बुलडोजर की घरघराहट

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एस.एन.वर्मा
यूपी सरकार ने दंगाईयों प्रदर्शनकारियों के सज़ा देने के लिये बुलडोज़र का सहारा लिया स्थानीय और राज्य आधिकारियों को आदेश दिया और छूट दिया ऐसे दोषी लोगों को शिनाख्त कर उनके घरो नोटिस चिपका कर बुलडोजर से घराशायी कर दिया जाये। जो अवैध निर्माण के तहत है सम्बन्धित अधिकारी और स्थानीय निकाय बड़ी तत्परता से इका पालन कर रहे है। यूपी का निपटने का यह नुस्खा इतना लोकप्रिय हुआ कि यहां के सीएम का बुलडोजर बाबा कहा जाने लगा और कुछ दूसरे राज्यों ने भी इसकी नकल कर अपराधियों में भय पैदा करने के लिये और उन्हें किसी तरह के अपराध प्रदर्शन से, मीडिया द्वारा गलत प्रचार करने से रोकने के लिये घड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। पर न अपराध रूक रहे है न प्रदर्शन। अपराध और प्रदर्शन तभी रूकते है जब समाज में कानून प्रति सम्मान हो और मजबूत निष्पक्ष न्याय प्रणाली में विश्वास हो।
घोर से घोर अपराधी को भी कोर्ट सफाई का मौका देता है। किसी अपराध को लेकर उसे जांच के लिये आगे बढ़ाने और सज़ा दिलाने के लिए निर्धारित प्रणाली है। जब इसका सही तरीके से पूरी तरह पालन होता है तो समाज में कानून के प्रति श्रद्धा भी बढ़ती है और भय भी बढ़ता है। न्याय प्रणाली पर विश्वास बढ़ता है। इससे प्रशासन, पुलिस व्यवस्था, न्याय व्यवस्था सभी लाभान्वित होते है। समाज के निगाह में इनकी ग्राहयत और इज्जत बढ़ती है। लोगो में कानून पालन का हौसला बढ़ता है।
देश और समाज में पुलिस और न्यायपालिका का रोल सबसे अहम होता है। जिसकी छापा में देश और समाज आगे बढ़ता है। प्रशासन और पुलिस कुछ ग़लत करता है तो उसे न्यायापालिका ही सुधारती है।
इस समय देश में जो चल रहा है उसमे एकाएक काफी अशान्ती आ गई है। खासकर भाजपा के प्रवक्ताओं के बयान को लेकर अग्निपथ स्कीम ने भी गलत राह चुन कर अशान्ति फैलाने और तोड़फोड़ में योगदान दे रहा है। जबकि उसका प्रदर्शन आधारहीन है। उनके प्रदर्शनो से लगता है यह प्रयोजित है। दूसरे लोग इसमें पैठ बनाकर युवाओं को बदनाम कर रहे है। शासन की ओर से इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वह छोटीमोटी संशोधनो के लिये तैयार भी है और करती भी जा रही है।
तो धरना प्रदर्शन को लेकर प्रशासन पुलिस और स्थानीय निकाय इस समय जो भूमिका निभा रहे है उसमें कानूनी प्रक्रिया की अवहेलना हो रही है। बिना उन्हें सफाई का मौका दिये उनके मकानो को गिरा दिया जा रहा है, लोगो को जेलो में बन्द कर दिया जा रहा है। यह तो सच है कि धरना और प्रदर्शनों में आम लोग भाग बहुत कम लेते है। ज्यादातर पेशेवर लोग इसमें भाग लेते है, उन्हें मुद्दो और पार्टी से कोई मतलब नहीं रहता। हर तरह के प्रदर्शन में ये मौजूद रहते है। राजनैतिक पार्टियों के छुट भैये अपनी राजनीति चमकाने के लिये सुर्खियों में आने के लिये हमेशा उनमें शामिल रहते है।
इस समय बुलडोजर का उपयोग किया जा रहा है उसकी संख्या बहुत बढ़ गई। बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये घरो कों गिराया जा रहा है। इसमें कोर्ट का खामोश रहना जिज्ञासा पैदा करता है। कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर प्रशासन और सरकार से सवाल कर सकता है। हर चीज कानून के अनुसार करवाने के लिये मजबूूर कर सकता है। इसके वह उदाहरण है। इसे लेकर कुछ अपीले भी दायर हुई है पर उनकी सुनवाई इतनी लम्बी है कि तब तक बहुत कुछ पुरानी गति से चलता रहता है। आम नागरिक प्रताड़ित होकर कहां जाये समझ नही आता क्योंकि कोर्ट की कारवाई इतनी लम्बी खिचती है कि न्याय का मतलब ध्वस्त हो जाता है हमारे जजों की विद्वता में कोई कमी नही है। एक से एक हीरे हुये है और अभी भी है। पर मुकदमें की संख्या इतना ज्यादा है कि वे भी मजबूूर है। अभी अखबार में पढ़ने को मिली कि एक छोटे से जुर्म के लिये 28 साल बाद फैसला मिला और जुर्माने के तौर पर 5 हजार जर्माना लगा।
किसी जुर्म के लिये लोग 20-25 साल की उम्र के लिये जेल जाते है जरूरी नही की उस केस में वह सही आरोपित हो पर 25 साल बाद जब रिहा होते है सजा पा कर ही रिहा होते है तो जिन्दगी के लिये क्या शेष रह जाता है। कितना अमानवीय लगता है। सज़ा सुधारेन के लिये दिया जाता है परेशान करने यो जिन्दगी तबाह करने के लिये नहीं दिया जाता है।
सरकारो को थोडे और संवदेनशील होना पड़ेगा वे देश और समाज में शान्ति और व्यवस्था के लिये तो बने ही है। पर हर कदम व्यवस्था और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुये करे और कराये। कोर्ट के मुकदमो के अम्बार के कम करने के लिये, त्वरित न्याय दिलाने के लिये जज़ो के भार को कम कराने के लिये शासन से इस दिशा में त्वरित और नतीजा देने वाले कदम उठाये, जाने की अपेक्षा की जा रही है।
स्वागत योग्य बात है कि कोर्ट ने इन सब बातो पर कोर्ट दायर याचिकाओं के सन्दर्भ में अपने विचार दिये है खास कर बुलडोजर को लेकर, आरोपितों दायर की अपील कि भवनो के ढहाने की कारवाई पर रोक लगाई जाय कहा है इस तरह का आदेश हम नही सकते। अगर भवन अवैध तरीके से अवैध जमीन पर बनाया गया है तो कारवाई पूरी कर नोटिस चिपका कर भवन का गिराया जाना वैघ है। जिम्मेदार अथारिटी प्रारम्भिक कारवाई पूरी कर भवन गिराने जाती है तो हम कैसे उन्हें रोक सकते है। यह तो उनके कर्त्तव्यो में शामिल है। शासकीय, निकायेस्थानीय निकायो की सुनवाई जारी रहेगी। ढहाने जाने का काम चलता रहेगा। मुख्यमंत्री योगी के लिये बड़ा बूस्टर है।

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