नई दिल्ली। चीन एक तरफ खुद को विश्व की बड़ी महाशक्ति के तौर पर दिखाता है लेकिन इसके पीछे की तस्वीर काफी काली है। काली इसलिए क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था अंदर ही अंदर खोखली होती जा रही है। चीन के सरकारी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। चीन के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश का राजकोषीय घाटा बढ़ कर एक हजार अरब डालर तक पहुंच गया है। आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि ये अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। मंत्रालय ने इस वर्ष के शुरुआत 9 माह के आंकड़े जारी किए हैं। इसमें पता चलता है कि वर्ष 2021 में इस दौरान राजकोषीय घाटा 260 अरब डालर का था। जानकारों का कहना है कि देश में रियल स्टेट का संकट और अर्थव्यवस्था को राहत देने के नाम पर मिली टैक्स रिबेट की वजह से देश को ये घाटा उठाना पड़ रहा है।
ये हैं चीन के सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि सरकार के राजस्व में इस दौरान 6.6 फीसद तक की कमी आई है। टैक्स रिबेट की वजह से राजस्व में कमी आई है और सरकारी खर्चों में तेजी आई है। सरकार ने आर्थिक रूप से तेजी लाने के लिए जो रियल स्टेट को सहारा लगाया है उसका उलटा असर देखने को मिला है। मौजूदा वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि की दर में 3.9 फीसद की तेजी दर्ज की गई है। इसको उम्मीद से अधिक बताया जा रहा है। हालांकि शी चिनफिंग के तीसरे कार्यकाल को हासिल करने के बाद निवेशकों में मन में भविष्य को लेकर चिंता जरूर है। इस दौरान चीनी मुद्रा की कीमत में कमी आई है। साथ ही हांग कांग का शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है।
रियल स्टेट धड़ाम
चीन के रियल स्टेट सेक्टर जिस पर सरकार को सबसे अधिक विश्वास है वो अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। बता दें कि देश की जीडीपी में इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल स्टेट सेक्टर की भागीदारी एक चौथाई से भी अधिक है। चीन में घरों की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और अब ये ऐतिहासिक रूप से कम हैं। जानकारों का कहना है कि रियल सेक्टर का ग्राफ लगातार नीचे की तरफ जा रहा है।