अवधनामा संवाददाता
हजरत इमाम हुसैन के 40वें पर निकाला जुलूस
ललितपुर। कर्बला के शहीदों की याद में बुधवार को जिले भर में चेहल्लुम मनाया गया। हजरत मोहम्मद सल्ल. अलै. के नवासे हजरत इमाम हुसैन रजि. की शहादत के 40वें दिन शहर में जुलूस निकाला गया। मुस्लिम समुदाय के घरों में कुरान ख्वानी की गई और अकीदतमंदों ने इबादत की और मातम किया गया। इस दौरान लोगों ने अमन की राह पर चलने की बात कही। मुस्लिम समुदाय के जानकारों ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं बल्कि जहां की पूरी इंसानियत के लिए थी। चेहल्लुम पर इमाम चौक नदीपुरा से सभी ताजिया एकत्रित होकर आजाद चौक, साबरकर चौक होते हुए घंटाघर पहुंचे यहाँ मुस्लिम समुदाय के जायरीनों ने जियारत की। इसके बाद देर शाम ताजियों को कर्बला में सुपुर्द ए खाक किया गया। चेहल्लुम को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। शहर में अलग-अलग जगहों पर मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस अधिकारी और महिला व पुरुष बल के जवान तैनात रहे।पुलिस की टीम लगातार गश्ती करती रही। नदीपुरा इमाम चौक,साबरकर चौक घंटाघर आदि स्थानों पर विशेष चौकसी रही। पुलिस बल भी जिले के अलग-अलग हिस्सों में गश्ती करते रहे। वहीं इस मौके पर संरक्षक हाजी बाबू बदरुद्दीन कुरैशी के ताजिया कमेटी के अध्यक्ष रमजानी दादा, जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद नसीम, नायाब सदर सादिक अली, शाकिर अली, रिजबान उज्जमा, जावेद असलम राजू, अब्दुल शाकिर, अलीम, सेकेट्री मो. कलीम, नायाब सेकेट्री हमीद मंसूरी, जाहिद खान मंसूरी, कोषाध्यक्ष, मो.अज्जू बाबा, मंत्री इमरान मंसूरी के अलावा अनेकों लोग मौजूद रहे।
क्यों मानते हैं चेहल्लुम
शहर पेश इमाम हाफिज मुवीन खान के अनुसार कर्बला के शहीदों की शहादत को याद के लिए चेहल्लुम मनाया जाता है। चेहल्लुम मुहर्रम के 40वें पर मनाया जाता है। कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन मानवता की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। इमाम हुसैन जब कर्बला के मैदान में थे तो उनके साथ मात्र 72 हकपरस्त यानी वफादार सैनिक थे, वहीं दूसरी ओर यजीद की 22 हजार से भी अधिक की हथियारबंद सेना थी। कर्बला जंग समय के हिसाब से तो छोटी सी जंग थी लेकिन इस्लाम के इतिहास में लड़ाई सत्य और असत्य या अन्याय और न्याय के बीच की थी। गिनती के चंद लोगों के साथ ईमान और इंसाफ के लिए लड़ते हुए शहादत दी।