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी की रणनीति का जवाब भी कांग्रेस ने ढूंढ लिया है। पार्टी ने भाजपा के हिंदुत्व की काट के लिए उसी के अस्त्र से उस पर वार करना शुरू कर दिया है। प्रत्याशी वरुण मिश्र का जनसंपर्क अभियान शुरू होता है तो उनके साथ चल रहे पुजारी गलियों में पहुंचते ही शंख बजाते हैं। मोहल्लों में पढ़ने वाले मंदिरों में सुबह- शाम आरती में भी कांग्रेस प्रत्याशी शामिल हो रहे हैं। वहां मौजूद लोगों का चरण छूकर संस्कारित ढंग से आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ हिंदुओं को ही लुभाने का काम कर रहे हैं बल्कि अपने अभियान में वह हर धर्म और जाति को बराबर का महत्व दे रहे हैं। मस्जिदों, मजारों और गुरुद्वारों पर जाना भी उनके प्रचार अभियान का एक हिस्सा है । शुक्रवार को उन्होंने विभिन्न मस्जिदों पर पहुंचकर लोगों की दुआएं ली ।कांग्रेस की इस नई रणनीति से भाजपा के रणनीतिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें भी आ रही हैं। हालांकि उनका दावा है कि जीतना तो भाजपा को ही है । प्रत्याशी वरुण मिश्रा का कहना है कि हिंदुत्व किसी की बपौती नहीं है ।धर्म आस्था का विषय है, राजनीति का नहीं। मंदिरों पर जाना उनकी निजी आस्था है कांग्रेस जितना हिंदुओं का सम्मान करती है उतना ही मुस्लिम ,सिख और अन्य धर्मों का भी। मंदिरों पर आरती के पीछे उनका तर्क है कि हमेशा से करते आए हैं। मस्जिद में एक साथ काफी संख्या में लोगों की दुआएं मिलती है, इसलिए वह वहां भी जा रहे हैं ।कांग्रेस का यह अस्त्र कितना कारगर साबित होगा यह तो 13 मई को आने वाले चुनाव परिणाम ही बताएंगे।