ईरान की बहादुर महिलायें

0
757

एस.एन.वर्मा

ईरान की महिलाओं ने दुनियां भर की महिलाओं को नारी सशक्तिकरण की दिशा में हिजाब के विरोध में सशक्त प्रदर्शन के माध्यम से बहुत बड़ा और असरदार नैतिक डोज दिया है। ईरान की सरकार उनके प्रदर्शन से मजबूूर होकर अपने यहां के नैतिक पुलिस बल को खत्म कर दिया है। वहां के अटार्नी जेनलर कहते है कानून खत्म कर दिया गया है पर खत्म करने की अधिकारिक घोषाणा अभी नहीं हुई है। पर यह खबर भी लोकतान्त्रि भावनाओं में विश्वास करने वाले के लिये सुखद हवा का झोका है।
22 साल की महशा अमीनी 13 सितम्बर को अपने परिवार में मिलने तेहरान आई थी। हिजाब न पहनने की वजह से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई। वह हिजाब के विरोध में क्रान्ति प्रतीक बन कर छा गयी। अमीनी का पोस्टर लिये महिलाओं ने अपने बाल काट लिये। दो महीने से ईरान की महिलायें अमीनी के सपोर्ट में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी। इस बीच 18210 लोगो के गिरफ्तार किया गया। 470 प्रदर्शनकारियों की गोली मार कर हत्या कर दी गई है। इसमें नाबालिगों को भी नहीं बक्शा गया। 64 नाबालिग भी गोली के शिकार हो गये।
इरान सरकार ने हिजाब सम्बन्धी नियमों को वापस लेने की घोषणा अभी नहीं की है सिर्फ नैतिक पुलिस बल को ही हटाया है। इसलिये अन्दोलनकारियों ने आर्थिक हड़ताड का एलान किया है। ईरान के राष्ट्रपति अब्राहिम रईसी ने ही पुराना कानून लागू किया था। वह तेहरान विश्वविद्यालय में क्षात्रों से मिलने जा रहे है। उन्हीं को निशाना बना कर आर्थिक हड़ताल का एलान किया गया है। इरान सराकर अभी अन्दोलनकारियों का नब्ज़ टटोलने में लगी है। आगे क्या निर्णाय लेती है इस पर सबकी निगाह लगीई हुई है। फिलहाल धार्मिक प्रतिबन्धों को लागू करवाने वाली पुलिस गायब है।
दो महीने से जारी अन्दोलन व्यापक रूप ले चुका है। इसमें मसले से जुड़े दूसरे मुद्दे भी शामिल होते जा रहे है। जैसे जैसे अन्दोलन आगे बढ़ता जायेगा यह और व्यापक होता जायेगा। अन्दोलनकारी अभी नैतिक पुलिस बल हटाने से सन्तुष्ट नही है। अन्दोलनकारी महिलाओं ने दुनियां भर की औरतों में भारी जागरूकता फैला दी। उनका यह योगदान नारी अन्दोलन कभी मूल नहीं पायेगा बल्कि इससे प्रेरणा लेगा। महिलाओं के लिये अभी बहुत से सुधारों की जरूरत है। जब तक समाज सरकार में उनको प्रतिनिधित्व बराबरी पर नहीं आता, जब तक स्त्री को अलग दृष्टि से पुरूषों को अलग दृष्टि देखने की रवायत बन्द नही होती तब तक नारी अन्दोलन का मकसद पूरा नहीं माना जायेगा।
कुछ भी हो ईरान की महिलाओं ने एक मिसाल पेश करके दुनियां की सारी नारी अन्दोलनों का ध्यान खीचा है अब स्त्रियां इससे प्रेरणा ले और उग्र होक अपने वाजिब हक की भाग करेगी। सबसे बड़ी बात है महिलाओं ने अपने विरोध का प्रदर्शन तोड़तोड़ से नही आहिसक तरीके से किया है।
हालाकि ईरान में 1979 इस्लामी क्रान्ति आई पर इसके बाद से यहां तरह तरह की नैतिक पुलिस आती रही है। अभी भी नैतिक पुलिस भंग हुई है। अभी कानून खत्म होने का सरकारी ऐलान नही हुआ है। फिर भी महिलाओं को इस लड़ाई में मिली जीत को कम कर के नहीं आकना चाहिये रजाशाह पहलवी के शासन काल में हिजाब को बैन कर दिया गया था। समाज को आधुनिक बनाने की पहल की जा रही थी। औरत सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब नही पहन सकती थी। पर बाद में इसे पहनना अनिवार्य कर दिया गया। यहां की महिलाओं को दोनो तरह की सख्तिया से जूझना पड़ा है। यहां हिजाब का उतना महत्व नहीं है जितना औरतों की मर्जी का है। इस बारे में कोई सरकारी कानून नहीं है प्रतिबन्ध नही होना चाहिये। सबकी अपनी मर्जी जैसे चाहे वैसे रहे। याह तो औरत के व्यकित्गत स्वतऩ्त्रता से जुड़ा मुद्दा है। इसमें कोई सरकारी या धर्मिक हस्तक्षेप नही होना चाहिये।
इरानी महिलाये बधाई की पात्र है अपने अपदर्शन से नारी बल को असीम साहस और नैतिक बल प्रदान किया है। नारी स्वतन्त्रा का जब भी इतिहास लिख जायेगा इरानी महिलाओं के इस योगदान कांे प्रशंसात्मक स्थान मिलेगा और नारियों को प्रेरण मिलेगी। इसलिये की इरान में लोकतन्त्र नही है शरिया कानून है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here