Tuesday, October 28, 2025
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बसपा कोआर्डिनेटरों के हर राज्य में मेहनत कर पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने के संदेश दिए गए

बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को लखनऊ में देशभर के कोऑर्डिनेटर के साथ बैठक की। करीब 2 घंटे चली बैठक में फोकस संगठन को मजबूत करने पर रहा। इसमें यूपी-उत्तराखंड को छोड़कर देशभर से करीब 430 कोऑर्डिनेटर आए। इनमें 3 महिलाएं भी थीं। इस दौरान मायावती ने हर स्तर पर संगठन को मजबूत करने को कहा। उन्होंने बसपा नेताओं से कहा- जैसे आपने मेरा साथ दिया, वैसे ही आकाश आनंद का भी दीजिए।

बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में भतीजे आकाश आनंद, उनके पिता आनंद कुमार और सीनियर लीडर सतीश चंद्र मिश्रा भी थे। बैठक में मायावती पहुंची, तो आकाश आनंद ने मंच पर ही उनके पैर छुए। हॉल में मायावती की अकेली कुर्सी लगी थी। साइड में 3 कुर्सियां लगी थीं। इन पर आकाश आनंद, आनंद कुमार और सतीश चंद्र मिश्रा बैठे थे।

बताते चलें कि यह बसपा का लखनऊ में 10 दिन में तीसरा बड़ा कार्यक्रम था। इससे पहले 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि में शक्ति प्रदर्शन किया था। फिर 16 अक्टूबर को यूपी-उत्तराखंड के 500 नेताओं के साथ बैठक की थी।

मायावती की बैठक में कही बड़ी बातें

1. हर राज्य में जमकर मेहनत कीजिए मायावती ने पार्टी में कमियों को दूर करने को लेकर अहम निर्देश दिए। यूपी और उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में उभरे नए राजनीतिक हालात के मद्देनजर तैयारी करने की बात कही। उन्होंने कहा कि हर राज्य में मेहनत करिए। तैयारी को जोर-शोर से अमल में लाइए।

2. भ्रष्टाचार से लोगों का जीवन त्रस्त हुआ मायावती ने कहा- देश में बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, महिला असुरक्षा की बढ़ती घटनाएं, जातिवादी और साम्प्रदायिक मतभेद से लोग परेशान हैं। हिंसा जैसे अभिशाप के साथ भ्रष्टाचार के चलते लोगों का जीवन कठिन हो गया है।

3. सही नीयत और नीति अपनाकर ध्यान देने की जरूरत सरकारों के संकीर्ण जातिवादी और राजनीतिक स्वार्थ में लिप्त होने से व्यापक जन और देशहित को नुकसान हो रहा है। इससे देश का स्वाभाविक विकास बाधित हो रहा है। देश की प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा। ऐसे में सही नीयत और नीति अपनाकर ध्यान देने की जरूरत है।

4. वोटों की ताकत से सत्ता की मास्टर चाबी लेनी होगी दलितों, अन्य बहुजन समाज के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, जातिवादी शोषण, अत्याचार और अपमान जैसे मामलों से मुक्ति तभी संभव है। जब लोग वोटों की ताकत के जरिए सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथों में लेकर अपने पैरों पर खड़े होंगे।

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