भाजपा कार्यालय पर मनाया गया जनसंघ के संस्थापक का72वां बलिदान दिवस
भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के प्रेरणा पुंज डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 72वें बलिदान दिवस पर भाजपा कार्यालय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में भाजपा कार्यकर्ताओं ने डा मुखर्जी के जीवन दर्शन और उनके संदेशों का स्मरण करते हुए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने और विकसित भारत के निर्माण का संकल्प लिया। मुख्य अतिथि और प्रदेश महामंत्री विधान परिषद सदस्य गोविंद नारायण शुक्ला ने कहा कि 21अक्टूबर 1951को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र वादी सांस्कृतिक चेतना के साथ जो संयुक्त राजनीतिक विकल्प दिया,उसी के चलते आज भारतीय जनता पार्टी का विशाल वट वृक्ष खड़ा हुआ है।
प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने धारा 370 समाप्त कर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार किया है। डॉ मुख़र्जी के जीवन का प्रत्येक क्षण भारत माता के चरणों में समर्पित था जिसने देश की एकता अखंडता और आत्मसम्मान के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित कर दिया डॉ मुखर्जी ने एक देश में दो विधान दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेगा नहीं चलेगा का नारा नहीं था यह उस तेजस्वी तपस्वी की हुंकार थी जिसे 20वीं शताब्दी के भारत में अंग्रेजों के बनाए गए ढांचे में भारतीय आत्मा को भरना चाहते थे पश्चिमी शिक्षा से लेकर हुए भारतीयता की पुनर्स्थापना के लिए मैदान में उतरे1939 में कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण करने से असहमत होकर हिंदू महासभा से जुड़े 1944 46 में महासभा के अध्यक्ष बने उस समय बंगाल में मुस्लिम लीग की सरकार ने विभाजनकारी राजनीति को हवा दी उसका उन्होंने कड़ा विरोध किया। डॉ मुखर्जी नेहरू मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री बने लेकिन नेहरू लियाकत समझौता 1950 के तहत पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार के बावजूद भारत सरकार मौन रही तो उन्होंने अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया यदि राष्ट्र की आत्मा को चोट पहुंचे तो पदों का त्याग आवश्यक है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष सुधांशु शुक्ल ने की।
राज्य मंत्री एवं विधायक तिलोई मयंकेश्वरशरण सिंह ने कहा की डॉ मुखर्जी अखंड भारत के स्वप्न दृष्टा थे जो की भारत देश एक रहे इसके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया भारत देश में ही दो निशान दो विधान नहीं चलेगा डॉक्टर मुखर्जी जी ने ही नारा दिया और बिना परमिट के कश्मीर में घुसे बहुत सी यातनाएं उनको सहनी पड़ी कश्मीर आंदोलन किया और बलिदान हुए। कश्मीर को संविधान की धारा 370 के अंतर्गत विशेष दर्जा देना भारत की अखंडता पर प्रश्न चिन्ह था जो कि डॉक्टर मुखर्जी ने विरोध किया जिसमें भारत के किसी नागरिक को जम्मू कश्मीर में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं था वहां जाने के लिए परमिट सिस्टम था जो की डॉक्टर मुखर्जी ने विरोध किया और बिना परमिट के कश्मीर में घुसे और इनको जेल में डाल दिया गया डॉक्टर मुखर्जी ने कहा मैं भारतीय हूं अपने देश में कहीं भी जाने के लिए परमिट क्यों लूं।11 मई 1953 को बिना परमिट कश्मीर में प्रवेश किया गिरफ्तार हुए 23 जून 1953 को जेल में संदेश परिस्थितियों में डॉक्टर मुखर्जी जी का बलिदान हुआ। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत माता एक हमारी के विचार के साथ डॉक्टर मुखर्जी जी को बलिदान दिवस पर भारत देश याद रखेगा देश की एकता और अखंडता के लिए उन्होंने बलिदान स्वीकार करना उचित समझा।
भाजपा प्रवक्ता चन्द्रमौलि सिंह प्रभात शुक्ला , पूर्व जिला अध्यक्ष दयाशंकर यादव ,पूर्व जिला अध्यक्ष रामप्रसाद मिश्रा, पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी ,जिला महामंत्री केशव सिंह, जिला उपाध्यक्ष भवानी दत्त दीक्षित ,प्रवीण सिंह जिला उपाध्यक्ष, उमा रमन सिंह जिला मंत्री, कृष्ण कुमार सिंह, मुन्ना ब्लॉक प्रमुख तिलोई विजय किशोर तिवारी गिरीश चंद्र शुक्ला ,जिला उपाध्यक्ष डी एन तिवारी ,विषुव मिश्रा, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष देव प्रकाश पांडेय ,सदाशिव पांडेय , आशा बाजपेई , निमिषा त्रिपाठी ,रवींद्र सिंह, भूपेंद्र शुक्ला ,डॉ महेंद्र मिश्रा ,अमरनाथ पासी, मंडल अध्यक्ष अजय तिवारी पूर्व मंडल अध्यक्ष हिन्देश सिंह काशी मिश्रा मंडल अध्यक्ष अभिषेक सिंह जिला उपाध्यक्ष युवा मोर्चा अजय सिंह गौर मंडल अध्यक्ष संतोष द्विवेदी पूर्व मंडल अध्यक्ष रवि सिंह, कालीबक्श सिंह ,करन सिंह, युवा मोर्चा महेश सोनी शाहिद आदि मौजूद रहे।